विराटनगर, २० सितम्बर २०२२ । मैथिली जिन्दाबाद!!
मैथिली आ लिम्बू भाषा होयत सरकारी कामकाजी भाषा – नेपालक प्रदेश १ केर मंत्री संग निर्णायक बैसार
प्रदेश १ मे मैथिली तथा लिम्बू भाषा केँ सरकारी कामकाज के भाषा बनेबाक मस्यौदा पर मैथिली भाषाभाषी एवं लिम्बू भाषाभाषी समुदाय केर संयुक्त विमर्श कार्यक्रम होटल एशियाटिक विराटनगर में सम्पन्न भेल। मस्यौदा सुझाव कार्यदल के संयोजक सहित समस्त ९ सदस्य के उपस्थिति आ दुनू भाषा के विभिन्न विज्ञ एवं सरोकार रखनिहार भिन्न भिन्न जातीय संस्था के प्रमुख व्यक्ति सभक संग आजुक अंतिम निष्कर्ष निकालय वला बैसार सम्पन्न भेल अछि। माननीया पर्यटन तथा संस्कृति मंत्री खिनू लङ्गवा लिम्बूक प्रमुख आतिथ्य छल।
मैथिलीक प्रतिनिधित्व कय रहली कानूनविद् संजू साह द्वारा सत्र संचालन कयल गेल, तहिना संयोजक महोदय द्वारा अध्यक्षता आर कार्यदल सदस्य डा. एस. एन. झा, संस्थागत प्रतिनिधित्व करैत मैथिली सेवा समितिक उपाध्यक्षा डा. योगेन्द्र प्रसाद यादव, कार्यदल केर अन्य सदस्य रामरिझन यादव, सदस्य सचिव भेषराज न्योपाने केर संछिप्त सम्बोधन उपरान्त विभिन्न संस्थागत प्रतिनिधि लोकनि अपन-अपन सुझाव देने रहथि।
मैथिली एसोसिएशन नेपालक अध्यक्ष प्रवीण नारायण चौधरी द्वारा राखल गेल सुझाव निम्न छलः
१. परिच्छेद १ केर धारा २ (क) मे ‘मिथिलाक्षरमा लेखिने मैथिली’ के बदला ‘मिथिलाक्षरमा अथवा देवनागरीमा लेखिने मैथिली’ होयबाक चाही।
२. परिच्छेद २ केर धारा ३ (२) मे ‘आदिवासीको मातृभाषालाई’ उद्धृत करबाक बदला ‘समस्त नेपालवासीको मातृभाषालाई’ उद्धृत करबाक आग्रह कयल गेल। कारण आदिवासी मात्र उल्लेख कयला सँ संविधान मे परिभाषित आदिवासी क्लस्टर के लोक मात्र बुझल जेबाक आशंका होयत। तर्क देल गेल जे भाषा एक निश्चित भूगोल सँ जुड़ल रहैत छैक, कोनो खास क्लस्टर के नाम उल्लेख कयला सँ ऐन झंझटिया हेबाक जोखिम रहत।
३. परिच्छेद ३, धारा ८ मे हदम्याद के विवरण ऐन मे रहत या कार्यविधि मे तेकरा फरिछेबाक निवेदन कयल गेल।
४. परिच्छेद ३, धारा ९ मे सेहो राखल गेल विवरण ऐन के हिस्सा होयत या कार्यविधि के ताहि पर फरिछेबाक आग्रह कयल गेल।
५. परिच्छेद ३, धारा १३ मे उल्लेखित भाषा आयोग संग आदिवासी जनजाति आयोग आ मधेशी आयोग केँ सेहो जोड़ब कतेक समुचित आ सान्दर्भिक होयत ताहि पर ध्यानाकर्षण करैत भाषा सम्बन्धी सब बात लेल भाषा आयोग मात्र रखबाक आग्रह कयल गेल। संगहि, संविधान द्वारा तोकल अवधि लेल मात्र आयोग सभक अस्तित्व रहबाक अवस्था मे एना विभिन्न आयोग केर चर्चा कय केँ सरकारी कामकाज सम्बन्धी ऐन केँ जटिल नहि बनेबाक आग्रह कयल गेल।
६. परिच्छेद ४, धारा १५ उपधारा १ मे स्थानीय निकाय केँ सेहो जोड़बाक आग्रह कयल गेल। उपधारा २ मे भाषा आयोग द्वारा सुनिश्चित कयल गेल ‘आधार’ के जिकिर ऐन मे कोन हिसाब सँ कयल गेल से जिज्ञासा राखल गेल। जँ भाषा आयोग केर प्रतिवेदन मे एहि तरहक आधार सभक व्याख्या कयल जा चुकल हो तखन त उल्लेख कयला सँ कोनो जटिलता नहि आओत, अन्यथा ई उल्लेख करब झंझटिया होयत।
७. परिच्छेद ६ के धारा १७ मे एकटा आर उपदफा जोड़ि मातृभाषा माध्यम सँ शिक्षा व्यवस्था मे अनिवार्यता के भाव जोड़बाक आग्रह कयल गेल। प्रस्तुत मस्यौदा (ड्राफ्ट) मे सिर्फ शिक्षा उपलब्ध करेबाक बात कहल गेल अछि, अनिवार्यता बिना एकरा लागू करय मे कोनो कठिनाई नहि हो ताहि पर ध्यानाकर्षण कयल गेल।
८. परिच्छेद ६ के धारा २० आ उपधारा २ मे उल्लेख ‘राष्ट्रभाषा विकास प्रतिष्ठान’ केँ अन्यत्र आ स्वयं ऐन मे उल्लेख कयल गेल टर्म ‘भाषा विकास प्रतिष्ठान’ सँ प्रतिस्थापित करय लेल सुझाव देल गेल।
९. परिच्छेद ७ अन्तर्गत ‘भाषा विकास प्रतिष्ठान’ के प्रारूप के चर्चा कयल गेल अछि, लेकिन ई सिर्फ सरकारी कामकाजक मान्यता प्राप्त भाषा लेल होयत अथवा आनहु-आनहु भाषा लेल से स्पष्ट नहि भेल अछि, तेकरा आर स्पष्टता सँ वर्णन करबाक आग्रह कयल गेल। संगहि मैथिली, लिम्बू व अन्य विभिन्न भाषा सभक स्वतंत्र विकास प्रतिष्ठान पर ऐन के मौनता पर सेहो ध्यानाकर्षण कयल गेल।
बाकी अधिवक्ता रामलाल सुतिहार, फिल्म निर्देशक संतोष सरकार, राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ता पंकज वर्मा, वसुन्धरा झा, राजेश झा, आदिक संग मैथिली साहित्यकार शिव नारायण पंडित सिंगल, मैथिली सेवा समितिक वरिष्ठ उपाध्यक्ष फूल कुमार देव, विभिन्न जातीय संघ-संस्थाक प्रतिनिधि लोकनि सब सेहो अपन-अपन सुझाव लिखित मे मस्यौदा सुझाव समिति केँ लिखित मे सौंपलनि।
मंत्री खिन्वा लङ्गवा लिम्बू द्वारा आजुक बैसार केँ सम्बोधित करैत आश्वासन देल गेल जे ई एकटा ऐतिहासिक परिवर्तनक काज होमय जा रहल अछि। एहि मे सभक सुझाव केँ कतेक तक समेटल जा सकैत अछि ताहि पर ओ ध्यान देती। लेकिन सब सँ पैघ बात जे एकल भाषा नीति सँ इतर नव संघीय लोकतांत्रिक गणतंत्र नेपाल के प्रदेश १ सँ ई महान कार्य आरम्भ भ’ रहल अछि जे मैथिली आ लिम्बू भाषा केँ सरकारी कामकाजी भाषाक रूप मे मान्यता देल जा रहल अछि।
उपस्थित सभासद लोकनि सेहो काफी उत्साहित रहथि आ सब कियो प्रदेश १ सरकार केर एहि ऐतिहासिक डेग लेल कृतज्ञता ज्ञापित कयलथि। आजुक सभा मे आभा अनुपमा, साधना झा, कन्हैया साह, अमित साह, दीपेन्द्र स्वर्णकार, मो. आजाद मियाँ, वीरेन्द्र झा, सन्तोष सरकार, कुमार पृथु, शंकर रौनियार, गणेश साह, प्रा. डा. राजनारायण यादव, अमर झा, सुनील कुमार झा, सन्तोष कुमार देव मैथिली भाषी समाजक तरफ सँ सहभागिता जनौलनि। तहिना लिम्बू भाषीक तरफ सँ सेहो कार्यदल सदस्यक अतिरिक्त अनेकों गणमान्य व्यक्तित्व लोकनिक उपस्थिति देखल गेल।
हरिः हरः!!