मिथिलामे बाढि केर प्रकोप केर सभसँ पैघ कारण नेपाल अछि”

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— कीर्ति नारायण झा       

मिथिला आओर बाढ़ि – पहिने के जमाना में अपना सभक ओहिठाम बाढि के बियाहल बेटी के नैहर में जे स्थिति होइत छैक सएह छलैक। आरम्भ में जेना किछु दिन बेटी के आव भगत कयल जाइत छैक सएह होइत छलैक मुदा बाद मे मिथिलावासी के पता चललैक जे ई बेटी दीर्घकाल के लेल आयल अछि आ ताहि अनुरूप तरूआ पापड़ में कमी स्वभाविक। अपना सभक ओहिठाम मुख्यतया कमला, कोशी, बागमती, गंडक, बूढी गंडक नदी इत्यादि अपन विकराल रूप देखवैत अछि जाहि मे कमला नदी केर प्रकोप सभ सँ बेसी भयंकर होइत छैक। झंझारपुर के आस पास एकर विकराल रूप देखल जा सकैत अछि। मिथिलांचल में बाढि केर प्रकोप केर सभ सँ पैघ कारण नेपाल अछि। हिमालय पहाड़ सँ निकालल पाइन अपन विशाल विभीषिका केर संग विकराल रूप में नेपाल के बार्डर सँ जयनगर होइत मिथिलाक सीमा में प्रवेश करैत अछि आ समस्त मिथिला मे तवाही मचवैत अछि। अपना सभक ओहिठाम बाढ़ि के प्रचंड रूप होयवाक अनेकानेक कारण अछि जेना पुरनका घिसल पीटल बाँध जकरा विषय में कहल जाइत छैक जे राम भरोसे हिन्दू होटल अथवा अनेरुआ गायक राम रखवार। बाँध बनाओलक बाद ओकर देखभाल कएनाइ सभ सँ आवश्यक होइत छैक आ ओकरा रख रखाव के लेल किछु ब्यय सेहो करय पड़ैत छैक मुदा अपना सभक ओहिठाम ओ मात्र कागज पर होइत छैक। सरकार द्वारा एकटा विभाग “जल संसाधन विभाग” खोलि कऽ कान मे रूई आ तेल लऽ कऽ सूति रहल आ बुझलकै जे बाढिक समस्या केर समाधान भऽ गेलैक। बाढिक कारणे नदी केर गहराइ कम होइत गेलैक आ चौड़ाई में वृद्धि होयवाक कारणे बाँध के तोड़ैत नदी के समय नहिं लगलैक मुदा प्रशासन केर उदासीनता केर कारणे बाढिक रोकथाम के लेल कोनो ठोस बेवस्था नहि कयल गेलैक। राजधानी पटना में बैसि कऽ स्थिति केर अवलोकन आ स्थितिक सुधार केर आशा कएनाइ दिन में सपना देखवाक बराबर होइत अछि। अपना सभक ओहिठाम केर बिडम्बना अछि जे कोनो साल रौदी तऽ कोनो साल दाही होयवाक कारणे खेतीबाड़ी केर स्थिति दिनानुदिन बदतर भेल जाइत छैक जकर सभ सँ गँहीर प्रभाव लोक केर मिथिला सँ पलायन केर केंसर सँ अधिक भयानक स्थिति केर जन्म देलकैक। आदि कालहि सँ प्रशासनिक असहयोग केर मारि मिथिलावासी के सहय पङलैक अछि। किछु साल पहिने कमला नदी केर बाढिक विभीषिका झंझारपुर लग नरूआर गाम में देखवाक अवसर भेटल। ओहि ठामक स्थिति के देखि समस्त अव्यवस्था केर पता क्षण भरि मे लागि गेल। तहिना कोशी नदी केर बाढि सहरसा पूर्णिया कटिहार के बाढ़ि ग्रस्त इलाका होयवाक प्रमाणपत्र दैत अछि। ओना बाढिक बाद फसल के टानिक के काज बाढिक रेत सभ करैत छैक। बाढिक पानि जखन खेत सँ निकलि जाइत छैक तखन खेतक उपजाऊ शक्ति में वृद्धि होइत छैक, इहो कटु सत्य थिकैक मुदा बाढिक समस्या विकराल होयवाक कारणे लोक बेघर भऽ जाइत अछि। सड़क पर आबि जाइत अछि ओ निश्चित रूप सँ भयंकर स्थिति उत्पन्न करैत अछि। गरीब आदमी आओर बेसी गरीब भऽ जाइत अछि आ भुखमरी केर स्थिति उत्पन्न भऽ जाइत अछि। एकरा सँ मुक्ति पयवाक लेल मिथिलाक लोक ओहि भागीरथ केर प्रतीक्षा में अछि जे एहि विभीषिका के रोकवाक लेल ओ भागीरथी प्रयास कऽ सकैथि आ समस्त मिथिलावासी के बाढि केर प्रकोप सँ पूर्णरूपेण मुक्ति भेटि जाइन। जय मिथिलांचल