विश्व भरिक ६०० विद्वान् मे मिथिला सँ सर्वाधिक विद्वानक सहभागिता

जुन ३०, २०१५. मैथिली जिन्दाबाद!!

dr. arknath choudharyथाइलैन्ड केर राजधानी बैंकाक मे आइ तेसर दिन विश्व संस्कृत सम्मेलन जारी अछि। एहि बीच मिथिलाक्षेत्रक महान् विद्वान् जाहि मे हाल धरि मैथिली जिन्दाबाद संग डा. पंकज मिश्र आ प्रो. डा. अर्कनाथ चौधरी संग सम्पर्क स्थापित भेल आ हिनका लोकनि सँ सम्मेलन उपरान्त आरो विशेष समाचार, विषय पर कार्यपत्रक प्रस्तुति सम्बन्धी विभिन्न आयामिक बात सब आ सम्मेलनक व्यक्तिगत अनुभव आदि पर समाचार बाद मे भेटत सेहो अपेक्षा राखल गेल अछि।

मिथिला लेल ई सचमुच गर्वक बात भेल जे पौराणिक प्रतिष्ठा केँ आइयो अपन विद्वान्-मर्मज्ञक मार्फत जीवित रखने अछि। भले आइ हम सब बिखड़ावक समस्या मे ई बुझिये नहि पबैत छी जे आखिर मिथिला सँ वास्तव मे के सब छथि…. भौगोलिक पहिचानविहीनताक समस्या सँ मिथिलाक अस्तित्व नगण्य भेलो पर ‘पौराणिक परिभाषा अनुरूप आत्मविद्याक आश्रयदाता मैथिल’ अहु बेरक ‘विश्व मैथिल सम्मेलन – बैंकाक’ मे मिथिलाक पताखा फहरौने छथि।
 

pankaj mishraएहि बीच प्रो. डा. अर्कनाथ चौधरी मैथिली जिन्दाबाद पर प्रकाशित समाचार केँ अपन व्यस्ततम् कार्यक्रम बावजूद पढबाक आ एहि समाचार केँ अपन सगा-संबंधी व अन्य मैथिलीभाषी सबहक नजरि मे पहुँचेबाक उपलब्धिक बात कहैत धन्यवाद सेहो ज्ञापन केलैन। मैथिली जिन्दाबाद केर अन्य जिज्ञासा पर प्रो. डा. चौधरी कहलनि जे सम्मेलन सँ फुर्सत पेलाक बाद सब विषय पर जानकारी उपलब्ध करायब। तहिना डा. पंकज मिश्र निरंतर कने-मने समय निकालि फेसबुक मार्फत फोटो आदि पठा रहला अछि। डा. मिश्र सँ ज्ञात भेल जे मिथिलाक करीब १५ टा विद्वान् एहि सम्मेलन मे सहभागी छथि। इतिहास गवाह रहल अछि जे मिथिलाक विशिष्ट धरा मे विद्या वैभव लोकक मूल धन होइत अछि, आदिकालहि सँ ऋषि-मुनिक भूमि मिथिला सँ आइयो एक संग एतेक विद्वानक सहभागी होयब विश्व कल्याण लेल मैथिलक संवेदनशीलता केँ झलकाबैत अछि। समाचार विस्तार सँ बाद मे प्रकाशित होयत, ताबत समस्त सहभागी विद्वान् लोकनिक संग एतेक महत्त्वपूर्ण आयोजनक सफलता लेल मैथिली जिन्दाबादक तरफ सँ शुभकामना अछि।

आगाँक पीढी लेल यैह मैथिल विद्वान् लोकनि अनुकरणीय उदाहरण बनता। इतिहास हिनका लोकनिक योगदान केँ स्वर्ण अक्षर मे अंकित करत। घर-घर मे विद्वान् केर उत्पत्ति मे भविष्य मे यैह सब गोटा नाम आ काम दुनू सँ गानल जेता। विद्याधनं सर्वधनं प्रधानम् – यैह मुख्य स्रोत घर-घर मे रहल अछि। गुरु आश्रम सँ लैत गृहस्थाश्रम आ वानप्रस्थ आश्रम, हरेक स्तर पर विद्याक वैभव पेबाक लिलसा सब मे घर केने रहैत अछि मिथिला मे। एतुका माटि-पानि-आवोहवा मे पर्यन्त सरस्वतीक वास छन्हि। लक्ष्मी एतय सीता बनि अयलीह आ द्विरागमनक बाद जे गेली से फेरो एली वा नहि ई कहबा मे अशोकर्ज भऽ रहल अछि, मुदा सरस्वती एतय सदा-सदा लेल बसैत छथि ई कहबा मे कोनो अतिश्योक्ति नहि।