सन्दर्भ : भारतीय प्रजातंत्र केर चुनावी महायज्ञ
भारत केर प्रजातंत्र संख्याक दृष्टि सँ विश्वक सबसँ पैघ प्रजातंत्र अछि मुदा भारतीय प्रजातंत्र केँ विश्व मे दोषपूर्ण प्रजातंत्र मानल जाइत अछि। इंग्लैंड और स्विट्ज़रलैंड केर संस्था आदि द्वारा बनायल गेल सर्वोत्तम सँ निकृष्टतम प्रजातांत्रिक देशक सूची मे भारतक स्थान लगभग मध्य मे पड़ैत अछि।
आस-पासक देश सबहक तुलना मे हम एहि सूची मे बहुत ऊपर छी लेकिन ई कोई गर्व केर बात नहि कियैक तऽ एहि देश सबहक प्रजातांत्रिक व्यवस्था हमर लक्ष्य नहि। सूची मे नार्वे, स्वीडन, कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, स्विट्ज़रलैंड जेहेन देश पहिल दस मे पड़ैत अछि तऽ ओतहि उत्तरी कोरिया, सऊदी अरब, ईरान जेहेन देश अंतिम दस मे।
आउ भारतीय प्रजातंत्र केर दोषपूर्ण मानल जायवाला कारण सब पर चर्चा करैत छी। प्रथम कारण अछि चुनाव प्रक्रिया। भारत मे चुनावी व्यवस्था तऽ बहुत हद तक निष्पक्ष और स्वच्छ अछि। मत देनाय सेहो भारतीय नागरिक अपन अधिकार तऽ बुझैत अछि, मुदा अपन राजनैतिक कर्त्तव्य नहि मानैत अछि। एखनहु धरि तीस सँ पैंतीस प्रतिशत तक नागरिक मत खसाबय नहि जाइत अछि। मतदान पर आइयो जातिवाद और संप्रदायवाद केर कारी छाया अछिये। प्रजातंत्र मे अपन मत केर प्रयोग नहि करब स्वयं अपन दुर्भाग्य केँ लिखबा सँ कम नहि होइछ।
ऑस्ट्रेलियाक प्रजातंत्र केँ लियऽ। एतय मत देनाय अनिवार्य अछि। यदि कोनो कारण सँ मतदाता मत नहि दय पाबि रहल अछि तऽ चुनाव आयोग मे प्रार्थना पत्र देबय पड़ैत छैक। बिना उचित कारणक यदि ओ अपन मतदान अधिकार केर प्रयोग नहि करत तऽ कोर्ट मे ओकरा ऊपर मुकदमा दायर कैल जा सकैत अछि और मतदाता पर जुर्माना कैल जाइत अछि।
दोसर कारण छैक नागरिक सबहक राजनीति मे सक्रिय भागीदारी। भारतीय प्रजातंत्र मे चुनाव मात्र एकटा एहेन अवसर होइछ जखन राष्ट्र केर नागरिक अपन मत दैत देशक राजनीति मे अपन प्रत्यक्ष भागीदारीक घोषणा करैत अछि। दुख एहि बातक होइछ जे ई भागीदारी आगाँ नहि बढ़ैत अछि। अपन मत देलाक बाद ओ राजनैतिक प्रक्रिया सँ ऐगला पांच वर्षक लेल उदासीन भऽ जाइत अछि। महिलाक सक्रियता नगण्य अछि। राजनैतिक भागीदारी ओतय होइत छैक जतय राष्ट्रक सामने ज्वलंत मुद्दा पर सार्वजानिक बहस होइत छैक। सरकार और नागरिक केर बीच संपर्क जीवंत रहैत छैक और सरकार निरंतर जनता सँ प्रतिक्रिया प्राप्त करैत रहैत अछि।
राजनैतिक भागीदारीक अर्थ भेल ज्ञापन दैत अपन बात सरकार तक पहुँचेनाय, सार्वजनिक बहस मे भाग लेनाय, अपन नेता या समाचार पत्र केर माध्यम सँ सरकार तक अपन राय पहुँचेनाय, कोनो राजनैतिक दल केँ अपन समय देनाय इत्यादि। उत्तरी यूरोपक एहेन कतेको देश अछि जतय सरकार और नागरिकक बीच संवाद बनल रहैत अछि और कतेको महत्वपूर्ण विषय पर नागरिकक राय जानबाक लेल रायशुमारी या मतदान संग्रह कराओल जाइत अछि।
तेसर कारण अछि प्रजातंत्र मे भेटल नागरिकक बुनियादी अधिकार और ओकर हनन। भारतक संविधान मे सेहो कतेको बुनियादी अधिकार और स्वतंत्रता आदि शामिल अछि, जेना स्वतंत्रता अभिव्यक्तिक, धर्मक, शिक्षा और संस्कृति केर। अधिकार जीबाक, न्यायक, समान व्यवहारक इत्यादि। मुदा कि हम विश्वास सँ कहि सकैत छी जे ई बुनियादी अधिकार और स्वतंत्रता देशक प्रत्येक नागरिक केँ हासिल अछि? स्वतंत्र प्रजातंत्र केर सत्तर वर्ष पूरा हेबापर अछि, मुदा ई मौलिक अधिकार एखन धरि सब नागरिक तक नहि पहुंचि सकल अछि। महिला तथा निम्न वर्ग एखनहु शोषिते अछि। एक सबल प्रजातंत्र मे न्याय केर वर्ण व्यवस्थाक अंतिम छोर धरि पहुंचब आवश्यक अछि।
अंतिम कारण अछि भ्रष्टाचार, जे हर प्रजातांत्रिक देश केर गंभीर समस्या अछि। ऊपर सँ यदि राष्ट्र आर्थिक विकास केर मार्ग पर हो तऽ ई समस्या आरो विकराल रूप लऽ लैत अछि। यैह समय होइत छैक जखन सरकार चौकन्ना और नेतृत्व दृढ़ निश्चय वाला हो ताकि भ्रष्टाचार अपन फन नहि पसारि सकय। डेनमार्क केर उदाहरण लेल जाउ, प्रजातंत्र होइतो भ्रष्टाचार रहित देश केर सूची मे प्रथम स्थान पर अछि। एहि छोट देश जेकर जनसंख्या मात्र पचपन लाख छैक किन्तु संसद मे आठ गो दल छैक। अहाँकेँ आश्चर्य होयत जे पिछला सौ वर्ष मे कहियो कोनो दल केँ बहुमत नहि भेटलैक और साझा सरकार सँ ई देश चलैत अछि, तैयो सांसद बिकाऊ नहि अछि। ई राष्ट्र हमर ओहि मान्यता केर खंडन करैत अछि जाहि मे मानल जाइत छैक जे साझा सरकारक वज़ह सँ सरकार केँ कठिन निर्णय लेबा मे बाधा होइत छैक या साझा सरकार भ्रष्टाचार केर जैड़ होइत छैक। साफ अछि जे भारतीय प्रजातंत्र केँ एखनहु एहि दिशा मे बहुत प्रगति करबाक छैक।
दोषपूर्ण प्रजातंत्रक लाभ निसंदेह नेता उठबैत छथि अन्यथा एहि व्यवस्था केँ सुधारबाक पहल शीर्ष सँ होइतय। मुदा समय तेजी सँ बदैल रहल अछि। मतदाता सूची मे द्रुतगति सँ बढ़ैत शिक्षित युवा केर संख्या और आम मतदाता केर बढ़ैत चेतना सँ परिवर्तन केर लहरे साफ देखाय दऽ रहल अछि। विश्वास अछि जे ऐगला चुनाव तक ई लहर ज्वार केर रूप लऽ लेत।
नेता सबहक हित मे तऽ यैह ठीक होयत जे ओहो सब भारतीय प्रजातंत्र केर बढ़ैत कदमक संग कदमताल करय अन्यथा प्लेटफार्म पर ठाढ रहैत छूटल ट्रेन केँ देखिकय विलाप करबाक अलावा ओकरा सबहक पास कोनो उपायो नहि बचत। घोड़ा पर सवार हेबाक अछि तऽ घुड़सवारी सेहो सीखहे पड़त और ईहो ध्यान राखय पड़त जे घोड़ा पाछू तरफ नहि चलैत अछि। कि हम अपेक्षा करी जे भारत केर जागरूक नागरिक और नेता एहि लेखकेर सामग्री केँ आत्मसात करता?