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मिथिला आ मैथिलीक ‘ब्राण्डिंग’

मिथिला ब्राण्ड – मैथिली ब्राण्ड

maithili brand imageपता अछि मिथिलाक समृद्धि कतेक छैक आइयो? आत्मनिर्भरता हर तरहें मानव-जीवन लेल मिथिलाक भीतर सभ तरहें उपलब्ध छैक। बस एक संछिप्त रूप देखल जाउ – कुटीर उद्योग केँ संचालन हेतु जातीय-व्यवस्था सँ दक्ष घरैया लूरि द्वारा उत्पादनशीलताक विलक्षण उदाहरण मिथिलामें भेटैत छैक। कृषि प्रणालीमें सभ तरहक अनाज उपजौनाइ आ विभिन्न प्रकारक जमीन मिथिलामें उपलब्ध रहब एक उत्कृष्ट उदाहरण मिथिलामें भेटैत छैक। खान-पान, जीवन-यापन, रहन-सहन, तप-जप आ भाइ-चाराक आध्यात्मिक स्वरूप मिथिलाक कण-कणमें भेटैत छैक। तखन मिथिला ब्राण्ड कमजोर केना? तखन मैथिली ब्राण्ड कमजोर केना? विपन्नता कोना? एकर एकमात्र कारण छैक जे भारत जहिया सँ स्वतंत्र भेलैक तहिये सँ मिथिलाक सामाजिक संतुलनकेँ अनेको प्रकारके बहरी राजनीति गूर सँ ध्वस्त करैत आइ जतेक सकारात्मक पक्ष रहैक तेकरा चौपट कय देलकैक आ नहि जानि एहिमें स्वयं मैथिलक किछुए मुदा महत्त्वपूर्ण राजशाही-परिवारक मदद सँ जनमानसकेँ बरगलाबैत मिथिलाके वोटबैंकमय बना देलकैक। एहि उपेक्षाक विरुद्ध लडबाक लेल आब कोनो दोसर उपाय नहि बचल छैक सिवाये एक कि मिथिला जल्द सँ जल्द राज्य बनय। आ ई लडाई आन कियो नहि लडि सकैत अछि सिवाये युवा पीढी जे पढल-लिखल छैक लेकिन पलायन-प्रवासके कारण पेट आ माथ दुनू सँ बन्हा गेल छैक, पहचान या संस्कृतिक आभान ओकरामें अपनहि शक्तिसँ अनभिज्ञ हनुमानजी जेकाँ सुसुप्तावस्थामें छैक। बहस करैत छैक लेकिन भटकल मस्तिष्क आखिर कि बहस करतैक, बेर-बेर मुर्च्छा आबि जाइत छैक।

maithili food brandहमरा बुझने आब युवा पीढीकेँ आधुनिक व्यवस्थापन सिद्धान्तसँ जाग्रत करबाक उपयुक्त समय छैक। एहि लेल मिथिला-मैथिली ब्राण्ड सँ ओकरा जोडैत विश्वक अर्थतन्त्रमें मिथिलाक अलग पहचान स्थापित करय लेल मैथिल करपोरेट के सख्त जरुरत बुझा रहल छैक। जेना मिथिलाक ‘मैथिली गुर’, मिथिलाक ‘मैथिली बासमती चाउर’, मिथिलाक ‘मैथिली कोनिया’, मिथिलाक ‘मैथिली मटकुरी’, मिथिलाक ‘मैथिली गहना’, मिथिलाक ‘मैथिली माछ’, मिथिलाक ‘मैथिली पान’, मिथिलाक ‘मैथिली मखान’, मिथिलाक ‘मैथिली उपभोग्य हरेक वस्तु’क बाजारीकरण करैत समूचा भारतकेँ मिथिलामय कय देबाक छैक। मिथिलाक आर्थिक तंत्रकेँ चमकाबय लेल बहुते रास गृह-निर्मित वस्तुक भंडार छैक…. हम तऽ बस किछुवेक नाम लेलहुँ अछि। आर्चीज ग्रिटींग कार्डके जगह मिथिलाक ‘मैथिली maithili wall paintingग्रिटींग कार्ड’ मिथिलाक विशेष बाँस व अन्य वनस्पति द्वारा निर्मित पेपर तथा मिथिला पेन्टिंगके प्रिन्टमें दुनियामें डंका पीट सकैत छैक। मिथिलाक अदौरी, कुम्हरौरी, मुरौरी, चरौरी, दनौरी, तिलौरी, तिसियौरी आ कतेको फास्ट-फूड कर्नर पर क्रान्ति आनि सकैत छैक। बस प्रयास के दरकार छैक आ करपोरेट मिथिला या मिथिला कोओपरेटिव हाउस एहि समस्त कार्यकेँ आराम सँ कय सकैत छैक।

 

 

 

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आउ पहिले संगठित होइ। विपन्न हम सभ दिमाग सँ नहि छी, बस राजनीतिक उपेक्षाक चलते हम सभ अपन भाषा, अपन भेष आ अपन संस्कृति सँ दूर जा रहल छी आ दोसर हमरा सभके गुलाम बनौने जा रहल अछि। लडाई पहिले आत्मनिर्भरता लेल लडी, राजनैतिक उपेक्षाक विरुद्ध लडी… ई सोचि नहि हारी जे लडाई मिथिला के सरजमीं पर किऐक नहि होइत छैक। ओतय वनस्पति, वायुमण्डल, आकाश, धरती, जल, आदि सभटाकेँ पहिले सँ ऋषि-मुनि ततेक न ‘शान्ति-शान्ति’ यज्ञ सँ शान्त कय देने छथिन जे तुरन्त अगिया-बेताल होयब संभव नहि छैक। आ एहि लेल अहुँ सभ आतूर नहि बनू। हेतैक! सभटा हेतैक! बस आउ, किछु चर्चा करी।

हाल-साल मे मैथिली आ मिथिलाक प्रति प्रत्येक मिथिलावासी सहित देश-विदेश सबठाम एकटा अलगे आकर्षण पुन: बढय लागल छैक। सामाजिक संजाल समान खूला मैदान मैथिली-मिथिला ब्रान्डिंग लेल आरो हितकारी प्रमाणित भऽ रहलैक अछि। भले एहि मिथिलाक्षेत्रक लोक लेल पलायन एकटा खतरनाक बीमारी बनिकय एतुका लोकसंस्कृति केँ नाश करय मे कोनो कसैर बाकी नहि रखने छैक, राज्य द्वारा उपेक्षा आरो एहि खतरा केँ चरम पर पहुँचाबैत छैक, तथापि एहिठामक किछेक प्रतिशत जागरुक आ लगनशील लोकमानस एकरा कोनो न कोनो रूप मे आइयो जीबित रखने छैक। एकर दिन-दशा दिनानुदिन नीके हेतैक ताहि लेल संकल्प लैत युवा पीढी द्वारा बेहतरीक दिशा मे डेग बढि रहलैक अछि।

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