केहेन रहल जितिया पर्व समारोह २०७९ः विराटनगर सँ रचल इतिहास पर संछिप्त प्रतिवेदन

विराटनगर, ११ सितम्बर २०२२ । मैथिली जिन्दाबाद!!

– प्रवीण नारायण चौधरी

जितिया पर्व समारोह २०७९ भव्यता सँ सम्पन्न

११म आयोजन केँ ऐतिहासिक महत्वक सिद्ध कयलनि नेपालक पूर्व प्रधानमंत्री के पी ओली प्रमुख आतिथ्य प्रदान कय केँ।

सन्तान के दीर्घायु संग सुख-समृद्धि वास्ते माता सब जे कठोर व्रत साधना करैत छथि तथा ई पाबनि मनेबाक परम्परा में सामुहिकता, एकजुटता आ बिना कोनो भेदभाव समानता के जे सन्देश अछि तेकरा समारोह रूप में मनायल जाइत अछि। आर, समारोह मार्फ़त भाषा-सँस्कृति के संरक्षण, संवर्धन आ प्रवर्धन संग महिला सशक्तिकरण के दूरगामी लक्ष्य सिद्ध कयल जाइत अछि।

नेपाल में विगत किछु दशक राजनीतिक परिवर्तन के संक्रमणकाल रहल आर ताहि क्रम में एक सामाजिक राजनीतिक नेतृ वसुन्धरा झा द्वारा संकल्पपूर्वक ई आयोजन २०६९ में शुरू कयल गेल। पहिल आयोजन २०६९ साल मे मारवाड़ी सेवा सदन सँ आरम्भ भेल छल। एकर संयोजन स्वयं वसुन्धरा झा कएने रहथि। २०७० साल मे एहि आयोजन केँ वृहत् स्तर पर खुला मैदान मे कयल गेल तथा समारोह कोना मनायल जेबाक चाही तेकर एकटा ठोस साहित्यक विकास कयल गेल, एकर संयोजन सौभाग्यवश हम स्वयं कएने रही आ संकल्पकर्ता वसुन्धरा झा जनसहभागिताक सम्पूर्ण कार्य कएने छलीह। विश्वास नहि होइत छल जे घर-अंगनाक चौखटि सँ पर्यन्त नहि निकलयवाली मैथिल-मधेशी महिलाक पैघ संख्या कतहु जुटि जायत… लेकिन सब कल्पना आ सोच केँ गलत सिद्ध करैत नेतृ वसुन्धरा झा केर आमंत्रित हजारों महिलाक जुटान देखि हम सब व्यवस्थापक केँ घबराहट भ’ गेल छल आ दुनू हाथ जोड़ि हम बेर-बेर क्षमाप्रार्थना करैत पब्लिक सँ कोहुना पार लगाबय के अनुरोध कएने रही। तहिये कहने रही जे वसुन्धरा साधारण नेतृ नहि अपितु जननेतृ थिकीह आ स्वयं जानकी के प्रतिरूप मैथिली-मिथिला लेल जनजागरण के क्रान्तिपुरुष सिद्ध हेतीह। आइ, २०७९ धरिक यात्रा कय चुकल अछि। २०७१ सँ निरन्तर वसुन्धरा झा स्वयं आ हिनक अद्भुत सहयोगी पति राजेश झा, सुपुत्री प्रतिभा झा, बहिन भाग्यश्री झा, बहनोई प्रकाश प्रेमी सहित परिवार आ समाजक एक सँ एक सहयोगीक संग ई आयोजन केँ निरन्तरता देने छथि।

२०६९ साल या ताहि सँ पूर्व ‘जितिया पाबनि’ केँ समारोहपूर्वक मनेबाक कतहु कोनो परम्परा नहि भेटैत अछि। तेँ, नेपालदेशक एहि ऐतिहासिक मोरंग केर मुख्यालय आ आब नव संघीय लोकतांत्रिक गणतंत्र नेपाल केर प्रदेश १ केर राजधानी विराटनगर सँ ‘जितिया पर्व समारोह’ केर शुरुआत भेल से ठोकुआ इतिहास थिक। आब ई सगरो पसैर चुकल अछि। जितिया पाबैन सँ जितिया पर्व समारोह केर आयोजन आब अनेकों स्थान पर होबय लागल अछि। सिर्फ विराटनगर मे अनेकों महिला समूह, सांस्कृतिक टोली आ टोल समिति सब जितिया पर्व समारोह केर आयोजन कयल करैत छथि। काल्हिये मैथिल समाज नेपाल, बुटवल द्वारा सेहो भव्यतापूर्वक जितिया पर्व समारोह केर आयोजन भेल। पैछला शनि दिन देव महिला समुदाय केर अगुवाई मे सेहो जितिया पर्व समारोह विराटनगर मे भव्यतापूर्वक आयोजन कयल गेल छल। काल्हि पूर्व प्रधानमंत्री ओली अखिल नेपाल महिला संघ द्वारा सेहो प्रत्येक वर्ष जितिया पर्व समारोह मनायल जेबाक जानकारी देलनि। ओ ईहो कहलनि जे आब ई आयोजन कोनो एक भाषाभाषी के नहि रहि समस्त देश केर आयोजन भ’ गेल अछि।

काल्हिक आयोजन बहुत भव्य आ विशिष्ट छल। एहि मे किछु मांग सेहो राखल गेल। राष्ट्रीय सार्वजनिक छुट्टी देल जेबाक आह्वान कयल गेल। तहिना पूर्व प्रधानमंत्री आ देशक एक पैघ राजनीतिक दल नेकपा एमाले के राष्ट्रीय अध्यक्ष रूप मे श्री ओली जी सँ मैथिली भाषा केँ भाषा आयोग द्वारा कयल गेल सिफारिश अनुसार प्रदेश व स्थानीय निकाय सब मे कामकाजी भाषाक रूप मे लागू करय लेल उचित नीति-नियमन के दिशा मे सहयोग करय लेल मांग कयल गेल। तहिना पूर्वहि जेकाँ एखनहुँ एकल भाषा नीति मुताबिक एक्के टा भाषाक सर्जक-प्रतिभा केँ सम्मानित करबाक यथास्थिति मे सुधार अनबाक दिशा मे ध्यानाकर्षण कयल गेल। प्रदेश-१ मे घोषित सम्मान-पुरस्कार केर दुरावस्था आ मैथिलीक उपेक्षाक दृष्टान्त दैत भविष्य मे मैथिलीक साहित्यकार, कलाकार, पत्रकार आ चित्रकार केँ सेहो सम्मानित करबाक आ पुरस्कार दय प्रोत्साहित करबाक वास्ते ध्यानाकर्षण कयल गेल।

आयोजन मे डा. आभास लाभ, वीरेन्द्र झा व अन्य स्थानीय कलाकार सब द्वारा भव्य-सभ्य सांस्कृतिक कार्यक्रमक नजारा प्रस्तुत कयल गेल। स्वयं प्रमुख अतिथि खूब रुचि लय कय सांस्कृतिक कार्यक्रमक आनन्द उठेलनि। जतय आभास भाइजी व वीरेन्द्रजीक स्वर मे लोक गीतक आनन्द उठौलनि ओतहि विभिन्न स्कूली छात्रा लोकनिक जितिया गीत व अन्य मैथिली लोकगीत पर नृत्यक आनन्द सँ दर्शक दीर्घा भावविभोर भेल छलथि। बुझल बात ई जे जहिया वसुन्धरा झाक अगुवाई के जितिया पर्व समारोह मनैछ तहिया महेन्द्र मोरंग कैम्पस के हाता मे विशाल मेला लगैत अछि, असल मिथिला आ एकर समरस समाज केर दर्शन सँ सब कियो आह्लादित-आनन्दित होइत छथि। जहिना जितिया पाबनिक आध्यात्मिकता मे सामुहिकता-एकजुटता आ समरसताक सिद्धान्त कर्म-व्यवहार मे लागू करबाक विधान अछि, तेकर वास्तविक स्वरूप हिनकर आयोजन मे प्रत्यक्ष देखल जाइत अछि।

प्रमुख अतिथि ओलीजी अपन चिर-परिचित शैली मे बहुत रास बात बतौलनि जाहि मे महत्वपूर्ण तथ्य यैह छल जे विदेहराज केर प्राचीनता आ विश्व समुदाय प्रति दर्शन-ज्ञान-आध्यात्मक योगदान एहि नेपाल भूमि सँ भेल तेकर महिमामंडन ओ कयलनि। ओ अपन पूर्वमत जे ‘अयोध्या नेपालहि केर ठोरी मे छल’ तेकरा पुनरावृत्ति कयलनि। तहिना कपिल मुनिक भूमि ओ कपिलवस्तु केँ कहलनि, श्री रामचन्द्रजीक गुरु विश्वामित्र आ हुनक पिता कौशिकी आदिक चर्चा ओ अपन मतानुसार सभा केँ रोचक शैली मे सुनौलनि। आब हुनकर मत पर बात-विवाद केँ बढावा देबाक तेहेन कोनो आवश्यकता नहि देखैत छी कारण इतिहास-पुराण केँ अध्ययन सब अपना-अपना ढंग सँ करैत छथि, सभक अपन वर्णन शैली होइत छन्हि। लोकमत मे जे बात जतय सिद्ध अछि से ओतहि देखैत छी।

कार्यक्रम मे स्वागत अभिभाषण हम प्रवीण नारायण चौधरी द्वारा करैत उपरोक्त इतिहासक वर्णन आ मांग सब सभाक समक्ष रखने रही। तहिना जितिया पाबनि केर कथा-वृत्तान्त वन्दना चौधरी सुनेलीह। काठमांडू सँ आयल विशिष्ट अतिथि विभा झा केर सहभागिता सँ आयोजनक गरिमा बहुत बढ़ल। प्रमुख अतिथि केँ देरी सँ आयब आ मंचीय प्रस्तुति मे कटौती करबाक कारण कतेको गणमान्य नेता व विशिष्ट अतिथि विभा झा केर सम्बोधन नहि भ’ सकल। सम्मान कार्यक्रम सेहो अनावश्यक आ बहुत लम्बा भेल, जाहि कारण अन्य महत्वपूर्ण चर्चा-परिचर्चा अथवा सम्बोधन सब छुटि गेल। आयोजक केँ एहि पर चिन्तन करय पड़तनि जे दूर-दूर सँ आयल महत्वपूर्ण अतिथि लोकनिक सहभागिता पहिने सुनिश्चित करथि, पुनः अलंकारिक-श्रृंगारिक कार्यक्रम हुए। काल्हिक आयोजनक आलोचना अहु लेल भ’ रहल अछि जे भाषा-संस्कृति आ सामाजिक आयोजन मे अनुचित ढंग सँ राजनीतिक घुसपैठ भेल, एहि सँ बचबाक चाही। तथापि, हम त यैह कहब जे कोनो आयोजन कियो कोन धरानिये करैत अछि, ओकर कि डिजाइन रहैत छैक, कतय सँ फन्ड आओत, कोन काज केना होयत, ई सब बहुत पैघ चुनौती होइत छैक। तेँ, किछु बात केँ अन्ठाबैत आयोजनक असल मर्म आ तत्त्व पर बेसी मुखर होइ हम सब। अस्तु! रिपोर्ट लम्बा अछि, धैर्यपूर्वक पढ़ि लेलहुँ त अपन निरपेक्ष प्रतिक्रिया जरूर देब जे आयोजन सँ अहाँ केँ कि प्रेरणा भेटल।

पुनश्चः आयोजनक आर किछु महत्वपूर्ण भाग पर प्रकाश ऐगला दिन देब, यथा टोल-टोल सँ जनसहभागिताक सुन्दरतम स्वरूप, कलशयात्रा, झाँकी, थारू जन सहभागिता, मिथिला चित्रकला प्रदर्शनी, मिथिला चित्रकार रिम्मी चौधरीक प्रसन्नता, छात्र व युवाक विशाल जनसहभागिता, अपन संस्कृति सँ आत्मगौरवक बोध, आदि। अपने सब सेहो कियो प्रत्यक्षदर्शी होइ आ कार्यक्रम पर कोनो टिप्पणी लिखि सकी त जरूर पठाबी।

हरिः हरः!!