— भावेश चौधरी।
“बेमेल विवाह”- देखई में छोट शब्द लेकिन बहुरूपिया अर्थक। एकर अनेकों रूप अछि-उम्र में बेमेल,शारीरिक रूप में बेमेल,मानसिक स्वास्थ्य में बेमेल,धर्म में बेमेल, जाति मे बेमेल,धन संपत्ति में बेमेल,सामाजिक प्रभाव में बेमेल आदि अनादि।।लेकिन बेमेल विवाह नाम सुइनते उम्र के असमानता के रूप सबसा पहिल दृष्टिगोचर होबैत अई। मने अधेड़ उम्र के बर आ कम उम्र के कनिया। ओना ता अधिकांश भारतीय विवाह में लड़का लड़की के बीच प्रायः 4 स 10 साल के अंतर भेट जायत,लेकिन एकरा सामान्य विवाह के श्रेणी में राखल गेल।किछु दशक के अंतर के बेमेल कहल गेल। अहू में प्रौढ़ हमेशा पुरुष होबैत छैथ, एकर उल्टा विवाह के सामाजिक मान्यता में बहुत दिक्कत।
बेमेल विवाह के अपन सनातन धर्म में बेसी उदाहरण नई भेटत। स्वयंवर के उदाहरण होई या शास्त्रार्थ के उदाहरण,राज्य जीत के बाद राजा के बेटी देबई के खिस्सा हुआ या कोनो मजदूर के संग नगर सेठ के बेटी के प्रेम कथा।हर कथा के सार याह भेटत कि लड़की या परिवार द्वारा हरदम शारीरिक और मानसिक मजबूत के चुनाव होयत छलन। कालांतर में अलग अलग धर्म,पंथ, संप्रदाय के प्रवेश भेल। पुरुष के बढ़ईत लालसा,शक्ति के जोड़,धन,पद आ वैभव के लोभ धीरे धीरे बेमेल विवाह के अपन पाश में जकैड लेलक। भौतिक सुख के बढ़ईत लालसा आ कम उम्र में बेसी परिपक्वता अई आइग में घी के काज का रहल अय।दहेज लोभ में परिवार द्वारा अति बेमेल संबंध के उदाहरण प्रायः देखई में भेट जायत।कारण कोनो हुआ लेकिन बेमेल विवाह के कारण लड़का लड़की के मोन में विवाह के ला के जे इंद्रधनुषी सपना रहैत छईन ओकरा छिरियाईत देर नई लगईया।तनाव के वातावरण में रहैत रहैत संबंध विच्छेद तक बात पहुंच जाय छै। शारीरिक आ मानसिक कष्ट संगे कष्टप्रद हत्या के बात स मीडिया भरल रहैत अई।ओना अपनो देश में कतो कतो बच्चा के जन्म लईते ओकर आपस में संबद्ध ठीक क देल जैत छै आ बाद में ओकर विवाह कतेको बेर जबरदस्ती कराल जाई छै,बेमेल रहितो।बेगूसराय के पकड़ौआ बियाह में सेहो बेमेल के उदाहरण भेट जायत।अपन बेटी स कम पढ़ल-लिखल लड़का, कम सैलरी वाला लड़का, कम ओहदा वाला लड़का, कम उम्र वाला लड़का, कम हाइट वाला लड़का, कम सुंदर लड़का कोनो भी मा-बाप के नै चाहिएन। भले ही लड़की आत्मनिर्भर हुअथ आ अपन खर्च अपने चला सकइत हुअथ लेकिन लड़का त ओहु सा बेसीये चाही। नै त समाज में नाक कैट जात। मतलब अगर लड़की अनुष्का त लड़का विराट हेबाक चाही। अई चक्कर में स्वभाव,चरित्र,परिवार,धर्म आदि गौण भा जैत छै।अति भौतिकवादिता आ ‘स्टेटस’ के फेर में आपसी तालमेल आ प्रेम में कमी देखल जाई छै आ अधिकांश ‘हाई फाई विवाह’ के परिणाम अखबार आ लोगक गप्पक मसाला बैन का रहि जाई छै।लेकिन सफल बेमेल विवाह के सेहो कतेको उदहारण भेटत।संबंध में प्रेम आ संतोष हुआ ता दैहिक आ भौतिक अंतर नगण्य भ जाय छै।ओना एकर संख्या सीमित।बेमेल विवाह में बदलाव देखन मानल जैत देखन सच्चाई में दू आत्मा के मिलन होय, दुनू परिवार के बीच प्रेम आ सहयोग बनल रहै आ दैहिक श्रृंगार और मोन के संग बनल रहई। जय मिथिला जय मैथिली।।