“गरीबी आ अशिक्षा एकर जड़ि अछि”

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— रेखा झा।                     

बालश्रम के सीधा अर्थ भेल जे बाल्यकाल के अवस्था स वंचित क बच्चा स श्रमिक के काज लेनाई।बाल श्रम एक गैरकानूनी अपराध के श्रेणी में अबैत अछि। अपन देश वा राज्य के कोनो एहन मजबूत कानून बनितै तखने एकरा रोकल जा सकैत या। चौदह साल स कम उम्र के बच्चा स काज लेनाई अहि अपराध के श्रेणी मे अबैत अछि। पूरा देश में देखल जाय त बहुत बेसी स्तर पर बाल श्रमिक काज क रहल अइ। कोनो ढाबा, छोट कारखाना, खेत खलिहान, नदी पोखरि, पहाड जंगल , मंदिर मस्जिद आ घर मे बाल श्रमिक भेटिये टा जैत। कखनो फूल बेचैत, सब्जी बेचैत, रोपनी करैत आ दोसर घर में अपन नेनपन बिसरि बच्चा के खेलैत। एकर मुख्य कारण भेल गरीबी आ अशिक्षा। अहि के दूर करै लेल सरकार शिक्षा के संग मध्यान्ह भोजन के सुविधा उपलब्ध करौने अछि। गरीबी नियंत्रण रेखा के अंतर्गत जतेक लोक आबि रहल अइ ओहि में जनसंख्या सबस बेसी आ बेसी जनसंख्या के इहो कारण जे हुनका सबके होइत अइ जे बेसी लोक रहब त बेसी काज क अपन दिनचर्या बनौने रहब। बाल्य अवस्था स आर्थिक उपार्जन लेल बच्चा के काज पर लगा दै छै। अहि कारण बेसी बच्चा कुपोषण आ शोषण दुनू के शिकार भ रहल। बहुत जगह त धर्म परिवर्तन करा सुविधा के लालच द बहुत काज लेल जा रहल। अशिक्षित रहबाक कारण ओतेक समझ नहि पाबि इ सब आंगा फेर वैह इतिहास दोहरा रहल छथि। सरकार के एतेक सुविधा के बाद अहि तरहक बाल श्रमिक वाला परिवार सब सब दिन अशिक्षिते रहल। महत्व किछु लोक बुझल आ आब स्कूल जा रहल। अपन आंशिक सुविधा लेल दुनु पक्ष मतलब जे काज करैत छथि आ जे ल रहल से हित के बात नहि क रहल छथि। आब त आधार कार्ड बनला के बाद बहुत जगह बाल श्रमिक मे कमी देखल गेल मुदा और सहयोग जे काज लेबै वाला करता त अवश्य अहि स मुक्ति भेटत देश के। ककरो अभाव के फायदा अपन काज लेल कथमपि नहि निकालबाक अछि से सोच रखनाई बहुत जरूरी। शिक्षा के अधिकार स ककरो वंचित क अपन काज लेल काज पर लगेनाई अपराध त भेबे टा कैल मुदा अहि स बेसी अपन मानवता के स्तर खसेनाइ भेल। हम सब कोशिश करी जे कतौ देखी एहन त टोकी जरूर , समझाबी आ भ सकै त रोकी तखने टा इ अपराध रूकत। अहि उमर के बच्चा अगर अपन उमर स बेसी काज करैत अछि त इहो कनि ध्यान देबाक बात जे कोनो तरहक दवाइ द त नइ काज लेल जा रहल बाद मे एकर साइड एफेक्ट सेहो देखबा में अबैत अइ। कतेक तारीखाना मे नेनपन स नशा के आदत सेहो भ रहल बच्चा मे शायद यैह देख पान सिगरेट के दुकान पर ़आब लिखल रहैत अइ जे अठारह साल स कम उम्र के बेचनाइ मना। रेलगाड़ी या बस, चौक चौराहा पर नशा के समान, बैलून, गारी पोछा सब धरल्ले स बाल श्रमिक भेटत। सब मिल कनि कनि जं कोशिश करी त अहि स मुक्त रहब हम सब आ शोषण स मुक्त रहत बाल श्रम।