विचार
– दिलीप कुमार झा
मिथिला राज्यक मांग एकटा आर्थिक ओ सामाजिक आन्दोलन थिक
कोनो राज्यक निर्माण दू तीन कारण सं होइत अछि। पहिल कारण होइत अछि ओहि क्षेत्रक एकटा भौगोलिक पहचान जे चिन्हित राज्यक निवासीक भरन पोषण लेल आर्थिक आधार तैयार करैत अछि। दोसर कारण होइत अछि ओहि क्षेत्रक फराक सांस्कृतिक पहिचान से अनेक रुपमे परिभाषित होइत अछि जेना ओहि क्षेत्रक अपन भाषा-उपभाषा , अपन खान-पान आओर पहिराबा ओढ़ाबा, लोक संस्कृति जाहिमे गीत, नृत्य, रीति रेवाज आदि अबैत अछि। मिथिला प्राचीन समयसं एक राज्य के रूप मे विद्यमान रहल से मात्र सांस्कृतिक कारण सं नहि मुख्यरूपसं एकर कारण भौगोलिक ओ आर्थिक रहल।
वर्तमान जे भारत देशक भौतिक स्वरुप अछि जकर परिकल्पना भारतक पहिल स्वतंत्रता संग्राम १८५७क समयसं भेल। मिथिला ओतहुं विद्यमान छल। वर्तमान जे मिथिला राज्यक मांग अछि ओ लगभग सय बर्ष पुरान अछि । एखनुक मिथिला राज्यक मांगकें मिथिला राज्यक विरोधी तत्व द्वारा एहि आन्दोलनकें एकटा सांस्कृतिक ओ भाषायी आन्दोलन कहि क’ खारिज करबाक षडयंत्र चलि रहल अछि, एतबैक नहि, किछु घोर मिथिला विरोधी तत्व सब यदा कदा एहि आन्दोलनकें जातीय आन्दोलन सेहो घोषित करबाक षडयंत्र करैत रहल अछि। जाहिसं हमरा सबकें साकांक्ष रहब जरूरी अछि।
मिथिला राज्य आन्दोलन विशुद्ध रूपसं आर्थिक ओ सामाजिक आन्दोलन छी मुदा ई निर्विवाद सत्य थिक जे एहि आर्थिक ओ सामाजिक आन्दोलनक रास्ता राजनीतिक गलियारासं होइते मिथिलाक जनपथपर पहुचत। से राजनीति करैवला हमर राजनीतिज्ञ सब बुझथि जे मिथिला हमर छी। आइ ने काल्हि ओ लोकनि मिथिला नेता कहौता। मिथिलाक गौरवशाली अतीत रहलैक अछि मुदा मिथिलाक अर्थ एकटा गौरवशाली सांस्कृतिक परंपरा वा एकटा उज्ज्वल अतीत मात्र नहि अछि।
मिथिलाक अर्थ थिक वर्तमान दुरावस्थाकक बीच लल्ल भेल मिथिलाक जन-जनक आर्थिक, सामाजिक उन्नति ओ विकास लेल भारत संघक भीतर एकटा स्वतंत्र ईकाईक स्थापना। ई मात्र संयोग नहि जे देशक दस टा आर्थिक रूपसं विपन्न निर्धरनतम जिला दसो मिथिलेमे अछि। एकर अर्थ अछि मिथिला बहुत दिनसं अवडेरल अछि, विपन्न अछि।ओहिसं त्राण लेल चाही पृथक मिथिला राज्य। मिथिलाक लोकक राजनीतिक विलासिताक लेल नहि चाही मिथिला राज्य।एतुका लोकक नीज अस्तित्व बचेबाक लेल जरूरति अछि मिथिला राज्य।
स्वतंत्रतासं पूर्ब मिथिला क्षेत्र जे चीनी, जूट, कागज, सूत, माछ, धान, मखानक उत्पादनमे अग्रगण्य छल से एहि पचहत्तरि बर्षमे कोना अधोगतिकें प्राप्त क’ लेलक। एहि वस्तुक उत्पादनमे मिथिला आत्मनिर्भर तं रहबे करय दोसरो प्रान्तकें आपूर्ति करय। ओहि विलटल खेती ओ उद्योगक पुनर्स्थापनाक लेल चाही मिथिला राज्य। मिथिलाक अबैवला पीढ़ी अपने हाथे आब अपन आर्थिक ओ सामाजिक समस्याक उलझन सोझरिबय चाहैत अछि जे प्रसन्नताक बात अछि।नबतुरिया आगां आबि रहलए, जागि रहलए। कोनो समाजक नबतूर जखन जगैत अछि तखने कोनो परिवर्तन अबैत अछि से मिथिला राज्य टेमी जे सय बर्ष सं टिमटिमा रहल अछि आब लगैत अछि निर्णायक मोड़ पर पहुंचयवला अछि।
मिथिला लग एखनो जे आर्थिक संपदा बांचल छैक ओकर दोहनसं मिथिला आर्थिक रूपें आत्मनिर्भर भ’ सकैत अछि बस जरूरत छैक एकटा सक्षम नेतृत्वक जे एकटा ईमानदार प्रयाससं मिथिलाक विकास क’सकय। से विकास किन्नहुं बिना पृथक मिथिलाक संभव नहि भ’ सकैत अछि।
मिथिला नदीक प्रदेश अछि एखनो मिथिला लग व्यापक जल संपदा बांचल छैक। मिथिला सामान्यत: गंगा, गंडक नेपालक तराइ आ प्राचीनकालक कोसीक बीचक क्षेत्र मानल जाइत अछि से मात्र मिथिलामे इएह तीनटा नदी नहि अछि। मिथिलामे सातटा पैघ नदी अछि गंडक, बूढ़ी गंडक, बागमती, अधवारा समूह, कमला, महानंदा आ कोसी।एकर अतिरिक्त छोट पैघ आर कतेक नदी आओर धार बहैत अछि। मिथिला क्षेत्रमे एखनो दस हजारसं उपर पोखरि अछि।
मिथिलाक माटिक उर्वरता एखनो बांचल अछि। जे अत्यन्त संतोषक बात अछि। मात्र समुचित सिंचाइ प्रबंधनसं मिथिलाक बिरहल खेत आओर उपटल खेतीकें पलटायल जा सकैत अछि। बिलटैत मिथिलाकें बचायल जा सकैत अछि।
आजुक मिथिला एक युवा मिथिला अछि। मिथिला परिक्षेत्रमे युवा लोकनिक जनसंख्या लगभग पैंतीस प्रतिशत अछि मुदा ओ युवा सब रोजी रोज़गारक लेल मिथिलासं पलायन क’ गेल छथि। ओ लोकनि भारतक विभिन्न प्रान्तमे बहुत अभिशप्त जीवन जीव रहल छथि। मिथिलाक युवा जनसंख्याक शक्तिक उपयोग भारत आओर भारतक बाहर दोसर-दोसर देश ओ प्रदेशक लेल भ’ रहल अछि।
मिथिलामे उद्योग धंधाक विकास भेलासं मिथिलाक श्रम शक्ति ओ बौद्धिक संपदाक उपयोग अपना भूमिक समवर्धन ओ विकासक लेल कयल जा सकैत अछि। मिथिलाक युवासब जे विदेशमे विदेशी मुद्रा कमाक’ लबैत छथि ओहि विदेशी मुद्राकक उपयोग भारतक दोसर प्रान्तमे कयल जाइत अछि जाहिसं मिथिलापुत्रक धनसं दोसर प्रान्तक विकास होइत अछि रोजगा़र उत्पन्न होइत अछि। जं मिथिला राज्यमे निवेशक उचित वातावरणक निर्माण हुए तं ओ सब विदेशी मुद्रा मिथिला क्षेत्रक विकासमे लगाओल जा सकैत अछि।
एकटा अनुमानक मोताबिक मिथिला क्षेत्रक लोकप्रति बर्ष १२००० करोड़ टाका विदेशमे कमा क’ भारतक दोसर प्रान्तमे प्रतिबर्ष निवेश करैत छथि। ओ सब टाका कें मिथिलाक विकास मे लगाओल जा सकैत अछि। तहिना प्रतिबर्ष प्रवासी मैथिल ३००० करोड़ टाका प्रतिबर्ष भारत पठबैत छथि ओहु मे सं किछु टाका हम मिथिलाक विकासक लेल उपयोग क’ सकैत छी। मिथिलाक लोक २००० करोड़ टाका प्रतिबर्ष बिहार सरकारकें कर के रूपमे भुगतान करैत छथि जाहिमे सं मात्र ७००टाका मिथिला क्षेत्रमे खर्च कयल जाइत अछि।
मिथिला राज्य भेलासं मिथिला क्षेत्रमे सरकारी नौकरीक सेहो अनेक संभावनाक द्वारि खूजत। मिथिला राज्य हैत तं विद्यालयमे मैथिली शिक्षा सेहो हैत । मैथिली शिक्षा हैत तं मैथिली भाषाक हजारों शिक्षकक बहाली हैत। एक अनुमान के मोताबिक बयालिस हजार प्राथमिक ओ मध्य विद्यालय तथा छ: हजार माध्यमिक विद्यालय मिथिला क्षेत्रमे रहत। ओहिमे कम सं कम एक लाख मैथिली भाषाक शिक्षकक बहाली हैत। राज्यक अपन लोक सेवा आयोग रहत। जरूरत के अनुसार पद कें सृजन ओ नियुक्ति कयल जायत। एखन मिथिलाक लोकक उच्च न्यायालय ओ सचिवालय सेहो पटना अछि। मिथिलाक लोककें ओतय जेबा एबा मे परेसानी छनि ओहिमे व्यय कयल जायवला अत्यधिक राशिक बचत हैत जकर उपयोग मिथिलाक विकासक लेल कयल जा सकत ।
पलायन सबसं अहम मुद्दा अछि मिथिलाक लेल। मिथिला आइ लेबर जोन बनिक’ रहि गेल अछि सेहो केहन मजूर?अकुशल मजूर जकर श्रमक बजारमे उचित मूल्य नहि देल जाइछ। मिथिलाक लोक दू सांझक बुतात लेल रनेबने बौआ रहल अछि, टौआ रहल अछि। भारतक विभिन्न प्रान्तमे वा दोसरो देशमे बहुत खराब परिस्थिति मे मिथिलाक लोक काज करैत। देखिते हैब समाचारमे कतहुं ने कतहुं हर सप्ताह मिथिलाक मजूर मारल जाइये। से विभिन्न दुर्घटना मे तं सहजहि कश्मीरक आतंकवादी द्वारा मिथिलाक मजबूर लोक मारल जाइत अछि। एहि सबहक एकहिटा अछि समाधान मिथिलाक लोक अपना समस्याकें अपनहि गुनय। उपलब्ध संसाधनसं अपन क्षेत्रक विकास करय। कारण बिहारमे पचहत्तरि बर्ष रहिक’ मिथिला देखलक मिथिलामे नब किछु तं नहिये भेल जे उद्योग धन्धा पहिनेसं छल ओहो सब चौपट भ’ गेल। तें आब बहुत जरूरी अछि मिथिला राज्य। मिथिला राज्य बनलासं शेष बचल बिहारक प्रगति सेहो तेज हेतै।छोट प्रान्त रहतै ओ सब अपना विकासपर नीकसं ध्यान देताह। एखन हुनका सबकें गंगाक उत्तर टपबामे बहुत दिक्कत होइत छनि।
तें ई कहब जे मिथिला राज्य आन्दोलन सांस्कृतिक ओ भाषायी आधारपर मात्र कयल जा रहल अछि से उचित नहि छैक। हं, मिथिलाक अपन विशिष्ट संस्कृति छैक। मैथिली भाषाक समृद्ध साहित्य छैक। मिथिलाक कला संस्कृति संसारक कोनो संस्कृतिसं कमजोर नहि अछि मुदा तहिना ईहो ओतबैक सत्य छैक जे प्राकृतिक रूपसं गंगा ओ हिमालयक बीचक क्षेत्र मिथिला कहबैत अछि जे मिथिलाक पृथक भोगोलिक आधार प्रदान करैत अछि। तहिना एहि भौगोलिक क्षेत्रक लोकक अपन फराक कृषि संस्कृति छैक। कृषि आओर कृषि आधारित अनेक तरहक उद्योगकें आधार बनाक’ मिथिला आर्थिक विकासक पथपय आगां बढ़ि सकैत अछि। एतुका पलायनकें रोकल जा सकैत अछि। तें ई कहब जे मिथिला राज्य एतुका लोकक एकटा सांस्कृतिक जरूरत छैक से सत्य नहि अछि। मिथिला जरूरत छैक पलायन रोकबाक लेल, विलटल खेतीकें समृद्ध करबाक लेल, विपन्न शिक्षा व्यवस्थाकें सोझरयाबक लेल।