— ममता झा।
#दहेज
मिथिला में लाल कक्का, लाल काकी, अहिना लालपीसी बेसी प्रचलन अई बाज में।एकटा छोट छिन लधुकथा लिख रहल छी दहेज पर।
दहेज लक विवाह केला के बाद लाल काकी के स्थिति के वर्णन-:
लाल काकी चाह लक बेटा पुतहु के केवाड लग ठाढ भय दरवाजा खटकाबैत धिरे स बजली बौआ ऊठू ने 9बाइज गेल। हम आ अहाँक बाबूजी दू बेर चाहो पी लेलऊ अहाँ सब कखन पियब। पहिने त अते देर तक नई सुतैत रही।ई बात सुनिते देरी पुतहु के निंद खुजई जाइत छैन आ झट सऽ कहैत छथिन्ह कियाक बियाह करेलखिन, कुमारे रखीतैथ बेटा के।
खऊझा क बर के कहैत छैथ “ऐ रवि तुम अपनी माँ को बोल दो सुबह सुबह डिस्टर्ब न किया करे।तुम भी सुन लो 10 बजे मेरे लिए ब्लेक काफी बना देना। मैं ये चाय वाय नही पीती”।ऐहन बात सुन के रवि के तऽ आदत नई रहैन लेकिन करता की।
रवि उठी कऽ अप्पन माँ बाबूजी लग आबि कऽ बइसला आ इत्मिनान सं कहैत छैथ “आर दहेज ले, अपनो भोगैत छी आ हमहुँ पिसा रहल छी।की जरूरत रहऊ अतेक आडंबर कर के, जतबे पाई रहऊ ओतबे में सब करितैं। सब समाजो त खेला के बाद कहैत छऊ बेटा के टका पर बेच देलैन ताँ सबके नुआ देलैन आ भोज केलैन।
कहाँ कियो बडाई करैत छऊ।हम त बेटा छलियऊ तू जे केलै हम माइन लेलियऊ।लेकिन आगाँ के लेल आइए सुनिले हमरा जहिया बेटा बेटी होयत दुनू के खूब पढैब निक जकाँ सऽ ने दहेज लेब आ ने देब ई हम संकल्प लैत छी।आब माय बाबूके पछताबा होइत छलैन। जखने जागू तखने भोर🙏