“धिया लेल रोजगार”

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विचार

– कृति नारायण झा

       

मिथिला समाज आ बेटीवर्ग मे रोजगारक अवसर

सामाजिक कुरीति केँ निर्मूल करबाक लेल धिया लोकनि मे समुचित शिक्षा प्रदान केनाइ सब सँ बेसी महत्वपूर्ण आ आवश्यक कदम मानल जा सकैत अछि। मिथिलाक धिया, पूतक अपेक्षा कोनो मामला मे उन्नैस नहि छैथि। ई देखल गेल अछि जे बेटी सबकेँ कोनो विषय वस्तु बुझेबा में बेटाक तुलना कम समय लागल करैत छैक। पहिनुका बेटी सभक बारे मे कहल जाइछ जे ओकरा सबकेँ बाल्येवस्था सँ एक्के वाक्य सुनाइ पड़ैत छलैक – “एकरा पढिलिखि कय की हेतैक? एकरा तऽ चुल्हि फूकबाक छैक।”

आब बेटी केर दर्जा अपना ओतय बेटा सँ जँ बेसी नहिं तऽ कम सेहो नहिं छैक। बेटी, बेटाक अपेक्षा बेसी अनुशासित आ जल्दी परिपक्व होइत अछि। सवाल उठैत छैक जे आइ बेटीवर्ग लेल रोजगारक अवसर की? पढि-लिखि लोक पारम्परिक रोजगार त पबिते अछि, साधारण पढ़ल-लिखल आ घरेलू कामकाजी बेटीवर्ग लेल रोजगारक अवसर पर केन्द्रित छी।

१. लघु आ कुटीर उद्योग केर माध्यम सँ कुम्हरौरी, अदौरी, तिसियौरी, पापड़ इत्यादि बनयबा में हिनका सभक कोनो तुलना नहिं।

२. जनेऊ आ विभिन्न पूजा सामग्री बनयबा मे हमरा सभक धिया एक्सक्लूसिव आ पटु मानल जाइत छैथि। कम शिक्षा सेहो प्राप्त कऽ कऽ हमर सभक धिया एहि क्षेत्र मे आगू बढि सकैत छैथि।

३. विश्व भरि मे प्रसिद्ध मिथिला पेंटिंग में अत्यधिक संभावना छैक जकरा विशेष कऽ हमरा सभक ओहिठाम केर धिया जे महीन काज करवा में पटु होइत छैथि ओ एकरा सीखि कऽ एकर शुभारम्भ छोट स्तर सँ आरम्भ करैत सफलता के मार्ग प्रशस्त कऽ सकैत छैथि ।

४. पटुआ के खेती जे अपना ओहिठाम सँ करीब – करीब समाप्त भऽ गेल अछि ओकर पुनः आरम्भ कऽ कऽ ओकर सोन सँ रंग विरंग केर झोरा, गुङिया इत्यादि बना कऽ व्यापार केर शुभारम्भ कयल जा सकैत अछि।

रोजी-रोजगार मे सहयोग पहुँचाबय वला वातावरण पर एक दृष्टिः

१. सफलताक सीढी केँ आसान बनेबा में परिस्थिति सेहो आब अनुकूल भऽ गेल अछि।

२. बिजली जे मास-मास भरि दर्शन नहिं दैत छल आब ओ सदिखन अपन सेवा में उपस्थित रहैत अछि।

३. सड़क केर स्थिति शहरो सँ नीक भेनाइ शुभ संकेत मानल जा सकैछ।

४. रोजगार लेल आब अपना सभक ओहिठाम बैंक सेहो इमानदारी पूर्वक निवेश करवाक लेल तत्पर अछि। मात्र आवश्यकता छैक अपन पुरनका सोच के बदलि नव परिवेश मे अपना के ढालबाक लेल।

एहि उपयुक्त अवसर के संग नीक दिनक शंखनाद कऽ मिथिला में बहुत पैघ समस्या सँ बाहर निकलि सफलताक पताका फहराओल जा सकैत अछि। दहेज रूपी दानव हमरा सभक धिया केर बदलल रूप देखि खाक भऽ जायत, ई हमर आशा नहिं अपितु पूर्ण विश्वास अछि।

आत्मनिर्भर धिया आत्मनिर्भर समाज केर संरचना में सफलतापूर्वक सहायक हेतीह आ तखने मिथिला आ मैथिलक इज्जत विश्व भरि मे एक बेर फेर अपन पताका फहराओत। धिया लोकनिक जन्म भेला पर जे मिथिलावासी सभक मुँह पर धुआँ देखाइत छैन्ह वैह हमरा सभक धियाक नव अवतार देखि ओकर जन्म पर रसगुल्ला बँटता आ मंगलगान गओताह।

धार्मिक ग्रंथ केर अनुसार जाहि ठाम बेटी प्रसन्न आ सुखी रहैत छैथि ओहिठामक समस्त परिवार आ समाज सुखी रहैत अछि आ ओहि ठाम देवी देवताक वास होइत छैन्ह।

जय मिथिला जय माँ जानकी 🙏

पाठकक सुझाव आ विचार सेहो आमंत्रित अछि जाहि सँ लेख केँ पूर्णता भेटि सकैत अछि। धन्यवाद!