मिथिलांचल केँ सीमांचल मे बदलबाक षड्यन्त्र कियैक?

विचार

– मृत्युञ्जय शान्डिल्य ‘गुड्डू’

अररिया, परवाहा, सन् 1912 में बिहार बंगाल प्रोविंस सँ अलग भ’ अलग राज्य बनल। ताहि काल सँ मिथिला राज्यक मांग लगातार भ’ रहल अछि। 1912 के बाद 1936 में बिहार सँ उड़ीसा अलग भेल फेरी सँ सन् 2000 में झारखंड बनल। बिहार सँ दु अलग राज्यक निर्माण भेल मुदा मिथिलांचल के मांग निरंतर जारी अछि। उ मिथिला जकर अपन समृद्ध इतिहास छल, अपन लोक संस्कृति छल, अपन लिपि छल ओहि मिथिला अपन इतिहास बचेबाक ल संघर्षरत अछि। कतेक संगठन बनल, कतेक छुटभैया नेता मिथिला राज्यक नाम पर चांदी काटलक। मुदा पूर्वी मिथिलाक क्षेत्र जकरा कालांतर में कोसी केर धारा विभक्त क देलक ओकर संग दोयम दर्जाक व्यवहार अभियो तक जारी छल। मिथिलाक पूर्वी भाग अररिया जिला, किशनगंज जिला, कटिहार जिला, व पूर्णियाँ जिला सीमांचल में परिवर्तित करबाक साजिश सफल भ रहल अछि। जहि क्षेत्रक अपन समृद्ध इतिहास छल, ओकरा मिथिला सँ अलग सीमांचल बना देल गेल। अहि कार्य में पूर्वी मिथिलाक नेताक संग तथाकथित बुद्धिजीवी वर्ग व एक बड़का समूह पत्रकार लोकनि केर छल। हालाँकि पूर्वी मिथिलाक क्षेत्र में मैथिली गतिविधि बहुत कम भ जेनाय एक कारण अछि, दोसर जे प्रमुख कारण छल उ अइछ जे अहि क्षेत्रक एकटा बड़का नेता जिक अवतारित करवाना। पूर्वी मिथिलाक सीमांचल में परिवर्तित करवाना व एक नेता क सीमंचलक गाँधी बनवाना, कतौ ने कतौ राष्ट्रीय सुरक्षा पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा करैत छल। नेपाल सँ सटल पूर्वी मिथिलाक अहि क्षेत्र में देशविरोधी तत्व केर सक्रियता जगजाहिर छल। देशक खुफिया तंत्र केर नजर अहि क्षेत्र पर बहुत दिन सँ अछि। समस्त मिथिलाक ई दायित्व बनैत अछि जे पूर्वी मिथिलाक के मिथिलांचलक मुख्यधारा सँ जोड़बाक प्रयत्न करी।