मिथिलाक ई जटिल समस्या जानलेवा सिद्ध होइ सँ पहिने सजगता सँ समाधान निकालू

कतेक बेर कहू आ बिन कहने रहबो कोना करू….!
 
बात छैक जे अपन मिथिला समाजक स्थिति दिनानुदिन बदतर भेल जा रहल अछि। कथित नीक लोक आ श्रेष्ठ लोक जिनक अनुकरण समाजक प्रत्येक वर्ग करैत छल ओ सब मौनता धारण कय लेलनि। गुरुजन लोकनि सेहो गुम्म छथि। जेठ-छोट बीच के अनुशासनक सीमा सेहो विचित्र तरहें प्रभावित भ’ गेल अछि। समग्र मे देखू त अपन मिथिला मानू मृत्युवरण करबाक समय जेना कोनो मनुष्यक कंठ घेरा जाइछ, साँस उल्टा चलय लगैछ, अपनहि लोक केँ चिन्हनाय तक सम्भव नहि भ’ पबैछ… किछु यैह दृश्य मिथिला संस्कृति आ सभ्यता के देखि रहल छी।
 
आर बात त छोड़ू – विवाह जेहेन महत्वपूर्ण सम्बन्ध निर्माण-निर्धारण केर विश्वक सर्वोच्च-सर्वश्रेष्ठ प्रक्रिया केहेन बदतर आ छहोंछित भ’ गेल अछि सेहो शायद अहाँ सब कखनहुँ असगर मे जरूर सोचैत होयब। कनी एहि मैसेज पर गौर करूः
 

“भाइजी प्रणाम।
कुनो कथा के तलाश में छी।
लाजे अहाँ के सोशल पेज पर हम पोस्ट नै क’ पायब, कियाक त हमर घर के सदस्य सेहो जुड़ल छथि अहाँ के पेज पर।
एगो गरीब आर सुंदर कन्या के तलाश में छी।
किछु सुझाव देबऽ के कष्ट करू। दहेज मुक्त में विश्वास राखैत छी। जिनका फैमिली एक पाइ खर्च करबा के सक्षम नै छथि, हुनका प्रायोरिटी देब।”
भोरे जखन हम ई मैसेज अपन मैसेन्जर मे देखैत छी त होइ य’ भोकासी पाड़िकय कानय लागी अपन समाजक दुर्दशा पर। कि यैह अवस्था छल हमर मिथिला के? कि एना कोनो युवक केँ अपन जीवनसंगिनी केर चयन लेल लाजक सामना करयवला स्थिति कहियो रहैक? घटकैती प्रथा कतय गेल? घरदेखी कतय गेल? गताते कुटमैती करेबाक मूल्यवान् परम्परा कतय गेल? सौराठ सभागाछी सन वैवाहिक जोड़ी चयन करबाक अति-अति महत्वपूर्ण आ मूल्यवान् परम्परा कतय गेल? आइ केकरो घर मे विवाह योग्य बेटा या बेटी कौमार्य अवस्था सँ गृहस्थाश्रम मे प्रवेश करत ताहि लेल परिवारक अलावे दोसर मनुष्य मे कनिकबो संवेदना नहि देखाय दय रहल अछि। कियैक? मानवीयता हेरायल-भोथियायल बुझा रहल अछि। भौतिकतावाद के नंगा नाच समाज केँ कहकहा लगबैत ग्रास बनेने जा रहल अछि। एहि विद्रूप अवस्था मे लोक स्वयं केँ पीठ ठोकि-ठोकि बौंसय मे लागल अछि।
 
चलू, अपन काज अछि चिन्तन। चिन्तन-मनन करैत उपाय के खोज अपन काज अछि। आर ई काज दहेज मुक्त मिथिला समूह अपना लेल १० वर्ष पूर्वहि निर्धारित कय लेने छल। प्रयास त ‘सौराठ सभागाछी’ केँ जगेबाक सेहो कयलक… तखन प्रयास मे जा धरि सभक सहमति आ समर्थन संग सहभागिता नहि भेटत त अहाँ कहियो पूर्ण सफल नहि भ’ सकैत छी। खैर! जँ हम सब विषय प्रवेश मात्र करेलहुँ तैयो समाज मे एकटा सन्देश गेल। सार्थक प्रयास केँ निरन्तरता देनाय सेहो बड पैघ बात होइत छैक।
 
वर्तमान दयनीयता के एकमात्र कारण छैक मिथिला के आर्थिक पिछड़ापन। मिथिला के पास अपन राज्य नहि होबक कारण ई बाढ़ि-सुखाड़ सँ संघर्ष करैत आ निकम्मा-ढोंगी लोक के बहुतायत कुटिलाई मे फँसि आखिरकार जेहो किछु उद्योग-रोजगार सब छलैक एतय ओ सब मटियामेट भ’ गेलय। आइ लोक अपन गाम सँ उपटि-उपटि शहर-नगर भटकय लेल बाध्य अछि। पहिने त पेट तखनहि आन बात! पेटे के पाछू सारा संसार बेहाल अछि। मूल्य, मान्यता, परम्परा आदि गेल छप्पर पर। अतः एहेन परिस्थिति मे प्रवासस्थल सब मे हम सब जँ एहि लेल मात्र एकजुट नहि होयब जे विवाह केर समस्याक निदान आ दहेज मुक्त विवाह केर मात्रा बढय त नोट कय ली अपने सब – मिथिला सभ्यता निश्चित इतिहास बनि जायत।
 
हम ओहि युवा केँ जवाब देलियनि –
“त अहाँ हमरा अपन पूरा परिचय, काजक विवरण, गोत्र, आ कथापक्ष कतय सम्पर्क करथि से नम्बर उपलब्ध कराउ। ई काज हमहीं कय देब बिना अहाँक नाम लिखने। सिर्फ नम्बर सार्वजनिक त करहे पड़त।”
 
अभियानक अर्थ बुझैत अपने सब कियो अपन-अपन स्तर सँ परोपकार केर भावना सँ एकरा सफल बनाउ। मिथिला सभ्यताक रक्षा करय जाउ। त्राहिमाम्-त्राहिमाम् टा कयला सँ ईश्वर केर कृपा कहिया बरसत से नहि जानि, धरि अपना हाथ मे जे समाधान अछि ताहि पर केन्द्रित होइयौ।
 
स्मारिका-२०२१ संग हर जगह मिलन समारोह के पाछू के उद्देश्य नेता बनब या फेस चमकायब, शेल्फी खिंचायब आ अपन पीठ अपनहि ठोकब से बात नहि छैक – बल्कि समाजक लोक केँ दुर्दशा सँ उबारबाक चिन्तन-मनन आ कर्मठ परिचय सभा केँ बढावा देबाक लक्ष्य छैक। मांगरूपी दहेज केर प्रतिकार करैत अनुकूल समय पर अनुकूल जोड़ी मिलबैत विवाह संस्था केँ पटरी पर रखबाक बात छैक। वर्णसंकर समाज जहाँ बनल त तीन पीढ़ी ऊपर आ तीन पीढ़ी नीचां तक नाश भ’ जेबाक सैद्धान्तिक निर्णय छैक। तेँ विवाह योग्य वर वा कन्या केँ भटकय सँ बचाउ। ॐ तत्सत्!
 
हरिः हरः!!