मैथिलीक महान गीतकार रविन्द्र नाथ ठाकुर प्रति श्रद्धाञ्जलि सन्देश

जनकपुरधाम, २१ मई २०२२ । मैथिली जिन्दाबाद!!

महान गीतकार रविन्द्र केँ श्रद्धांजलि अर्पण

मैथिली संसारक महान गीतकार रविंद्रनाथ ठाकुर केर निधन पर मैथिली साहित्यकार सभा जनकपुर द्वारा श्रद्धांजलि अर्पित करैत विज्ञप्ति जारी कयल गेल अछि। श्रद्धांजलि सन्देश में कहल गेल अछि जे भारतीय मिथिला क्षेत्र के पूर्णिया जिलाक धमदाहा निवासी रविन्द्र नाथ ठाकुर मैथिली मंच ओ सिनेमा संग कतेको रास लोकचर्चित गीत केर प्रसिद्ध गीतकार छलाह। ‘एक राति’ नाटक, ‘सीता’ आ ‘पंचकन्या’ खंडकाव्य समेत के रचयिता अपन साहित्यिक कृति लेल अमर रहता। जन जन में लोकप्रिय हुनकर रचना सब मे ‘चिट्ठी के तार बुझू’, ‘मिथिले के जल सँ भरब गगरी’, ‘हवा रे हवा चल चल चल – चल मिथिला में चल’, ‘क का कि की कु कू बदाम’, ‘पिरिये पराननाथ सादर परनाम’, ‘माता जे विराजथि मिथिले देश मे’, ‘बौआ भरि नगरी में शोर, तोहर मामी छौ बड़ गोर, मामा चान सन’, सन-सन अनेकानेक सुपर हिट गीत सब हिनकहि रचना थिक जे मैथिली भाषा के समृद्धि आ जनप्रियता कायम कयलक। सभापाल प्रेम विदेह हुनक निधन सँ मैथिली साहित्य केँ अपूरणीय क्षति पहुंचबाक बात कहलनि। ओ अमर गीतकार के रूप में आ मैथिली के प्रसिद्ध जोड़ी रविन्द्र-महिन्द्र के रूप में सब दिन याद कयल जेता। मैथिली गीत साहित्यक इतिहास में ‘रविंद्रकाल’ सब दिन याद कयल जेबाक बात सेहो ओ बतेलनि। हुनकर कमी केँ वर्तमान सन्तति पूरा करथि ताहि अपेक्षा के संग मैथिली साहित्यकार सभा श्रद्धांजलि सन्देश देलनि अछि।