मस्तिष्क विकास आ कोनो गूढ़ तथ्य केँ सहजता सँ बुझबाक माध्यम मातृभाषा होइछ
– प्रवीण नारायण चौधरी
हम सब मैथिल छी। मैथिली हमर मातृभाषा थिक। मैथिली केर माध्यम सँ यदि पढाई करेबाक व्यवस्था कयल जइतै त हमरा सभक आन्तरिक क्षमता आर बेसी मजबूत आ दृढ होइतै। लेकिन से व्यवस्था हम मैथिलीभाषी लेल नहि कयल जा सकल। तथापि, ओ सब कियो मोन पाड़ू – जे साधारण आ सरकारी विद्यालय सब सँ पढाई कएने छी, जिनका शिक्षक लोकनि गूढ़-गूढ़ पाठ्यक्रम केँ सहज बोली-शैली (भाषा) मे सिखेलनि आ आइ कतहु अहाँ इंजीनियर छी, कतहु डाक्टर छी, कतहु प्रोफेसर छी, या फेर एडवोकेट, टीचर, ट्यूटर, क्लर्क, मैनेजर, बिजनेसमैन या फेर कृषक, उद्यमी, उद्योगी, स्वरोजगारी जे किछु छी – अहाँक विकसित मस्तिष्क अहाँक संग सदिखन रहैत अछि आ सिलेबिया (विदेशिया माध्यम) पढाई कयनिहार ऊपर अहाँ जरूर भारी पड़ैत छी।
आब आउ आजुक पीढ़ी लग – यदि अहाँ अपन बच्चा केँ स्वयं मैथिली छोड़ि आन भाषा (माध्यम) सँ पढ़बा रहल छी, आ जँ घर-परिवेश मे ओकरा अहाँ आने माध्यम सँ संस्कार (पारिवारिक शिक्षा) प्रदान कय रहल छी, आगू ओहि बच्चा सब केँ जानि-बुझिकय अपनहि बाबा-बाबी, चाचा-चाची, नाना-नानी, मौसा-मौसी, भाइ-बहिन, पीसा-पीसी, मामा-मामी, बहिन-बहनोई, कुटुम्ब-सम्बन्धी, पड़ोसी या समाजक लोक सब केँ चिन्हय आ बुझय लेल सेहो अपन संस्कृति सँ बाहरक शैली मे सम्बोधन या बाजब-बजायब सिखा रहल छी, त ओहि बच्चा सँ भविष्य मे अहाँ अपन मौलिकता (मूल पहचान) मे वापसी करबाक लेल स्वयं एहेन फन्दा तैयार कय रहल छी जे ओकरा धोबियाक कुत्ता जेकाँ न घरक आ ने घाटक बना देतैक। आ जँ अहाँ पढाईक सम्पूर्ण माध्यम हिन्दी, अंग्रेजी, फ्रेन्च कि लैटिन कि डैनिश रखबाकय बढितो अपन मैथिलत्व सँ दूर नहि कय रहल छी त अहाँ निश्चित भविष्य मे ओकरा सँ बहुत किछु अपेक्षा राखि सकैत छी, सफलता जरूर भेटत।
एकटा अवस्था आर छैक। हम देखबय लेल मात्र अपन मातृभाषाक महत्व पर बाजब आ स्वयं ओहि सँ छल-कपट करैत अपन बच्चा या परिवेशक लोक केँ अपनहि मौलिकता सँ दूर करबय त निश्चित वैह हाल होयत जे हम दोसर पैराग्राफ मे पहिल हालात केर जिकिर करैत कहलहुँ अछि। अहाँ केँ कनिकाल लेल बुझाय मे आओत जे हम उत्कीर्णा कय रहल छी, लेकिन ई उत्कीर्णा सब सँ पहिने अहाँ केँ स्वयं नुकसान पहुँचाबयवला अछि, से आइ अहाँ नहि सोचि झूठे मगन भेल रहैत छी।
एतेक बात कयलाक बाद आइ हम हिन्दी साहित्य केर किछु ओहेन पाठ केँ अपनो मोन पाड़ैत छी जे हमरा आजन्म जोश देलक, जज्बात देलक, ऊर्जा देलक आ आगू बढेलकः