बंगलुरु मे होयत दहेज मुक्त मिथिला स्मारिका २०२१ केर विमोचन आ समूह मिलन

आइ रचल जायत एक नव इतिहास बंगलुरु मे

जुटथिन बंगलुरु मे मैथिल समाज, विषय रहत दहेज मुक्त मिथिलाक प्रयास। स्मारिका २०२१ केर विमोचन बंगलुरु मे होयत आइ। विमर्शक केन्द्र मे रहल सिलिकौन वैली मे मैथिल परिवार आ तिनका सभक बीच मे बढय-बनय दहेज मुक्त विवाह केर सुमधुर सम्बन्ध।

विदिते अछि जे हम मिथिलावासी आजुक समय मे सौंसे संसार मे पसरि चुकल छी। स्वाभाविक कारण रोजी-रोटी, इज्जत आ स्वाभिमानक संग जीवन जियय के मानवीय आचरण केँ अनुगामी हम मैथिल आईटी सेक्टर मे सेहो ओतबे आगू छी जतेक कि संसारक कोनो अन्य तीक्ष्ण बौद्धिक समाज। मैथिलक पहिचान पौराणिक काल मे जहिना ‘आत्मविद्या’ केर आश्रयदाताक रूप मे विष्णुपुराण सुपरिभाषित कयने अछि, किछु तहिना आजुक संसार मे सूचना तकनीक आ कम्प्यूटर तकनीक संग अनेकों इन्टरनेट क्रान्ति आ डिजिटल क्रान्तिक समय मैथिल ब्रेन सब समूचा संसारक टेक्नोलौजी केँ अपन विलक्षण पूर्वाधार आ व्यवस्थापन (infrastructure and management) सँ कर्नाटक राज्यक राजधानी बंगलुरु द्वारा होइत अछि, जतय मैथिल परिवारक संख्या विगत ४ दशक मे लगभग १ सँ २ लाख के बीच मानल जाइत अछि। एहि सम्बन्ध मे २०१८ मे आयोजित ‘मैथिली महायात्रा’क दरम्यान हमरा जे तथ्यांक प्राप्त भेल ताहि मुताबिक ई संख्या पुख्ता नहि बल्कि मौखिक आकलन (verbal speculation) मात्र मानल जा सकैछ। विगत एक दशक मे मैथिल परिवार सब विभिन्न अवसर जुड़बैत आपस मे मेल-मिलाप बढा रहल छथि, ई बहुत पैघ खुशखबरी सेहो कहल जा सकैछ। परञ्च जीवनक सब सँ बेसी महत्वपूर्ण संस्कार आ सभ्यता-सृष्टिक संरक्षणार्थ सर्वोपरि आवश्यकता ‘विवाह’ आ ताहु मे ‘दहेज मुक्त विवाह’ केर पुनीत उद्देश्य सँ आपसी भेंटघांट करबाक दिवस आइये जुड़ल से कहि सकैत छी। आगामी समय मे साल मे कम सँ कम ५ बेर ‘वैवाहिक परिचय सभा’क आयोजन करैत मैथिल समुदाय (विभिन्न जाति, धर्म) केर लोक आपस मे मेल-मिलाप करथि, यैह लक्ष्य अछि।

माँगरूपी दहेज केर प्रतिकारार्थ जे स्वयंसंकल्पक अभियान २०११ मे सामाजिक संजाल सँ चलल ओ शनैः शनैः माटि पकड़ब आरम्भ कय चुकल अछि। पूरे १० वर्ष के बाद प्रकाशित ‘स्मारिका-२०२१’ एहि बातक बड पैघ गवाही दय रहल अछि। आइ भारत-नेपाल केर अनेकों स्थान सँ हजारों परिवार अपना केँ दहेज मुक्त कहिकय स्वयं घोषणा कयलनि, हजारों परिवार एक स्मारिका रूपी टूल केँ मैथिलक आगामी समयक वैवाहिक समस्याक निदान लेल ‘टूलकिट’ केर रूप मे ‘मिलन समारोह’ मार्फत बाकी निर्णय कय रहल छथि, यैह बड पैघ बात भेलैक आ एकर बड पैघ जरुरतो छैक, खास कय केँ मिथिला जेहेन समृद्ध सर्वथा प्राचीन आ पौराणिक सभ्यताक लोक लेल ई परमावश्यक छैक। आर ई सिलसिला दिल्लीक दिलवाली भूमि सँ आरम्भ भ’ दरभंगाक दरियादिली आ पाटलीपुत्र (पटना)क स्ट्रेटजिक प्वाइन्ट होइत आब सिलिकौन वैली धरिक यात्रा पूरा करय जा रहल अछि, शायद सोचल (परिकल्पित) साहित्य अनुरूप हम सब सफल भ’ रहल छी। आब देखा चाही जे बंगलुरु मे हमरा लोकनि भविष्यक वास्ते केहेन नींब (बुनियाद) ठाढ़ करैत छी। जाहि मकानक नींब मजबूत हुए ओकरा केहनो भूकम्प कि तूफान कि डिगा सकत भला! हमर यैह शुभकामना जे अपने लोकनि सक्षम-सुदृढ़ मस्तिष्कक धनी व्यक्ति-परिवार-समाज सम्पूर्ण-समग्र उद्देश्य व लक्ष्य केर प्राप्ति लेल एकटा ठोस अवधारणा ठाढ़ करैत आजुक मिलन समारोह केँ पूर्ण करब। स्मारिका टूलकिट बनत से विश्वस्त रहब। ॐ तत्सत्!!

बसन्त ऋतु केँ सब ऋतुक राजा कहल गेल छैक। होली मात्र किछु दिन बाद होयत। मुदा वातावरण मे फगुआ आ हमरो सभक मन-मस्तिष्क मे फगुआहैट लागि चुकल अछि। आइ मिथिलानी लोकनि पियर साड़ी मे अओती, पता नहि हमर कनियाँक पास पियर छन्हि वा नहि यात्राकाल मे… तखन कहाँदिन गुलाबी सेहो चलतय ई बात-विचार कय रहल छलखिन्ह आपस मे… चलबे नहि करतय, दौड़तय… अर्थात् आइ बहुतो परिवार आपस मे एहि लेल मिलन करता जे सोचल गेल पैघ लक्ष्य केँ कोना हासिल कयल जाय। हमर पुनः शुभकामना अपने लोकनिक आजुक आयोजन लेल।

हरिः हरः!!

पुनश्चः याद राखब – जानकी जी केर अंश सहित अपने समस्त मिथिलानी केर नेतृत्व महत्वपूर्ण अछि। हम मैथिल पुरुष अहाँ सभक संग सदिखन ठाढ़ छी आ रहब। पुनः शुभकामना!!