— कृति नारायण झा।
मिथिलाक ई प्रसिद्ध भगवती गीत – जगदम्बा घर में दियरा बारि अयली हे, जगतारिणी घर में दियरा बारि अयली हे। कंचन थार कपूर के बाती, मैया जी के आरती उतारि अयली हे… “एहि गीतक माध्यम सँ मिथिलाक गोसाओन घरक महत्ताकेँ दर्शाओल गेल अछि। गोसाओन घर में जगदम्बा केर पूजा अर्चना कयल जाइत छैन्ह। मिथिला मे नित्य दिन जगत तारिणी भगवती केर पूजा करवाक प्रथा आबि रहल अछि। हमरा मोन अछि जे हमर माँ नित्य दिन १ बजे के बादे मुँह में किछु अन्न ग्रहण करैत छलीह। हमरा ओहिठाम चाह पीबाक प्रथा सेहो नहिं छल तें ओ लोकनि पूर्णरूपसँ निराहार रहैत छलीह आ गोसाओन घर में पूजा कयलाक उपरान्ते किछु खाइत छलीह। कतेको बेर डाँक्टर साहेब कहलखिन्ह जे माता जी भोर में किछु आहार लऽ लिअऽ नहि किछु तऽ कम सँ कम एक गिलास सत्तू पी लेल करू, मुदा हमर माताराम मानय बाली कहाँ? गोसाओन घर गेना आ अङहूल फूल सँ चमकैत रहैत छल आ ओहि पर अगरबत्ती केर सुगन्ध हमरा सभके रैब दिन पैर लगैत छल कारण बांकी दिन कोइलख हाइ स्कूल जे हमरा गाम सँ करीब चारि किलोमीटर दूर आ सेहो पएरे। हमर माँ अपन सभ धिया पूता के कुशलता के लेल गोसाओन घर में भगवती सँ नित्य कामना करैत छलीह। गाम में मुंडन, उपनयन, बियाह इत्यादि शुभ अवसर पर गोसाओन घर के सजाबट देखय बला होइत छल, बिशेष कऽ हमर लाल बहिन जे सर्वगुणसंपन्न छैथि हुनका द्वारा बनाओल गेल रंग बिरंग केर कलाकृति गोसाओन घर के सुंदरता में चारि चान लगबैत छल। हमर पिताजी जे ज्योतिष शास्त्रक प्रकांड विद्वान् छलाह, हुनका मुंह सँ सुनैत छलहुँ जे गोसाओन घर जँ आंगन के दक्षिण भाग में होअय तऽ अति उत्तम संगहि पूब आ उत्तर मुंहें बैसि कऽ पूजा कयनाइ सर्वथा उत्तम मानल जाइत छैक।
ई तऽ छल हमर घरक स्थिति मुदा किछु अंतराल के पश्चात जखन हमर माता जी स्वर्गलोक पधारि गेलीह तखन गाम पर रहवाक लेल कियो तैयार नहि। हम सभ भाई बाहर आबि गेलहुं शहर में जीविकोपार्जन हेतु आ तखन हमर घरक ई स्थिति भऽ गेल जे पूरा आंगन में मोथा घास जनमि गेल। घर में ताला लगवाक कारणे सभ घर में नोनी फुफरी लागल आ विचित्र स्थिति होइत छल। हमरा लोकनि जखन चारि दिनक लेल गाम जाइत छलहुँ त घर के पुनः स्थिर करवा में पूरा एक दिन लागि जाइत छल। गोसाओन घर खूजल रहैत छल कारण एकटा स्त्रीगण के हम सभ भाई पूजा करवाक लेल किछु पाई कौरी दऽ कऽ रखने छलहुँ जे नित्य आबि कऽ भगवती के पूजा कऽ जाइत छलीह । पूजा कोना होइत छल? एकर बारे में चर्चा कएनाइ सर्वथा अनुचित होयत कारण मजबूरी के नाम महात्मा गांधी। मुदा भगवती केर कृपा जे हमर एकटा भातिज शहर सँ घुमि फिरि कऽ मजबूरी मे गाम रहवाक लेल तैयार भऽ गेलाह आ गामक स्थिति देखि कऽ हमरा लोकनि ओहि भातिज के गाम में रहवाक सहमति देलिएन्हि। आई हमर सभक घर नहिं मामा सँ कन्हा मामा अछि आ पूरान घरक समय समय पर मरम्मत आ गोसाओन घर में भगवती केर पूजा समय सँ भऽ जाइत अछि। हम सभ भाई तीन महीना चारि महीना पर गाम जाइत छी आ भातिजकेँ कहि सुनि कऽ घरक मेंटेनेंस करवा लैत छी ओना अपना सभक ओहिठाम कहल जाइत छैक जे हुलकेने कुकूर शिकार नहिं पकङैत छै मुदा तैयो भातिज के कहि आ अपनो लागि भिङी कऽ कहुना कऽ घर के मेन्टेन करवाक प्रयास करैत छी मुदा सदैव हार्दिक इच्छा रहैत अछि जे जाहि कम्पनी में काज करैत छी ओ जँ गामक अगल बगल में रहैत अथवा कम सँ कम ओहि जिला मे रहैत तऽ नित्य गाम मे रहितहुँ। ई इच्छा पूर्ण नहिं भेलाक कारणे मोन में एकटा आन्तरिक कष्ट के आभास सदैव होइत रहैत अछि…….🙏 🙏 🙏