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यैह सवाल बहुतो लोकक मोन मे रहैत अछिः मिथिला राज्य सँ जुड़ल सवाल आ जवाब

हेलो अमित आनन्द जी,
 
अहाँ प्रश्न सभक विन्दुवार जवाब चाहैत छलहुँ, तदनुसार हमर विचार (जवाब) पोस्ट कय रहल छी। समय दय कय पढ़ब आ आरो कोनो प्रश्न हुए त जरूर राखब।
 
अमित: प्रस्तावित मिथिला राज्यक आधार की अछि?
 
प्रवीण: भाषा, साहित्य, संस्कृति सहितक एक विशिष्ट सभ्यता आ पहचान जेकर अपन ऐतिहासिकता आ मिथिलादेश रूपक भौगोलिक पृष्ठभूमि रहलैक अछि, तेकर भारतीय हिस्सा में संवैधानिक व्यवस्था अनुसार राज्य के दर्जा भेटबाक चाही। भारत एक गणराज्य थिक आ एतय राज्य गठन के जे प्रावधान अछि ताहि अनुसार मिथिला केँ राज्य मानि एहि क्षेत्र विशेष केँ अपन शासन-प्रशासन संचालन के अधिकार देल जाय। स्वतंत्रता पछाति भारत मे राज्य केर रूप मे मान्यता देबाक जे सब आधार आन राज्यक पुनर्गठन मे देखल गेल अछि, बिल्कुल वैह सब आधार आ भारतीय संघ केर संघीयताक मर्म केँ जियेबाक लेल सेहो मिथिला जेहेन प्राचीन आ समृद्ध सभ्यता केँ राज्य केर रूप मे मान्यता देब आवश्यक अछि। एहि सँ भारतक सांस्कृतिक राष्ट्रवाद केँ सेहो सम्बल प्राप्त होयत आ मिथिला केँ विश्वपटल पर आर अधिक फोकस करैत पर्यटन केँ बढावा भेटत जे क्षेत्र आ राष्ट्र दुनू लेल जरूरी अछि।
 
अमितः बिहारक कोन-कोन भूभाग एकर परिधि में अछि? आ ई परिधि तय करइ के आधार की अछि? की जे गणना अहाँ सब करय छी से सरकारी दस्तावेज सभक हिस्सा अछि कि नहि?
 
प्रवीण: गंगा दक्षिण, कोसी के पूर्वक धारा पूब, नेपाल सीमा उत्तर आ गण्डकी के सीमा पश्चिम, एहि भीतर के कुल 18 जिला विशुद्ध मिथिला थिकैक जतय समान बोली, शैली, पद्धति, पांडित्य, परम्परा, लोक निवास करैत अछि।
 
यदि जॉर्ज अब्राहम ग्रियर्सन के लिंगुइस्टिक सर्वे ऑफ इंडिया के बात करब त बिहार के कुल 24 जिला आ झारखंड के 6 जिला सहित के मिथिला कहल जा सकैत अछि, अंतर्राष्ट्रीय मैथिली परिषद द्वारा भारत सरकार केँ देल स्मारपत्र में एकरे उल्लेख अछि।
 
तेसर, 2013 में भारतीय संसद में सांसद कीर्ति आजाद द्वारा राखल गेल प्राइवेट पार्टी बिल द्वारा 2 जिला चम्पारण छोड़ि बाकी बिहार आ झारखंड के कुल 28 जिला केँ मिथिला मानैत बिहार आ झारखंड के सीमा पुनर्गठन करैत मिथिला राज्य बनेबाक मांग कयल गेल छल।
 
सरकारी दस्तावेज सब मे मिथिला के सम्बंधित बात शायद कतहु नहि अछि, कियैक त मिथिला में अनार्की (राज्यविहीनता) लगभग राजा शिव सिंह के बादहि सँ आबि गेल आ तकर बाद विभिन्न छोट छोट राजा सभक क्षेत्र बनिकय मुगल साम्राज्य केँ टैक्स दैत, फेर ब्रिटिश साम्राज्य केँ टैक्स दैत ओहि रियासत सभक नाम भेल जे मिथिलादेशान्तर्गतक राज्य सब कहायल। हँ, धर्मक्षेत्र (प्रयाग, केदारनाथ, बदरीनाथ, काशी, अयोध्या, बैद्यनाथधाम, कामाख्या, आदि) सब मे मिथिलादेश अन्तर्गत के राजा सब द्वारा कीर्ति आदिक शिलालेख आ गोटेक स्थान पर भेटल पांडुलिपि आदि, तिरहुत शब्द के प्रयोग सहित के कानूनी अभिलेख सब सेहो भेटल अछि जे मिथिलाक पूर्वाधार केँ मजबूती प्रदान करैत अछि।
 
अमित: मिथिला राज्यक आंदोलन मात्र 4-5 टा जिला तक सीमित कियैक अछि? 5 या 8 जिला सँ मिथिला राज्य कोना बनत?
 
प्रवीण: अहाँ त बेसिये कहि देलियैक, हमरा हिसाब सँ मिथिला राज्य लेल आंदोलन एखनहुँ सुसुप्त अछि। गोटेक संस्था मात्र समय समय पर मांग रखैत रहल अछि। कोनो संस्था दिल्ली के जंतर मंतर पर प्रत्येक संसद सत्र आरम्भ दिन धरना-प्रदर्शन करैत छथि, कोनो संस्था द्वारा विभिन्न जिला सब मे जनजागरण लेल यात्रा आ रोड शो सब करैत छथि, कियो सामाजिक संजाल आ न्यूजपेपर में मुद्दा जियेने छथि, एहि सँ इतर जनांदोलन के रूप में मिथिला राज्य के मुद्दा एखन धरि कतहु नहि भेल अछि। थोड़ बहुत प्रयास होइछ से दरभंगा टा में। एखन नव संकल्प संग मिथिला राज्य निर्माण सेना सब जिला केँ जगेबाक काज सिलसिलेवार तरीका सँ कय रहल अछि। सम्भवतः 2024 के संसदीय चुनाव आ 2025 के विधानसभा चुनाव में दलीय व्यवस्था में सेहो मिथिला राज्य के मुद्दा राजनीति में प्रवेश करत आ तखन धीरे धीरे लोक के अन्तरप्रकाश जागत एहि लेल। एखन धरि आंदोलन कतहु माटि नहि पकड़लक अछि।
 
राज्य होइत कि छय सेहो 100 में विरले 4-5 लोक बुझैत अछि। नौकरीजीवी केँ राज्य आ राजनीति आदि सँ बहुत बेसी लगाव नहि रहैत छैक। राजनीतिक साकांक्ष एतबा भेलैक अछि जे सरकारी कोष पर मुखिया-सरपंच-समितिक अधिकार होइत छैक, कोहुना चुनाव जीत आ ५ वर्ष मे कमाय कय ले।
 
1950 के दशक में डॉ लक्ष्मण झा बड़ा नीक ढंग सँ एहि बात के व्याख्या कयने छथि जे मिथिलाक लोक कतेक सहिष्णु होइत अछि आ राजनीतिक आकांक्षा कतेक आ कोन टाइप के लोक में होइत छैक। ओना ओ उत्तरप्रदेश के लखनऊ सँ पूरब सुदूर पूब आसाम के अंतिम छोर तक मात्र 3 गोट सैन्यगार आ लखनऊ सँ पश्चिम पाकिस्तान सीमा धरि कुल 7 गोट सैन्यगार स्वतंत्रता उपरान्त राखिकय देशक अवस्था नियंत्रण में लेल गेल छल।
 
इशारा साफ छैक जे सरकार प्रति मान्यता आ स्वीकार्यता के अवस्था एहि क्षेत्र में अन्य के तुलना अत्यन्त सहज अछि।
 
आर मिथिला राज्य के वास्तविक लाभ कि हेतैक से विश्वास एलिट्स द्वारा मास तक पहुँचेबाक काज में असफलता एकर मूल कारण थिकैक।
 
पढ़ल-लिखल लोक में सेहो नव राज्य गठन के बात विभाजनकारी, विखंडनकारी आदि तगमा पबैत छैक। फेर मिथिला के बहुजन समाज आ पढ़ल लिखल पर्यन्त बहुलता में आर्थिक स्थिति केँ केनाहू सुधार करय लेल चाहत रखैत अछि, ओकरा सब केँ बिहार होइ, मिथिला होइ, बंगाल होइ, सब बात धैन सन।
 
लेकिन सोशल मीडिया के युग आ एहि पर मैथिली मिथिला के अनेकन चर्चा के प्रचुरता सँ नया पीढ़ी में निजता, मौलिकता आ पहचान बचेबाक सोच क्रमिक रूप सँ बढ़ि रहल छैक। आगामी दिन में राजनीतिक संघर्ष मार्फ़त गोटेको आधेक सफलता प्राप्त कयलाक आ सदन धरि मिथिलावाद लेल पहुँचबाक काज होइत देरी पैघ हुजूम उमड़त। तखन मात्र जनांदोलन सब देखबय। से मात्र 5 टा जिला में नहि, सौँसे मिथिला में देखबय।
 
एखन त न ऊधो को लेना आ न माधो का देना!
 
अमित: मिथिला राज्य आन्दोलनी लोकनि चम्पारण सँ सन्थाल परगना तक मिथिला राज्य कहैत छथिन। जँ एकरा मिथिला राज्यक प्रस्तावित नक्शा मानि ली त’ 5 या 8 जिला छोड़ि आन जिला सब मे मिथिला राज्यक मांग केनिहार कियैक नहि भेटैत अछि?
 
प्रवीण: फेर वैह कहब जे पहिने के आंदोलन सम्बन्धित प्रश्न में कहने रही। राज्य प्रति नगण्य जनजागरण आ राजनीतिक जनचेतना में मिथिला राज्य प्रति कोनो भाव नहि होयब एकर मूल कारण थिक। ऊपर सँ यथास्थितिवादी राजनीति जे विद्यमान राजनीतिक अवस्था मे सत्तारोहण के सपना बुनने अछि, जेकरा विभाजित समाज सँ अपन पक्ष मजबूत होइत देखाइत छैक, ओकरा सब द्वारा भाषा आ संस्कृति पर एकल जातीय वर्चस्व स्थापित रहबाक भय देखा जनमत में मिथिला प्रति वितृष्णा उत्पन्न करैत अछि। एतबा नहि, दरभंगा आ दरभंगिया केर चायल, उपनिवेश, वर्चस्व स्थापित होयबाक भय सेहो देखेबाक कारण मिथिला राज्य प्राप्ति प्रति बहुतो जिलाक लोक में कोनो पैघ उत्साह हाल नहि छैक।
 
अमित: 2011 के जनगणना मुताबिक 30 टा में सँ 18 टा जिला एहेन अछि जाहि में 1% लोक मैथिली केँ अपन मातृभाषा नहि लिखेने अछि, 4 टा जिला में 1 सँ 3% लोक मैथिली केँ अपन मातृभाषा लिखेने अछि। एकरा दोसर तरीका सँ पढ़बैक त इहो पता चलैत छैक जे एहि 30 टा जिला में 10 टा जिला एहेन जतय मैथिलीक नाम लेबयवला हज़ारो टा लोक नहि अछि। माने 30 टा में सँ 22 टा जिला साफ-साफ कहैत अछि जे ओकर मातृभाषा मैथिली नै छै। तँ मिथिला राज्यक आधार की तय कयल जाय? मैथिली भाषाक आधार पर मिथिला राज्य कोना बनत?
 
प्रवीण: जनगणना के तथ्यांक अनुसार मैथिली भाषी के संख्या मात्र 1.2 करोड़ सुनलहुँ जे स्पष्टतः मिथ्यांक थिक, ई विश्वसनीय नहि अछि। गणक द्वारा मनमानी पूर्वक भाषा के प्रविष्टि मैथिली सँ इतर कयल जेबाक समाचार आ सच्चाई सुनैत रहल होयब, तेँ जनगणनाक आधार पर भाषा सम्बन्धी विश्लेषण करब समाज संग न्याय नहि हेतैक।
 
आ, भाषा केँ राज्य प्रायोजित रूप सँ खण्डित करैत रहबाक इतिहास सेहो अछि। कहिया सँ बज्जिका आ अंगिका आदि केँ भाषा के रूप मे कोना-कोना मान्यता दैत मैथिली केँ खण्डित कयल गेल छैक, स्वयं मैथिली केँ सेहो दशकों-दशकों धरि हिन्दीक बोली कहि-कहि कुप्रचार सब भेले छैक।
 
मैथिली के ऊपर किछु सीमित साहित्यकार जे खास जाति समुदाय केर रहल ओहेन कॉकस द्वारा सिंडिकेटिंग सँ मैथिली के संकुचित बनेबाक महाभूल सेहो मैथिली प्रति समर्थन केँ कमजोर बनेलक।
 
मैथिली केर मानक में केवल दरभंगा, मधुबनी, सहरसा, सुपौल, आदि किछु जिला आ ओहिठामक किछु खास समुदाय केर लेखक साहित्यकार धरि सीमित रहि जेबाक कारण अन्यत्र लोक भाषा के आधार पर एकजुट नहि रहि सकल। फराक बोली शैली सभपर आधारित लेख-रचना केँ सेहो यदि मैथिलीक नाम पर प्रकाशित होइतैक त शायद स्थिति दोसर रहितैक, लेकिन से सब गलती भेल छैक।
 
एहि तथ्य (भाषा आधारित जनगणना तथ्यांक) केर समीक्षा 1901 सँ 1911, 1921, 1931 आदिक जनगणना लैत आगामी 2022 में होइवला जनगणना धरि के तथ्यांक केर आधार पर विश्लेषण करय पड़त आ स्वतः देखब जे जेना जेना बिहार के प्रायोजित खेल मैथिली केँ कमजोर बनेलक, ताहि सभक दुष्परिणाम भेल जे लोक मैथिली सँ दूरी बना लेलक।
 
ई तोड़ हाल धरि जारी अछि। किछुए दिन पहिने राजद राज्यसभा सांसद मनोज झा द्वारा अंगिका के लेल कोड के मांग यैह देखबैछ जे जाति धर्म के बाद आब भाषा-बोली में समाजक अन्तर्विभाजन सँ अपन पक्ष मे मत गोलबंदी कयल जा रहल अछि।
 
हिसाब सँ ई समस्त भाषा विवाद सँ एकटा भाषा लाभान्वित भेल ओ थिकैक हिन्दी। एखनहुँ धरि भारतक राष्ट्रवाद केँ मजबूत बनेबाक लेल छुपल एजेन्डा यैह छैक – हिन्दी केँ एक राष्ट्र एक राष्ट्रभाषाक रूप मे स्थापित करब। हालांकि जे-जे राज्य अपन मौलिकता केँ छोड़ि हिन्दी अपनेलक ओ पिछड़ा राज्य केर रूप मे चिह्नित भेल अछि।
 
हिन्दी अपनेबाक लम्बा इतिहास एतय रहल। एतेक तक कि मिथिलाक्षर आ मैथिली केँ परित्याग कय देवनागरी आ हिन्दी मे राजकाज आ कोर्ट कचहरी के काज करबाक आदेश जारी कयल गेल रियासती राजा सब द्वारा। एहि में ब्रिटिश शासन, मुगल शासन, बिहार सरकार, भारत सरकार, सभक दबाव, नीति, निर्णय के सेहो प्रभाव रहल। लोक सेहो हिन्दी केँ राष्ट्रभाषा मानि अपनेलक, हिन्दी साहित्य केर पढ़ाई अंग्रेजी सँ बेसी लोकप्रिय बनल। मैथिली के शिक्षा के भाषा तक नहि बनय देल जा सकल बहुतो दिन धरि, बाद में वैकल्पिक साहित्य के विषय के रूप में मैथिली केँ प्रारंभिक शिक्षा में आनल जा सकल। उच्च शिक्षा लेल मैथिली केर पढ़ाई कोलकाता विश्वविद्यालय, पटना विश्वविद्यालय, बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी आदि तक पहुंच त बनल लेकिन ओ सब सरकार के उदासीनता के कारण आ मैथिली भाषा अध्ययन सँ प्राध्यापक, शिक्षक अल्पमात्रा में नियुक्ति पेबाक धरि सीमित अवसर के कारण दीर्घकालिक नहि बनि सकल।
 
मतलब जे मैथिली लेल अपन आ आन सब विपरीत रहल। स्वान्तःसुखाय मैथिली भाषा केर पढ़ाई, लेखन, शोध, आदि लोक करैत आबि रहल छल, आइयो करैत अछि। बीपीएससी में मैथिली केर विकल्प देलाक बाद एकर महत्व त बढ़ल लेकिन फेर एकरा हंटा देबाक आ निरन्तर घटिया बयानबाजी सँ लोक में वितृष्णा उत्पन्न होइत चलि गेल।
 
तेँ एहि दुरावस्था केर कारण भाषा आधार पर आजुक मिथिला में मैथिली सचमुच एक वृद्ध गाय समान अछि। आखिरी समय संविधान के अष्टम अनुसूची में स्थान आ संघ लोकसेवा आयोग में प्रवेश, ई नया ऊर्जा देलक अछि। आर मैथिली में फ़िल्म, मीडिया, लोककला, रंगकर्म, संचारकर्म आदि हाल एक दशक में सोशल मीडिया के कारण पुनः बढ़ि रहल अछि। लेकिन शिक्षा आ सरकारी कामकाज सँ दूर एकर मूल विकास आ क्षेत्र विकास ठमकल अछि, से रहबे करत।
 
आब भाषा आधार पर मात्र राज्य गठन नहि होइत छैक। मिथिला राज्य के समग्र आधार पर हम पहिने कहि चुकल छी। मिथिला एक सभ्यता थिकैक। मैथिल एक पहचान थिकैक। आर्थिक पिछड़ापन आ एहि क्षेत्र के मुख्य समस्या बाढ़िक निदान, उचित कृषि, सिंचाई, पनबिजली उत्पादन, जलपरिवहन, जलकृषि, रिवर पोर्ट्स, आईटी हब्स, एजुकेशनल इंस्टीट्यूसन्स आ कृषि उत्पाद आधारित उद्योग सँ अन्य विभिन्न सम्भावित निवेश के क्षेत्र, ई सब थिकैक राज्य निर्माण के आधार। भारत मे पुनः राज्य गठन आयोग बनेबाक बहस में राष्ट्रीयता केँ मजबूत बनेबाक आ मजबूत प्रशासन आ न्याय व्यवस्था सभक लेल छोट छोट राज्य बनेनाय जरूरी छैक। तदनुसार बनय मिथिला राज्य।
 
अमितः दरभंगा-मधुबनीक लोक अखनो सहरसा-सुपौलक मैथिली आ मैथिल सभ कें हेय दृष्टि से देखैत अछि आ ओकरा से अपना कें श्रेष्ठ गिनैत अछि आ ओकर भाषा के मखौल बनबैत अछि। तहिना सहरसा-सुपौलक लोक अपना कें मैथिलीभाषी नै गिनैत अछि। आर त’ छोड़ू, दरभंगा-मधुबनीक ब्राह्मण आ कायस्थ सभ कें छोड़ि कें बाकी मैथिली बजनाहर सभ अपना कें मैथिलीभाषी नै कहैत अछि (हमहूं इहए बेल्टक आदमी छी, गाम दरभंगा मे, पलल-बढ़ल मधुबनी मे, मातृक आ सासुर सेहो मधुबनी मे अछि; दसमा क्लास मे ऐच्छिक विषय मैथिली छल आ मैथिली से अनुराग अछि तैं फर्स्टहैंड जनै छी)। एना मे कोना बनत मैथिलीक आधार पर मिथिला राज्य?
 
प्रवीणः एक शिक्षित लोक केँ ई लिखब-बाजब जे दरभंगा-मधुबनीक लोक एना करैत छैक, दोसर केँ हेय दृष्टि सँ देखैत छैक… केवल आ केवल कपोलकल्पना आ पूर्वाग्रह मात्र देखबैत छैक। अहाँक प्रश्न सँ पहिनहि जतेक बातक दृष्टान्त अहाँ रखलहुँ से आधारहीन आ चाह दोकान पर कयल जायवला चर्चाक द्योतक मात्र अछि। यदि किछु दृष्टान्त उदाहरण सहित आ अहाँक मन-मस्तिष्क मे केना ई सब पूर्वाग्रह बनल से स्पष्ट करब तखनहि हम लोकक कहय-सुनय-बुझय केर विन्दु पर किछु बाजि सकब।
 
हमरा बुझने जे लोक छैक, विशुद्ध आमजन जे जमीन पर रहि रहल छैक ओकरा सब केँ अपन भाषा मैथिली थिकैक से पता छैक। लेकिन पूर्वाग्रही सोच, जातिवादी विचारधारा सँ कुन्ठित लोक, खासकय केँ ब्राह्मण जाति सँ घृणा करयवला एकटा समूह द्वारा कुप्रचारित करयवला, कियो-कियो ब्राह्मण-कायस्थ आदिक भाषा मैथिली कहनिहार, माने अन्दाजी आ मनमर्जी अपन भीतर रहल कोनो न कोनो कुन्ठा के चलते भाषा केँ परिभाषित करबाक अनधिकृत काज करैत रहैत छैक। एहि सब तरहक आधार पर भाषाक विमर्श नहि कयल जाइत छैक। लोकजीवन मे प्रचलित भाषा, घरे-घरे आ अंगने-अंगने प्राकृतिक रूप सँ प्रयोग कयल जायवला भाषा, आम जनजीवन मे प्रचलित भाषा, भाषा विज्ञान केर आधार पर परिभाषित दायराक भाषा, ध्वनि, उच्चारण, व्याकरण, व्यवहार आदिक आधार पर कोन स्थान, कोन गाम, कोन ठाम आदि मे बाजल जायवला आमजनक भाषाक समझ – एहि सब तरहें भाषाक विमर्श करबाक चाही। नहि कि लोक एना, लोक ओना… आ ओ कोन लोक थिक, के ओना करैत अछि, ओकरा पास कतेक अधिकार छैक ई सब बयानबाजी करबाक… ताहि पर केन्द्रित रहिकय विमर्श करू।
 
अहाँ सेहो जाहि बेल्ट के हेबाक बात कहलहुँ आ जाहि तरहक आधारहीन तथ्य पर भाषाक आधार केँ झुझुआन मनलहुँ से असान्दर्भिक अछि। मैथिली राष्ट्रीय भाषाक सूची मे जे गेलैक ताहि समय मे सेहो कतेको लोक एहिना कुतर्क सब करैत भाषा केँ कमजोर आ हिन्दीक बोली सिद्ध करय के चेष्टा कयनहिये छल। पंडितक भाषा कहिकय लालू यादव सन तथाकथित ‘सामाजिक न्याय’ करनिहार जननेता आ तथाकथित ‘मूक वंचित समुदायक मुंह मे आवाज देनिहार मसीहा’ सेहो एहि सब कुतर्क मे मैथिली केँ बिपीएससी सँ हंटा देलनि। एहि पर न्यायिक प्रक्रिया मे सेहो बिहार सरकार विरूद्ध पटना हाईकोर्ट मे रिट दायर भेल। रिट के निर्णय बिहार सरकार के विरूद्ध आयल। पुनः बिहार सरकार एहि बात केँ सुप्रीम कोर्ट तक लय गेल। अन्ततोगत्वा २०१० मे ओहो सब पेटिशन केँ खारिज करैत पटना हाई कोर्ट द्वारा देल गेल डिग्री कायम रखैत मैथिलीक अस्तित्व केँ जीवित राखल गेल।
 
अहाँ सँ हमर अनुरोध जे एहि तरहक भाषा-सम्बन्धी पूर्वाग्रह अपन मन सँ निकालि फेकू। अहाँ पढलहुँ तेँ मैथिली फर्स्ट हैन्ड लिखि पबैत छी, ताहि सँ पूर्व अहाँ अपन घर-परिवार मे जे बजलहुँ, परिवेश मे जे संस्कृतिक अनुकरण कयलहुँ, ओ सारा मैथिली छल। तेँ मातृभाषा मैथिली प्रति एहि तरहक क्षुद्र आ दरिद्र सोच एक पढ़ल-लिखल लोकक त एकदम नहि हुए, हम यैह कामना करब।
 
आर अन्त मे अहाँक एक पंक्तिक प्रश्न जे एना मे कोना बनत मैथिलीक आधार पर मिथिला राज्य – तेकर उत्तर मे कहब जे भाषा अनेकों आधार मे एकटा मुख्य आधार थिकैक, जेकरा सम्बन्ध मे कुप्रचार, कुतर्क आ कुत्सित मानसिकता केँ हरबैत भाषा विमर्शक उचित मानदंड पर निर्णय करबाक संग शिक्षा, राज्यक कामकाज, संचार, कलाकर्म, फिल्म, आदिक भाषा केँ सबलता दैत मिथिला राज्य केर निर्माण जरूरी छैक। से कयल जेबाक मांग छैक। भाषा लेल प्राप्त अधिकार केर उपयोग करैत सरकारी विज्ञापन सेहो मैथिली लेल होयब बाकिये छैक।
 
अमितः जं मैथिलीक आधार पर राज्य नै बनत तं आधार कोन? तिरहुत वा मिथिलाक ऐतिहासिक आधार पर? जं हं त’ कोना जखनि कि तिरहुत क्षेत्रक जनता अपना कें मिथिला सं नै गिनैत अछि। अत्ते तक की सीताक जन्मभूमि यानी सीतामढ़ी जिलाक (व आस-पासक जिलाक) लोक सभ अपना कें वज्जिकाभाषी कहैत अछि। भागलपुर-मुंगेरक वासी सभ अपना कें अंग प्रदेश मे गिनैत अछि आ पूर्णिया व आस-पासक लोक अपन भाषा कें ठेठी कहैत अछि।
 
प्रवीणः मिथिला राज्यक एकमात्र आधार भाषा नहि छी से बेर-बेर कहि चुकल छी। तथापि अहाँक बारम्बार यैह प्रश्न आ आशंका, दुविधा सब देखैत फेर कहय चाहब – मिथिला हो, तिरहुत हो, बज्जि हो, विदेह हो, वैदेही हो, तीरभुक्ति हो, जे सब पूर्वक समय मे मिथिलाक वैशिष्ट्य केर आधार पर नाम रहि चुकल अछि, ताहि सब पर चर्चा होइत रहैत छैक। कुन समय मे कुन नाम रहल से पहिने कतेको नाम केर चर्चा विभिन्न कालखंड मे आयल मिथिलाक इतिहासकार सब मानैत छथि, लिखने छथि। वर्तमान समय मे सर्वथा उपयुक्त नाम जे लोकप्रचलन मे अछि, जाहि पर देश-विदेशक अनेकों शोधकर्ता विद्वान लोकनि अपन-अपन शोधपत्र लिखि कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय सँ लैत जर्मनी, जापान, आस्ट्रेलिया, फ्रान्स, बेलायत, अमेरिका व भारतक विभिन्न विश्वविद्यालय आ शोधादि मे ‘मिथिला’ केर मान्यता प्रदान कएने अछि। एतय सेहो अहाँ सीतामढ़ी जिलाक लोक ई नहि मानैत अछि कहलहुँ से तुलना योग्य नहि अछि। कतय राष्ट्रीय-अन्तर्राष्ट्रीय पटल आ कतय ई अहाँक सम्पर्कित किछु लोक। हम २०१३ मे सीतामढ़ीक पुनौराधाम सँ शिवहर होइत मुजफ्फरपुर तक रथयात्रा मे शामिल रही। लगभग १०० टा नुक्कड़ सभाक आयोजन भेल छल। एकटा बड मोटगर रजिस्टर मे हजारों आदमीक हस्ताक्षर आ स्थानीय मुद्दा संकलन कयल गेल छल मिथिला राज्य निर्माण सेना द्वारा। कतहु विरोध के एकहु टा स्वर नहि सुनायल। हँ शिवहर जिलाक देकुलीधाम महादेव मन्दिर के पास एक कोनो दुबेजी यात्रा ओत्तहि सँ घुरेबाक लेल हल्ला कयलनि, दरभंगा-मधुबनीक उपनिवेशी मुद्दा कहैत मिथिला राज्य केर विरोध कयलनि, आ हुनका तुरन्ते ओहिठामक मुखियाजी श्री राजेन्द्र प्रसाद यादव आ मन्दिरक मुख्य पूजारी भारती परिवार द्वारा परिचय मंगलापर वैह स्वयं मिथिलाक बाहरी लोक सिद्ध भेलाह आ हुनकहि जमिकय विरोध भेल, माइक सेहो हाथ सँ छीनि लेल गेलनि, ओ लंक लयकय दोग-सान्हि दिश भगलाह। ई हमर आँखिक देखल बात कहि रहल छी। ऐतिहासिक दिन छल ओ १ जून २०१३। हमरा सब केँ वैह मुखियाजी एतेक पैघ आसरा भेलाह जे ओहि राति ओत्तहि विश्राम आ भोजनक इन्तजाम सेहो कयलनि। भोरे गरम-गरम पूरी, तरकारी आ जिलेबी भरि पेट खुआकय आगू विदाह कयलनि। जनता केँ सम्बोधन मे ओ कहने छलाह जे कियो त आयल हमरा सब केँ अपन असल अस्मिता सँ जोड़य लेल। हम सब जनकक सन्तान छी, मैथिल छी पहिने, तखन किछु आन छी।
 
तहिना एकटा रिटायर्ड प्रधानाध्यापक जी शिवहर जिला मुख्यालय मे हमरा सभक सभा मे सम्बोधन करबाक इच्छा रखलनि, बाजय लेल स्वागत कयल गेलनि आ ओ ई बात रखलाह जे एकटा समय छल, हमहुँ स्वयं केँ मैथिलीभाषी बुझि एम्हुरका शैली मे मैथिली लिखी, लेकिन दरभंगाक लेखक लोकनि हमर मैथिली केँ अशुद्ध करार देल करथि, मोन टूटि जाइत छल। निस्सन्देह ई गलती दरभंगाक एकटा खास साहित्यिक कौकस द्वारा होइत रहल छल, एखन धरि होइत अछि। लेकिन आब जाहि गति सँ लोक मे जनजागरण आ अपन भाषा प्रति सजगता बढि रहल अछि, भाषा आधारित सृजनकर्म आ सृजनक सम्मान लेल खुजल सरकारी अकादमी सँ लाभ प्राप्तिक सामान्य शिक्षा जन-जन धरि पहुँचय लागल अछि, आब ईहो भूल आ भ्रम जल्दी टूटत। सर्वसमावेशी साहित्यिक योगदान केर कदर होयत।
 
जखन यात्रा शिवहर आ मुजफ्फरपुर केर बीच हाईवे पर सँ गुजरि रहल छल, चौक-चौराहा पर वृद्ध आ सम्भ्रान्त लोकनि सब आबिकय यात्री सब केँ भरपूर आशीर्वाद दैत कहथि जे आजादी के इतने वर्षों बाद हमें हमारे मूल से जोड़ने के लिये कोई तो आया…! एहि लाइन केर अर्थ अहाँ बुझू। लोकक मन मे मिथिला प्रति के लगाव केँ बुझू। जे स्वयं बिहारी जातिवादी राजनीति आ तथाकथित सामाजिक न्याय वला झाँसा मे रहत ओकरा सभक नजरि मे ई मूल, मौलिकता, शुद्धता आदिक महत्व कतेक हेतैक! स्वतः अन्दाज लगाउ। एखन त मात्र ७५ वर्ष आ अमृत महोत्सव धरि आबिकय ८०% पलायनक शिकार भेल अछि मिथिलावासी, राज्यविहीनताक अवस्था यैह रहि गेल त आगामी १० वर्ष बाद देखब जे लोक-लोक बीच केहेन-केहेन अन्तर्संघर्ष आ पलायनक दंशक दुष्परिणाम सब सोझाँ अबैत अछि।
 
लोक बज्जिका भाषी हो, सम्मान दियौक। अंगिका भाषी हो, सम्मान दियौक। मिथिला सर्वसमावेशी सिद्धान्तहि पर आ वर्तमान लोकक जनादेश अनुसारे आगू बढि सकैत अछि। मिथिला लेल विजन डकुमेन्ट मे ई सब बात खोलिकय जन-जन केर हाथ मे पहुँचेबाक काज एखन धरि बाकिये अछि। कहियो सुनल आइ धरि जे मिथिला राज्यक मांग करनिहार भागलपुर केर अंगिकाभाषी केँ या सीतामढ़ी-शिवहर-मुजफ्फरपुर केर बज्जिकाभाषी केँ मिथिला राज्य हुनका लोकनिक प्रति केहेन सोच छन्हि से कतहु लेनदेन कयलक या आपस मे बैसिकय बातचीत कयलक… कतहु नहि। निस्संदेह, मिथिला राज्य निर्माण सेनाक यात्राकाल मे वैह शिवहर-मुजफ्फरपुर सड़कखण्ड मे बज्जिका भाषाक एक कार्यकर्त्री नेतृ हमरा सब केँ अपन घर मे स्वागत करैत बजौलनि आ एहि लेल सहमति देलनि जे क्षेत्रक समग्रताक आधार पर मिथिला राज्यक मांग बज्जिकांचल सँ बेसी महत्वपूर्ण आ जरूरी अछि। भाषा विकास लेल आ मिथिला राज्य भीतर बज्जिकांचल आ अंगिकांचल विकास परिषद केर अवधारणा सेहो जोड़िकय बढू, हम सब संग रहब। त ई जरूरी अछि जे मिथिला राज्य केर मांग करनिहार सब एक मंच पर मोर्चाबद्ध होइथ आ एहि सब मुद्दा केँ उचित ढंग सँ सम्बोधित करैत घोषणापत्र (मेनिफेस्टो) जारी करथि। एखन धरि मिथिला राज्यक आन्दोलन केँ व्यवस्थित करबाक काज नहि भेल अछि, हमरा ई स्वीकार करय मे कोनो असोकर्ज नहि। ई सब जल्दी हो। तखनहि २०२४ आ २०२५ केर सपना पूरा होयत।
 
अमितः जं कनि देर लेल मिथिला राज्यक अवधारणा कें स्वीकार क’ लेल जाय त’ एइ राज्यक राजधानी कत्त’ हेतै? दरभंगा? अहां कें बुझाइत अछि जे अतेक विशाल भू-भागक लोक (जे अपना कें मिथिलाक हिस्सा मे नै गिनैत अछि से), दरभंगा कें अपन राजधानी मानबा लेल तैयार हैत?
 
प्रवीणः राजधानी निस्सन्देह दरभंगा हेतैक। दरभंगा मे सारा पूर्वाधार उपलब्ध छैक। बाकी पूर्वाधार विकास करब सेहो आवश्यक छैक। दरभंगा एयरपोर्ट आ दरभंगा मे एम्स केर स्थापना एहि बात केँ आर सबल बनेलक अछि। दरभंगा सँ सम्पूर्ण मिथिलाक्षेत्रक कनेक्टिविटी पर हाल नीतीश कुमार सरकारक समय मे बहुत महत्वपूर्ण काज सब भेलैक अछि। दरभंगा सँ पूब आ पच्छिम दुनू दिशक यात्रा लेल कोसी, गंगा, बागमती, कमला-बलान आदि मुख्य नदी सब पर पूलक निर्माण आ सड़कक अवस्था मे उल्लेखनीय सुधार सेहो भेलैक अछि। आब दोसर केकरो स्वीकार नहि हेतैक ई सब तरहक कल्पना करब एखन हड़बड़ी हेतैक। विजन डकुमेन्ट मे हमर सुझाव रहत जे बेगूसराय केँ औद्योगिक राजधानी, मुजफ्फरपुर केँ अन्तर्राष्ट्रीय मंडी, भागलपुर केँ अन्तर्राष्ट्रीय सिल्क मंडी आ हवाईअड्डा संग उप-राजधानी, पूर्णिया केँ हवाईअड्डा आ अन्तर्राष्ट्रीय खाद्यान्न मंडी आ एहि तरहें क्षेत्रीय विशिष्टताक आधार पर नवाचार आ पूर्वाधारक विकास सहित मिथिला राज्य केर स्वरूप पर सहमति बनय। आपस मे जखन वार्ता शुरू हेतय तखनहि ई सब संभव अछि। से आब जल्दी हो। ईहो सब त बाकिये छैक होयब।
 
अमितः स्टेट रिऑरगनाइजेशन कमीशन मे मिथिला राज्यक आधार किएक नै मानल गेल? की ऊपर वर्णित कारण सभ दुआरे त’ नै वा तत्कालीन मैथिल प्रबुद्ध वर्ग (दरभंगा महाराज सहित) किएक नै सफल भ’ सकलाह?
 
a. दरभंगा महाराज त’ देशक सभसं पैघ जमींदार छलैथ आ कांग्रेस सहित देश लेल कतेको काज केलैथ (ई दावा अक्सर पढ़बा मे अबैत अछि)। फेर किएक नै बनबा सकलाह मिथिला राज्य? की हुनकर प्रयत्न ईमानदार नै छलन्हि?
 
प्रवीणः एसआरसी मिथिला राज्य केँ केवल एलिट्स केर मांग कहि ‘जनभावना मे कमी’ केर आधार पर खारिज कयने रहय, जाहि मे अध्यक्ष फजली अहमद एक न्यायाधीश केर तौर पर स्वयं पटना कोर्ट मे काज करबाक आ स्थानीय भला-भद्रलोक संग भेल वार्ता-विमर्श-बहस आदिक आधार मानबाक जिकिर सेहो कयने छथि, ई बात हम डा. अलख निरंजन सिंह व डा. प्रभाकर सिंह केर शोधपत्र मे पढने रही। आयोगक पूरा प्रतिवेदन हम स्वयं नहि पढ़ने छी। आर, सच छैक जे मिथिला राज्य एखन धरि जनान्दोलनक रूप नहि पकड़ि सकलैक अछि। ई एखनहुँ वैह अवस्था मे छैक जे एलिट्स केर मांग थिकैक। एलिट्स मे आब केवल उच्च जातिक लोक नहि, आइ आर्थिक रूप सँ आ बौद्धिक रूप सँ सक्षम गैर ब्राह्मण-कायस्थक कतेको लोक एहि मांग केँ अपन समर्थन देलनि अछि। लेकिन ओहो लोकनि एहेन करिश्माई लोकनेता (जननेता) नहि भ’ प्रबुद्धजन मात्र थिकाह। दरभंगा महाराज केर प्रयास पर हमर अध्ययन नहि अछि। हुनका द्वारा कयल गेल मांग केर एक पत्र जरूर हम देखलहुँ, लेकिन ता धरि डार आयोग द्वारा देल गेल रिपोर्ट मे भाषा पर आधारित राज्यक गठन केँ खंडित कय देल गेल छल। दोसर बात, दरभंगा महाराज स्वयं कतेको तरहक दबाव मे रहथि। जमीन्दारी व्यवस्थाक खारेजी सँ लैत जगह-जगह हुनकर विरोध मे कम्यूनिस्ट आन्दोलनक चर्चा सेहो हम सुनैत रहल छी। तेँ, हुनकर असफलता पर समुचित अध्ययन उपरान्त मात्र अपन विचार राखि सकब।
 
अमितः जं कनेक देर मानि लेल जाय जे मिथिला राज्य बनक चाही त’ ओकर बाद की? देशक सभ सं पिछड़ल ई इलाकाक विकासक विजन की अछि? कोना चलतै ई राज्यक अर्थव्यवस्था? कोम्हर लगतै उद्योग-धंधा? किएक आओत लोक ई प्रस्तावित मिथिला राज्य मे निवेश करबा लेल जखन कि एइ इलाकाक दू-तिहाई से बेशी इलाका मे सालक 8 महीना पानि लागल रहैत छै? कोना देबै 5 करोड़ मैथिल कें रोजगार (जं 30 टा छोड़ू, 22 या 20 टा जिला के आधार पर मिथिला राज्य मानि ली तं)? गौरवशाली अतीतक बूते कतेक दिन चलत मिथिला आ प्रस्तावित मिथिला राज्य?
 
प्रवीणः सब सँ बेसी सार्थक, सकारात्मक आ महत्वपूर्ण विन्दु अहाँ द्वारा एहि बुन्दाक प्रश्न सब सँ पुछल जेबाक अनुभूति भेटल। एहि पर हालहि हम एक लेख लिखने छी। एहि लेख मे ‘मिथिला लेल राजनीति करबाक आधारपत्र’ शीर्षक अन्तर्गत हम अपन बौद्धिक सामर्थ्य अनुरूप मिथिला राज्य केर सम्भावित क्षेत्र आ विकास केर अवधारणा, रोजी-रोजगार, किसानी-व्यापार आदिक समग्र खाका मात्र खींचने छी। एहि सब विन्दु पर विज्ञजन लोकनिक समूह बैसथि, निर्णय करथि आ तदनुसार मिथिला राज्यक अवधारणापत्र घोषित हो। ई बहुत जरूरी अछि। पढूः https://maithilijindabaad.com/?p=17595
 
अमितः जं चंपारण सं संथाल परगना वला नक्शा मानि ली मिथिला राज्यक त’ 22 टा लोकसभा सीट आ 169 टा विधानसभा सीट होइत अछि। एइ मे से कतेक राजनीतिज्ञ व राजनीतिक दल मिथिला राज्यक पक्ष मे छथि?
 
प्रवीणः ईहो बहुत महत्वपूर्ण सवाल लागल। २०१४ मे मिथिला राज्य लेल एकटा संगोष्ठी भेल छल। मिथिला राज्य निर्माण सेना द्वारा ताहि समय दर्जनों नेताक सहभागिता सँ संगोष्ठी मे नेतृत्वकर्ता लोकनिक जनादेश लेबाक चेष्टा कयने रहथि। उपस्थिति लगभग २० गोट संसद-विधायक लोकनिक भ’ सकल छल। बाकी विद्वान विचारक लोकनि सेहो रहथि। मुदा अहाँ जाहि तरहें सब क्षेत्रक जनप्रतिनिधिक सहमति पर सवाल उठेलहुँ अछि, से नहि भ’ सकल अछि। आ नहिये ओ लोकनि स्वतःसंज्ञान सँ कहियो समर्थन आ कि विरोध मे कोनो बयान कतहु देलनि अछि।
 
अमितः जं मिथिलाक (वा तिरहुतक) इतिहास कें आधार पर राज्यक दावा कयल जाए, तं फेर मैसूर किएक नै अपन दावा करै (जै मे आंध्र, केरल आ तमिलनाडुक कतेको हिस्सा आबि जेतै)? आजादीक समय मे 565 टा राजा वा प्रिंसपैलिटी गिनल गेल रहैक। सबहक दावा कें किएक नै मानल जाय? आ जं सबहक दावा कें मानल जेतै तं फेर भारत नामक गणराज्यक की हेतै? मिथिला कें कियैक स्टैंडअलोन तरीका से देखल जाय जं आनक दावा नै मानबै तं?
 
प्रवीणः ईहो बहुत बौद्धिक प्रश्न अछि। ५६५ टा रियासत केँ राज्य बनबाक आधार तहियो जँ रहितैक त विचार जरूर होइतैक, लेकिन तेना नहि छैक। प्रान्तक संख्या कम राखल गेल छलैक। राज्य पुनर्गठन आयोग केर गठन एहि सब गुत्थी केँ सुलझेबाक लेल रहैक। दावेदारी सेहो बहुत रास नहि आयल छलैक। सौभाग्यवश मिथिलाक दावेदारी १९४० ई. सँ रहलैक। आनो-आनो प्रान्त सँ आरो कतेको राज्य केर निर्माण केर बात छैक। एहि विषयक नीक आलेख विकीपीडिया पर सेहो छैक, संगहि आरो कतेको स्थान परः https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%AD%E0%A4%BE%E0%A4%B0%E0%A4%A4_%E0%A4%95%E0%A5%87_%E0%A4%AA%E0%A5%8D%E0%A4%B0%E0%A4%B8%E0%A5%8D%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%B5%E0%A4%BF%E0%A4%A4_%E0%A4%B0%E0%A4%BE%E0%A4%9C%E0%A5%8D%E0%A4%AF_%E0%A4%A4%E0%A4%A5%E0%A4%BE_%E0%A4%95%E0%A5%8D%E0%A4%B7%E0%A5%87%E0%A4%A4%E0%A5%8D%E0%A4%B0
 
भारत के प्रस्तावित राज्य तथा क्षेत्र शीर्षक मे उपलब्ध एहि लेख आ एकर सन्दर्भ सब पर नजरि दियौक। संगहि एकटा मानचित्र (मैप) सेहो जे एहि प्रस्तावित राज्य सभक संलग्नता मे भारत केहेन देखाइत छैक, ओ फोटो हम एतय संलग्न कय रहल छी।
 
आशा करैत छी जे ईमानदारी सँ अपन समर्थन निज मातृभाषा आ मातृभूमि व पहचान लेल बनायब सब गोटे। कतहु सँ हीनताबोध आ जातीय आधारित मनक गाँठ सब मे ओझराकय स्वयं केर स्व केँ गलत आ अशुद्ध ढंग सँ कियो गोटे नहि बढेबाक प्रयास नहि करब, ई जीवनक सब सँ पैघ हार होयत।
 
हरिः हरः!!

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