भारतीय मिथिला भूभाग केँ राज्य बनेबाक मांग करयवला सामाजिक-राजनीतिक संस्था अखिल भारतीय मिथिला राज्य संघर्ष समिति द्वारा नेपाल मे उठि रहल नागरिकता सम्बन्धी वाद-विवाद आ ताहि मे अङ्गीकृत नागरिकता प्रदान करबाक विन्दु पर देल जा रहल नव-नव तर्क प्रति संज्ञान लैत नेपाली राजदूतावास नई दिल्ली मे एक ज्ञापन पत्र दैत एहि तरहक अराजक राजनीति सँ बचबाक आ नेपाल-भारत सम्बन्ध केर वैशिष्ट्यक रक्षार्थ बेटी-रोटीक सम्बन्ध केँ अनवरत निभेबाक मांग कयल गेल अछि। यथार्थता यैह छैक जे हजारों वर्ष पूर्व सँ नेपाल आ भारत के लोक आपस मे वैवाहिक सम्बन्ध आ सांस्कृतिक-भाषिक अन्तर्सम्बन्ध केँ जियैत आबि रहल अछि। नेपालक विदेश नीति मे कतबो समदूरस्थ आ असंलग्न परराष्ट्र नीतिक अवधारणा पर प्रचार-प्रसार कयल जाय, परञ्च जन-जन बीचक सम्बन्ध सिर्फ आ सिर्फ भारत संग रहबाक कठोर सत्य केँ कियो नहि काटि सकैत अछि। एहेन स्थिति मे अङ्गीकृत नागरिकता केँ विवादक जाल मे ओझराकय जनस्तरीय सम्बन्ध केँ कमजोर करबाक षड्यन्त्र होयबाक स्थिति स्पष्ट भ’ रहल अछि।
सच छैक जे जखन-जखन राजनीतिक स्थिति-परिस्थिति अराजक बनैत छैक आ ताहि पर जनमानस मे प्रतिक्रिया आरम्भ होइत छैक त फेर बुझि जाउ कोनो न कोनो खतरा आबयवला अछि। हम सब सच मे बहुत दुःखी छी जे अङ्गीकृत नागरिकता के वास्ते ५ वर्ष या ७ वर्ष प्रतीक्षा उपरान्त नागरिकता देबाक विन्दु पर आपसी विवाद मे ७ लाख युवा केँ अनागरिक बनाकय रहय लेल बाध्य कयल गेल छैक। ई ७ लाख युवा के दोष एतबा छैक जे एकरा सभक पिताक नागरिकता ‘जन्मसिद्ध’ आधार पर विगत मे देल गेलैक। ताहि समय बाकायदा टोली खटाकय ७ दल के स्थानीय प्रतिनिधि केँ गवाही राखिकय नागरिकता बाँटल गेल छलैक। लेकिन बाद मे ओकर सन्तान केँ नागरिकता नहि देल जा सकबाक विवाद ठाढ़ कय – कानून के अभाव के नाम पर आइ लगभग १० वर्ष सँ नागरिकता प्रदान नहि कयल जा सकलैक अछि। जखन कि नेपाल मे नागरिकता एकमात्र पहिचान के आधार आ बिना नागरिकता प्रमाणपत्र एतुका लोक कोनो वैधानिक कार्य पूरा नहि कय सकैत अछि, नहिये उच्च शिक्षा प्राप्त कय सकैत अछि, नहिये कोनो लाइसेन्स प्राप्त कय सकैत अछि, न बैंक खाता खोलि सकैत अछि, न कोनो जमीन-जायदात अपना नामे कीन या बेचि सकैत अछि…. एतेक तक कि कोरोना महामारी सँ त्रस्त रहितो ओकरा सब केँ एखन तक नागरिकता प्रमाणपत्र बिना टीका तक नहि लगायल गेलैक अछि। एहेन घोर अमानवीय व्यवहार राज्य द्वारा अपनहि देशक नागरिक पर करबाक वीभत्स उदाहरण दोसर कि होयत?
एहनो दुरावस्था मे नागरिकता संशोधन विधेयक के नाम पर दलीय राजनीति चरम अराजक मिलीभगत करैत ओहि वंचित नागरिक केँ न त नागरिकता प्रदान करैत अछि आ ने ओकरा सभक वास्ते तत्काल आने कोनो पहिचान पत्र जारी करैत ओकरा आधारभूत मौलिक अधिकार प्राप्त करबाक अधिकार दय रहल अछि। उल्टा जनता मे भ्रम के जाल पसारि रहल अछि ई राजनीतिक दल सब। नागरिकता के नाम पर विदेशी नागरिकता लय लेत, भारत सँ आबि रहल विवाहित दुल्हिन केँ एक हाथे सिन्दुर आ दोसर हाथे नागरिकता, आदि अनेकों कुतर्कपूर्ण कुप्रचार कय केँ जनमानस मे जहर घोरि रहल अछि। एहि तरहें दशकों-दशकों के संघर्ष आ सैकड़ों लोकक बलिदानी सँ प्राप्त नव संविधान, नव व्यवस्था आ नव विकास केर अवसर आ शान्तिपूर्ण चुस्त-दुरुस्त प्रशासन, सुरक्षा आ न्याय व्यवस्था आदि केँ फेर सँ खलबलाकय देश मे द्वंद्व केँ आमंत्रित कयल जेबाक खतरनाक अवस्था बनय लागल अछि। अतिरंजना आ अराजकता सँ दूर रहब जरूरी अछि। एखन एतबे।
हरिः हरः!!