” शिव शक्तिक आराधक मिथिला “

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— रिंकू झा         

शिव आर शक्ति एक दोसर स ओहि तरहे युक्त छैथ, जेना सूर्य आर ओकर प्रकाश, दूध आर ओकर सफेदी, अग्नि आर ताप । शिव में ” ई” कारे शक्ति स्वरूप छैथ। शिव स “ई,” कार निकाली देला स केवल शव रही जाय छै, शव में कोनो प्राण नै होई छै।
शास्त्र के अनुसार बिना शक्ति के सहायता स शिव के साक्षातकार नई होई छै।अहि द्वारे शिव आर शक्ति के उपासना साथ _साथ होई छै। शिव के अर्धनारीश्वर रूप ऐकर प्रत्यक्ष प्रमाण छै।
ओना त भारत भूमि पर बहुत मुनि महात्मा जनम लेने छैथ जे अपन _अपन प्रभाव प्रदर्शित केने छेथ।
मुदा मिथिला बासी के भक्ति के बाते अलगए छै।
मिथिला में शिव आर शक्ति दूनू के पूजा समान रूप स होई छै, कहल जाय छै की जाहि ठान शिव रहई छैथ ताहि ठान शक्ति जरूर उपस्थित रहे छैथ। संसार में संतुलन बना क राखय के लेल शिव आर शक्ति दूनु के साथ भेणाय बहुत जरूरी छै।
मिथिला में ओना त सब घर में पुरुष सब मैटक शिवलिंग बना हुंनकर पूजा नित्य करै छैथ, मुदा अखार मास आर सावन में कीछ बेसीये प्रभाव प्रदर्शित हेत । कहल जाय छै की शिव के भक्ति के प्रमाण मिथिला के प्रसिद्ध व्यक्ति कवि कोकिल विद्यापति जी स भेटल अछी, विद्यापति जी के शिव के प्रति एतेक भक्ति रहैण की हुनकर निश्छल भक्ति के आगा मजबूर भ क आराध्यदेब स्वैंज्ञ अपन भक्त के पास एबी गेल रहथींन। आर हुनकर गीत सुनि नाचय लागाई छलखिन, विद्यापति जी के भक्ति देखी शिव उगना नामक नौकर बनी हुनकर सेवा करै छलखींन।
मिथिला में ते महादेव के मंदिर बहुत भेटत जेना कपिलेश्वर स्थान , बीदेश्वर बाबा , कुशेश्वर बाबा ,उगना महादेव आदि
त एत शक्ति त रहबे करथींन, कहावत छै की मिथिला में मां शक्ति स्वंग एबी क बास करै छैथ उदाहरण में मां सीता के ल लिय। मिथिला देवी उपासना के लेल प्रसिद्ध छै कोनो घर एहन नई भेटत जत गोसाऊंन नई छै,सब घर में भगवती पूजा महिला लोकनि करै छैथ, समय विशेष पर सिंदूरहार देल जाय छै, पातैर परए छै, समस्त मिथिला में देवी पूजा बहुत धूम धाम स मनेल जाए या। अहि ठान एक स एक शक्ति पीठ छै। जेना उच्चैठ भगवती , श्यामा माई मंदिर, नवादा भगवती, शेकरा भगवती, आदि
संदर्भ में येह कहब की मिथिला में शिव आर शक्ति दूनू के समान अराधक छैथ कारण एक दोसर के बिना निरथर्क छै, शिव आर शक्ति रिंकु झा