सावधान नेपाली जनता
नेपाल मे नव स्थापित संघीयता आ लोकतांत्रिक गणतंत्र केँ बचेबाक लेल विभिन्न राजनीतिक दल अपन अपन प्रयास मे जी-जान लगौने अछि। 4 मंसिर चुनाव होयत। प्रतिनिधि सभा आ प्रदेश सभा दुनू के चयन दोसर बेर करत जनता।
पहिल बेर के अनुभव बहुत खट्टा मीठा अछि। स्थानीय निकाय के चुनाव दोसर बेर सफलता पूर्वक सम्पन्न भ गेल अछि। नव संविधान के कतिपय धारा प्रति सन्तोष-असन्तोष यथावत अछि। लगभग सब दल अपूर्ण, असिद्ध, अयोग्य आ असफल रहल पहिल कार्यकाल मे। तेँ जनता के दृष्टिकोण मे मिश्रित प्रतिक्रिया रहबाक यथास्थिति सँ सब घबरायल अछि।
गठबंधन के नया प्रयोग स्थापना काल मे अछि। कियो केकरो शत्रु नहि, कियो केकरो मित्र नहि, आइ दोस्त त काल्हि दुश्मन आ मिलिजुलि खाउ राजा घर जाउ वला नीति पर राज्य सत्ता के लिप्सा सब मे स्पष्ट छैक।
दोसर कार्यकाल परिपक्वता बढ़त से सुनिश्चित अछि। अराजक आ राष्ट्रीय हित के विरूद्ध अंधराष्ट्रवाद के हवा दयवला शक्ति केँ हार वांछित अछि। जनता मे वितृष्णा नहि, धैर्यपूर्वक आगू के अवसर तय करबाक जनादेश देबाक मनःस्थिति हो। ई आजुक जरूरत थिक।
राजनीतिक दल सभक अपरिपक्वता प्रति विद्रोह के बेर नहि भेल हँ। एक-दुइ मौका देलाक बादे नव व्यवस्था ढंग सँ लागू होयत। अनागरिक आ मताधिकार सँ वंचित लाखों नेपाली जनता लेल सब सँ बेसी दुःखक स्थिति रहितो किछु समय प्रतीक्षा आर करबाक बाध्यता अछि। सब किछु सही होयत।
प्रतिगमन के दुरेच्छा रखनिहार सँ सावधान रहू। असीम कष्ट थिकैक राज्यविहीन होयब, लेकिन करब की, किछु आर प्रतीक्षा करू। दोसर कार्यकाल आरम्भ होइत देरी संविधान केँ पैर तर कुचलबाक मनसाधारी केर हिसाब कयल जायत से आश्वस्त रहू।
बहुत सुधार चाही। न्याय व्यवस्था मे सेहो आ प्रशासन मे सेहो, संचार आ लोकाभिचार सब मे राष्ट्रीयता केँ सबल बनेबाक जरूरत अछि। सब हेतय। आशावान रहू। मताधिकार गलत जगह नहि हुए से सब प्रयास करय जाउ।
हरिः हरः!!