“छाप तिलक सब छीनी रे से मोसे नैना मिलायकेँ”

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–आभा झा।         
‘ तू सबका खुदा सब तुझ पे फिदा —- हे कृष्ण कन्हैया नंद लला , अल्लाहो गनी अल्लाहो गनी’
ईश्वर कोनो एक जाति या धर्मक बंधन सँ बान्हल नहिं छथि।कृष्ण भक्त सूरदास, मीराबाई,चैतन्य महाप्रभु आदिकेँ अलावा अन्य समुदायक लोक जेना रसखान, भक्त बहिन रेहाना तैय्यबजी ,अमीर खुसरो ,नजीर अकबराबादी और वाजिद अली शाह जेकां कतेको मुस्लिम मतावलंबी कृष्णक स्तुति करि क’ दुनू धर्मक बीच पुल बनबैकेँ कोशिश केने छलाह। ग्यारहवीं शताब्दीक बाद इस्लाम भारतमें तेजी स’ फैलल।लगभग एहि समय भक्तिकाल और सूफीवाद में जबरदस्त संगम भेल और भारतमें इस्लाम कृष्णक प्रभाव स’ अछूता नहिं रहि पायल।सूफीवाद ईश्वर और भक्तकेँ संबंध प्रेमी और प्रेमिकाक संबंधक मानिंद मानैत अछि।ताहि दुवारे राधा या फेर गोपी कृष्ण सं प्रेम सूफीवादक परिभाषा में एकदम सटीक बइस गेल।नज़र जाकिर अपन लेख ‘ ब्रीफ
हिस्ट्री ऑफ बांग्ला लिटरेचर ‘ में लिखैत छथि कि चैतन्य महाप्रभुक कतेको मुस्लिम अनुयायी छलखिन। स्वतंत्रता सेनानी, गांधीवाद और उड़ीसाक गवर्नर रहि चुकल बिशंभर नाथ पांडे वेदांत और सूफीवादक तुलना करैत एक लेख में किछु मुसलमान कृष्ण भक्तक जिक्र केने छथि, एहि में सब सं पहिल छलाह सईद सुल्तान जे अपन पोथी ‘ नबी बंगश ‘ में कृष्णकेँ नबीकेँ दर्जा देलनि।दोसर, अली रजा जे कृष्ण और राधाक प्रेमकेँ विस्तार सं लिखलाह।तेसर, सूफी कवि अकबर शाह जे कृष्णक तारीफ में काफी लिखलनि। बंगालक पठान शासक सुल्तान नाजिर शाह और सुल्तान हुसैन शाह महाभारत और भागवत पुराणक बांग्ला में अनुवाद करवेलनि।जे ओहि दौरक सब सं पहिल अनुवादक दर्जा रखैत अछि।ओहि दौरक सब सं मशहूर कवि अमीर खुसरोकेँ कृष्ण भक्तिकेँ बाते किछ आर छल।एक बेर निजामुद्दीन औलियाकेँ सपना में श्रीकृष्ण एलखिन। औलिया अमीर खुसरोकेँ कृष्णक स्तुति में किछु लिखय लेल कहलखिन त’ खुसरो मशहूर रंग ‘ छाप तिलक सब छीनी रे से मोसे नैना मिलायकेँ ‘ कृष्णकेँ समर्पित क’ देलखिन। एहि में कृष्णक उल्लेख एतऽ भेटैत अछि — ऐ री सखी मैं जो गई थी पनिया भरन को , छीन झपट मोरी मटकी पटकी मोसे नैना मिलायकेँ —।किछु मुसलमान कवि पर कृष्ण हावी भ’ गेलखिन। जाहि में सईद इब्राहिम उर्फ ‘ रसखान’
के नाम सब सं पहिने अबैत अछि।बिल्कुल सूरदासक जेकां इहो कृष्ण लीलाक वर्णन केने छलाह। हिनकर कृष्ण वर्णन किछ एहेन अछि मानू कृष्ण हुनकर सामने ही लीला क’ रहल छथिन।गोस्वामी विट्ठलनाथ सं दीक्षा लेलाक बाद रसखान वृन्दावनमें बसि गेलाह। अंतिम सांस ओ मथुरा में लेने छलाह और ओतहि हुनकर मकबरा सेहो छैन्ह। रीतिकालक अंतिम साल में नजीर अकबराबादीक कृष्ण प्रेम रसखानक कृष्ण प्रेम सं टक्कर लैत देखाइत अछि।कृष्ण उपासनाक प्रचलन एहि दौरान बेसी भेल। नजीरक दृष्टि में श्रीकृष्ण दुख हरै वाला , कृपा करै वाला और परम अराध्य छथि।हुनका लेल कृष्ण पैगंबर जेना छथि। ओ कृष्णचरितक संग रास लीलाक वर्णन केने छलाह। वाजिद अली शाह सेहो कृष्णक जीवन सं बेहद प्रभावित छलाह। ताज बीबी सेहो श्रीकृष्णक परम भक्त छलीह। ताज बीबीकेँ विवाह बादशाह अकबरक संग भेल छलनि।बीरबलक बेटी शोभावती और जैमलक बेटी लीलावती संग ताज बीबी श्री बांके बिहारीकेँ दर्शनक लेल जाइत छलीह। ताज बीबी के ब्रज धाम और श्री विट्ठलनाथ जीकेँ महिमा सुनि हुनकर दर्शनक लालसा होव लगलनि।ताज बीबी सेहो श्रीकृष्णक भक्ति में रमि गेल छलीह। ताज बीबी गोकुल महावनमें देह त्यागि क’ गोपी स्वरूप सं श्री बांके बिहारीजी केँ लीलामें सम्मिलित भ’ गेलीह। हिनकर समाधि महावन बांगर मथुरामें छनि। बेसीतर विदेशी लोक श्रीकृष्णक भक्त सेहो छथिन। हिनको सभकेँ भारतीय धर्ममें बेसी रूचि छैन्ह। दुनियामें कृष्ण भक्तिकेँ सब सं पैघ आंदोलन और संगठन अछि इंटरनेशनल सोसायटी फाॅर कृष्णाकांशसनेस अर्थात इस्कॉन। हिनकर सब सं पैघ मंत्र अछि ‘ हरे रामा-हरे रामा, राम-राम हरे हरे, हरे कृष्ण- हरे कृष्ण, कृष्ण-कृष्ण हरे हरे ‘।दुनियाभरि में ई मंत्र जपैत-गबैत कतेको विदेशी लोक अहाँकेँ मथुरा वृन्दावनक सड़क पर भेट जेता।श्रीरामक अपन सीमा छैन्ह परंतु श्रीकृष्ण सब सीमा सं पार छथि, ताहि दुवारे हर मनुष्यक मन में आसानी सं बसि जाइत छथि।
जय श्रीकृष्ण