–कीर्ति नारायण झा
मिथिला आ पावनि तिहार एक दोसर केर पूरक मानल जाइत अछि। एहि ठाम बारहो मास आ छत्तीसो दिन कोनो ने कोनो पाबनि होइते रहैत अछि। सर्वे भवन्तु सुखिनः के आधार मानि कऽ एहिठामक पावनि तिहार बनाओल गेल अछि। परिवार, समाज, गाम, देश आ जगत केर कल्याण हेतु एहिठामक सभ पाबनि के आधार होइत अछि। परिवार के कल्याण के संदर्भ में समस्त परिवार हेतु छैठ पावनि, पति के दीर्घ आयु हेतु बट सावित्री आ भाई के दीर्घ आयु हेतु भरदुतिया पावनि मनाओल जाइत अछि। भाई बहिनक श्रद्धा आ स्नेह केर प्रतीक ई पावनि अद्भुत होइत अछि। एकटा बहिन अपन भाई के अपना ओहिठाम बजा कऽ हुनका सँ नओत लैत छैथि आ भाई के दीर्घ आयु के लेल भगवान सँ कामना करैत छैथि। भगवान श्रीकृष्ण अपन बहिन सुभद्रा के ओहिठाम एहि पाबनिमे नओत लेबाक लेल उपस्थित भेल छलाह ओना एहि पावनि के प्रारम्भ सूर्य आ संध्या के पुत्री यमुना अपन भाई यमराज के अपना ओहिठाम बजाओने छलखिन्ह मुदा यम ई सोचि कऽ जे हमर काज लोकक प्राण लेनाइ अछि आ अपना के अशुभ मानि कऽ ओ अपन बहिन के ओहिठाम उपस्थित नहिं होमय चाहैत छलाह मुदा बहिन केर जिद के समक्ष यम विवश भऽ कऽ बहिन यमुना के ओहिठाम नओत लेवाक लेल पहुँचैत छैथि। यमुना भोरहि सँ भूखल अपन आंगन के नीपि कय चाउर के पीसल पीठार सँ अरिपण कऽ कऽ काठक पीढी के पीठार सँ लिखि कय तैयार कयने छलीह संगहि कुमहर के फूल पानक पात, सौंस सुपारी, मखान आ द्रव्य लऽ कऽ अपन भाई यम सँ नओत लैत छैथि। ई देखि भाई यम बहुत प्रसन्न होइत छैथि। पवित्र आ सचार लागल भोजन खयलाक उपरान्त यम अपन बहिन यमुना सँ कहैत छथिन्ह जे बहिन अहाँ वरदान माँगू आ यमुना भाई यम सँ कहैत छथिन्ह जे दुनिया के सभ भाई अमर भऽ जाइथ मुदा यम कहैत छथिन्ह जे बहिन। जकर जन्म भेलैक अछि ओकर मृत्यु अवश्य हेतैक तें हम अमरत्व के वरदान तऽ नहिं दऽ सकैत छी मुदा हँ एतवा अवश्य कऽ सकैत छी जे श्रद्धा सँ एहि पावनि के करय बाली बहिनक भाई के औरदा के दीर्घ आयु प्रदान कऽ सकैत छी। यमुना स्वीकार कऽ लैत छैथि तें एहि पावनि मे नओत लेवाक काल ई मंत्र पढल जाइत छैक जे “यमुना नोतैइ छथि यम के, हम नोतैइ छी भाई के, जहिना गंगा यमुना के धार बहय, तहिना हमर भाई के औरदा बढय”। भाई बहिन में सभ सँ छोट होयवाक कारणे हम भरदुतिया में सभ बहिन के ओहिठाम साइकिल लऽ कऽ नओत लेवाक लेल जाइत छलहुँ आ तीनू बहिन के ओहिठाम भरि पेट भोजन करैत छलहुँ। विभिन्न प्रकारक ब्यंजन में तिलकोरक पात केर तरुआ, आलू आ भाँटा के तरूआ, पापड़, आलू कोबी के डालना रंग बिरंग केर दनौरी, तिसियौरी इत्यादि सँ थारी भरल रहैत छल। जँ सारांश के रूप में कही त ओहि थारी में बहिनक स्नेह रूपी अनमोल ब्यंजन परोसल जाइत छल। धन्य मिथिला आ मिथिलांचलक भाई बहिनक ई सिनेहमयी भरदुतिया पावनि 🙏🙏🙏