संकलन: अनिरुद्ध जोशी ‘शतायु’
– अनुवाद: प्रवीण नारायण चौधरी
पुराण और वेद केर अनुसार धरती पर सात द्वीप अछि – जम्बू, प्लक्ष, शाल्मली, कुश, क्रौंच, शाक एवं पुष्कर। एहि मे सँ जम्बू द्वीप सबहक बीचोबीच स्थित अछि। पहिले संपूर्ण हिन्दू जाति जम्बू द्वीप पर शासन करैत छल। फेर ओकर शासन घटिकय भारतवर्ष धरि सीमित भऽ गेल। जम्बू द्वीप केर 9 खंड अछि :- इलावृत, भद्राश्व, किंपुरुष, भरत, हरि, केतुमाल, रम्यक, कुरु और हिरण्यमय।
एहि सब मे भरत खंड टा केँ भारतवर्ष कहल जाइत अछि जेकर नाम पहिले अजनाभ खंड छल। एहि भरत खंड केर सेहो नौ खंड छल – इन्द्रद्वीप, कसेरु, ताम्रपर्ण, गभस्तिमान, नागद्वीप, सौम्य, गंधर्व और वारुण तथा ई समुद्र सँ घेरल द्वीप ओहिमे नौमी अछि। एहि संपूर्ण क्षेत्र केँ महान सम्राट भरत केर पिता, पितामह और भरत केर वंश बसेने छलाह।
यैह भारत वर्ष अफगानिस्तान केर हिन्दुकुश पर्वतमाला सँ अरुणाचल केर पर्वत माला और कश्मीर केर हिमालक चोटी सँ कन्याकुमारी धरि पसरल छल। दोसर बात जे ई हिन्दूकुश सँ अरब सागर धरि और अरुणाचल सँ बर्मा धरि पसरस छल। एकर अंतर्गत वर्तमानक अफगानिस्तान, बांग्लादेश, नेपाल, भूटान, बर्मा, श्रीलंका, थाईलैंड, इंडोनेशिया और मलेशिया आदि देश अबैत छल। एकर प्रमाण आइयो मौजूद अछि।
एहि भरत खंड मे कुरु, पांचाल, पुण्ड्र, कलिंग, मगध, दक्षिणात्य, अपरान्तदेशवासी, सौराष्ट्रगण, तहा शूर, आभीर, अर्बुदगण, कारूष, मालव, पारियात्र, सौवीर, सन्धव, हूण, शाल्व, कोशल, मद्र, आराम, अम्बष्ठ और पारसी गण आदि रहैत छल। एकर पूर्वी भाग मे किरात और पश्चिमी भाग मे यवन बसल छल।
के बसौने छला भारत केँ…
त्रेतायुग मे अर्थात भगवान राम केर कालक हजारों वर्ष पूर्व प्रथम मनु स्वायंभुव मनु केर पौत्र और प्रियव्रत केर पुत्र एहि भारतवर्ष केँ बसौलनि, तखन एकर नाम किछु आर छल।
वायु पुराण केर अनुसार महाराज प्रियव्रत केँ अपन कोनो पुत्र नहि छलन्हि तैँ ओ अपन पुत्रीक पुत्र अग्नीन्ध्र केँ गोद लऽ लेने छलाह जेकर पुत्र नाभि छल। नाभि केर एक पत्नी मेरू देवी सँ जे पुत्र उत्पन्नभेलओकर नाम ऋषभ छल। एहि ऋषभ केर पुत्र भरत छला तथा यैह भरत केर नाम पर एहि देशक नाम ‘भारतवर्ष’ पड़ल। हालांकि किछु लोक मानैत अछिजे राम केर कुल मे पूर्वहि मे जे भरत भेलाहुनकर नाम पर भारतवर्ष नाम पड़ल। एतय बता दी जे पुरुवंश केर राजा दुष्यंत और शकुन्तलाक पुत्र भरत केर नाम पर भारतवर्ष नहि पड़ल।
एहि भूमि केर चयन करबाक कारण छल जे प्राचीनकाल मे जम्बू द्वीप टा एकमात्र एहेन द्वीप छल, जतय रहबाक लेल उचित वातारवण छल और ओहि मे सेहो भारतवर्ष केर जलवायु सबसँ उत्तम छल। एतहि विवस्ता नदीक पास स्वायंभुव मनु और हुनक पत्नी शतरूपा निवास करैत छलाह।
राजा प्रियव्रत अपन पुत्रीक 10 पुत्र मे सँ 7 केँ संपूर्ण धरतीक 7 महाद्वीपक राजा बनौने छलाह आ अग्नीन्ध्र केँ जम्बू द्वीप केर राजा बना देने छलाह। एहि तरहें राजा भरत द्वारा जाहि क्षेत्र अपन पुत्र सुमति केँ देलनि वैह भारतवर्ष कहायल। भारतवर्ष अर्थात भरत राजा केर क्षेत्र।
1. भरत एक प्रतापी राजा एवं महान भक्त छलाह। श्रीमद्भागवत केर पञ्चम स्कंध एवं जैन ग्रंथ मे हुनक जीवन एवं अन्य जन्मक वर्णन अबैत अछि। महाभारतक मुताबिक भरत केर साम्राज्य संपूर्ण भारतीय उपमहाद्वीप मे व्याप्त छल जाहिमे वर्तमान भारत, पाकिस्तान, अफगानिस्तान, उज्बेकिस्तान, ताजिकिस्तान, किर्गिज्तान, तुर्कमेनिस्तान तथा फारस आदि क्षेत्र शामिल छल।
2. प्रथम राजा भरतक बाद औरो कतेको भरत भेला। 7म मनु वैवस्वत कुल मे एक भरत भेला जिनकर पिताक नाम ध्रुवसंधि छल और जिनक पुत्रक नाम असित और असितक पुत्रक नाम सगर छल। सगर अयोध्याक बहुत प्रतापी राजा भेलाह। यैह सगर केर कुल मे भगीरथ भेला, भगीरथ केर कुल मे ययाति भेला (ई चंद्रवशी ययाति सँ अलग छलाह)। ययातिक कुल मे राजा रामचंद्र भेला और राम केर पुत्र लव और कुश तऽ संपूर्ण धरती पर शासन केलनि।
3. भरत : महाभारतक काल मे एकटा तेसर भरत भेला। पुरुवंश केर राजा दुष्यंत और शकुंतला केर पुत्र भरतक गणना ‘महाभारत’ में वर्णित 16 सर्वश्रेष्ठ राजा सबमे कैल जाइत अछि। कालिदास कृत महान संस्कृत ग्रंथ ‘अभिज्ञान शाकुंतलम’ केर एक वृत्तांत अनुसार राजा दुष्यंत आरहुनक पत्नी शकुंतलाक पुत्र भरत केर नाम सँ भारतवर्ष केर नामकरण भेल। मरुद्गणक कृपा सँ मात्र भरत केँ भारद्वाज नामक पुत्र भेटलनि। भारद्वाज महान ऋषि छलाह। चक्रवर्ती राजा भरत केर चरितक उल्लेख महाभारत केर आदिपर्व मे सेहो अछि।
वैवस्वत मनु : ब्रह्माक पुत्र मरीचि केर कुल मे वैवस्वत मनु भेला। एक बेर जलप्रलय भेल और धरतीक अधिकांश प्राणी मैर गेल। ओहि समय मे वैवस्वत मनु केँ भगवान विष्णु बचौने छलाह। वैवस्वत मनु और हुनक कुल केर लोके सब फेर सँ धरती पर सृजन और विकास केर गाथा लिखलनि।
वैवस्वत मनु केँ आर्य सबहक पहिल शासक मानल जाइत अछि। हुनजे 9 पुत्र सँ सूर्यवंशी क्षत्रिय केर प्रारंभ भेल। मनुक एक कन्या सेहो छलीह – इला। हुनक विवाह बुध सँ भेल, जे चंद्रमाक पुत्र छलाह। हुनका सँ पुरुरवस् केर उत्पत्ति भेल, जे ऐल कहेला आ जे चंद्रवंशी केर प्रथम शासक भेला। हुनक राजधानी प्रतिष्ठान छल, जतय आइ प्रयागक नजदीक मे झांसी बसल अछि।
वैवस्वत मनु केर कुल मे कईएको महान प्रतापी राजा भेला जाहि मे इक्ष्वाकु, पृथु, त्रिशंकु, मांधाता, प्रसेनजित, भरत, सगर, भगीरथ, रघु, सुदर्शन, अग्निवर्ण, मरु, नहुष, ययाति, दशरथ और दशरथक पुत्र भरत, राम और रामक पुत्र लव और कुश। इक्ष्वाकु कुल सँ टा अयोध्या कुल चलल।
राजा हरीशचंद्र : अयोध्याक राजा हरीशचंद्र बहुते सत्यवादी और धर्मपरायण राजा छलाह। ओ अपन सत्य धर्म केर पालन करबा और वचन केँ निभेबाक लेल राजपाट छोड़िकय पत्नी और बच्चाक संग जंगल चलि गेला और ओतहुओ विषम परिस्थिति मे सेहो धर्म केर पालन केलनि।
ऋषि विश्वामित्र द्वारा राजा हरीशचंद्रक धर्म केर परीक्षा लेबाकवास्तेहुनका सँ दान मे हुनकर संपूर्ण राज्य मांगि लेल गेल छल। राजा हरीशचंद्र सेहो अपन वचन केर पालन हेतु विश्वामित्र केँ संपूर्ण राज्य सौंपिकय जंगल मे चलि गेलाह। दान मे राज्य मांगलाक बादो विश्वामित्र हुनकरपाछाँ नहि छोड़लनि और हुनका सँ दक्षिणा सेहो मांगय लगला।
तखन हरीशचंद्र अपन पत्नी, बच्चा सहित स्वयं केँ बेचबाक निश्चय केलनि और ओ काशी चलि गेला, ओतय पत्नी आ बच्चा केँ एक ब्राह्मण केँ बेचि ओ स्वयं केँ चांडालक ओतय बेचिकय मुनिक दक्षिणा पूरा केलनि।
हरीशचंद्र श्मशान मे कर असूलीक काज मे लागि गेला। एहि बीच पुत्र रोहित केँ सर्पदंश सँ मृत्यु भऽ जाइत अछि। पत्नी श्मशान पहुंचैत छथि, जतय कर चुकेबाक वास्तेहुनका पास एकटा फूट कौड़ियो तक नहि रहैत अछि।
हरीशचंद्र अपन धर्म पालन करैत कर केर मांग करैत छथि। एहेन विषम परिस्थिति मे सेहो राजाक धर्म-पथ नहीं डगमगा सकल। विश्वामित्र अपन अंतिम चालि चलैत हरीशचंद्रक पत्नी केँ डायनक आरोप लगाकयहुनका मरबेवाक लेल हरीशचंद्र केँ जिम्मा सौंपैत छथि।
तखन हरीशचंद्र आंखि पर पट्टी बान्हि जखनहि वार करैत छथि, स्वयं सत्यदेव प्रकट भऽ हुनका बचबैत छथि, ओतहि विश्वामित्र सेहो हरीशचंद्र केर सत्य पालन धर्म सँ प्रसन्न होइत साबटा साम्राज्य वापस कय दैत छथि। हरीशचंद्र केर शासन मे जनता सबतरहें सुखी और शांतिपूर्ण छल। यथा राजा तथा प्रजा।
राजा सुदास : सम्राट भरत केर समय मे राजा हस्ति भेला जे अपन राजधानी हस्तिनापुर बनौलनि। राजा हस्ति केर पुत्र अजमीढ़ केँ पंचालक राजा कहल गेल अछि। राजा अजमीढ़क वंशज राजा संवरण जखन हस्तिनापुर केर राजा छलाह तऽ पंचाल मे हुनकर समकालीन राजा सुदास केर शासन छल।
राजा सुदास केँ संवरण सँ युद्ध भेल जेकर किछु विद्वान ऋग्वेद मे वर्णित ‘दाशराज्य युद्ध’ सँ जानैत छथि। राजा सुदासक समय पंचाल राज्य केर विस्तार भेल। राजा सुदासक बाद संवरण केर पुत्र कुरु शक्ति बढ़बैत पंचाल राज्य केँ अपन अधीन कय लेलनि तहिये सँ ई राज्य संयुक्त रूप सँ ‘कुरु-पंचाल’ कहायल, परंतु किछु समय बाद पंचाल पुन: स्वतंत्र भऽ गेल।
राजा कुरुक नाम पर सरस्वती नदीक समीपक राज्य कुरुक्षेत्र कहायल। मानल जाइत अछि जे पंचाल राजा सुदास केर समय मे भीम सात्वत यादवक बेटा अंधक सेहो राजा छलाह। एहि अंधक केर बारे मे पता चलैत अछि जे शूरसेन राज्य केर समकालीन राज्यक स्वामी छलाह। दाशराज्य युद्ध मे ईहो सुदास सँ हारि गेला। एहि युद्धक बाद भारत केर किस्मत बदैल गेल। समाज मे दू फाड़ बनि गेल।
क्रमश:………………………