नेपाल मे मिथिलाक नया नाम पड़ल ‘मधेश’
नेपालक नव संविधान (२०७२ विक्रम संवत साल) के मुताबिक कुल क्षेत्रफल १,४७,१८१ वर्ग किलोमीटर केँ विभिन्न दृष्टिकोण (राजनीतिक, ऐतिहासिक, भौगोलिक आ तत्कालीन संविधान सभाक बहुमत सदस्यक सहमतिक आधार, सम्बन्धित विषय पर गठित आयोग सभक सुझाव, आदि) केर आधार पर नेपालक शासकीय संरचना मे नेपाल केँ ७५३ स्थानीय तह (local body), ७ प्रदेश (Province) तथा संघीय सरकार (Federal Government) केर रूप मे विभाजित कयल गेल छैक। विक्रम संवत १८२५ (लगभग २५३ वर्ष पहिने १७६९ ई. के आसपास) तत्कालीन नेपाल छोट-छोट राज्य मे विभाजित रहबाक अवस्था मे बाहरी सम्राज्यवादी शक्ति सँ अपन धर्म आ पहिचान संग स्वतंत्र अस्मिता केँ बचेबाक लेल गोरखा राज्यक राजा पृथ्वीनारायण साह केर नेतृत्व मे एकजुट भेलाक बाद सँ ‘एकात्मक शासन प्रणाली’ सँ एतय शासन चलैत रहल। बाहरी उपनिवेशी शासक आ सम्राज्यवादी सँ सर्वथा स्वतंत्र राष्ट्र नेपाल मे आन्तरिक निरंकुश शासन व्यवस्था विरूद्ध अन्य पहचानवादी संघर्षक मांग अनुसार अन्ततोगत्वा २०७२ विक्रम संवत साल मे आबिकय एकात्मक शासन प्रणाली केँ समाप्त करैत ‘संघात्मक शासन प्रणाली’ मे प्रवेश करबैत ‘लोकतांत्रिक गणतंत्र नेपाल’ केर घोषणा कयल गेल।
घोषित ७ प्रदेश मध्यक ‘प्रदेश २’ केर सीमांकन शुद्धरूप सँ मिथिला सँ मेल खा रहल छल। नेपाल देश मे मिथिलाक ऐतिहासिक, भाषिक, धार्मिक, सांस्कृतिक आधार पर वर्तमान कोसी धाराक पश्चिम आ गंडकीक पूरब के भौगोलिक क्षेत्र केँ प्रदेश-२ कहैत संघीय संविधान प्रदेशक प्रदेश सभा (House of Provincial Assembly) द्वारा प्रदेशक नाम संग राजधानी कतय राखल जाय ताहि लेल अधिकार प्रदान कएने छल। एहि अधिकारक प्रयोग करैत निर्वाचित प्रथम प्रदेश सभा द्वारा कार्यकालक आखिरी काल मे प्रदेशक नाम ‘मधेश प्रदेश’ आ राजधानी ‘जनकपुर’ केँ वांछित दुइ-तिहाई बहुमत सँ पास कयलक। प्रदेश सभा मे एहि सँ पूर्व काफी घमर्थन भेल। जमिकय सदस्य लोकनि आ पार्टी (दल) सब अपन-अपन तर्क प्रस्तुत कयलनि। मिथिला सेहो नामकरणक विकल्प मे राखल गेल छल। देशक प्रजातांत्रिक धारक सब सँ पहिल राजनीतिक दल ‘नेपाली कांग्रेस’ द्वारा सदन मे ‘मिथिला भोजपुरा’ नाम प्रस्तावित कयल गेल छल। हालांकि एहि नाम-प्रस्तावना मे भोजपुरा शब्द कथित तौर पर वर्तमान समयक बारा, परसा क्षेत्र मे भोजपुरी भाषीक बहुल्यता केँ देखैत भाषाक आधार मात्र लैत ‘मिथिला भोजपुरा’ प्रस्ताव राखल गेल एना लगैत अछि, नेपाली कांग्रेस द्वारा मिथिलाक समग्र ऐतिहासिकता जाहि मे यैह कथित भोजपुरी भाषी क्षेत्रक सिमरौनगढ़ मे मिथिलाक राजधानी रहल ताहि सब बात केँ नकारल जेबाक भूल भेल, एना हमरा लगैत अछि, तथापि मिथिला-भोजपुराक रूप मे मिथिला नामकरण प्रस्ताव सदन मे रहल से सत्य अछि। लेकिन नेपाली कांग्रेस सदस्य मध्य आपस मे मतैक्यता नहि छल, कारण कियो एक सदस्य पार्टी सँ अलग नामक प्रस्ताव सदन समक्ष सेहो रखने छलाह। एहि देशक दोसर सर्वाधिक प्राचीन आ शक्तिशाली राजनीतिक दल नेपाल कम्यूनिष्ट पार्टी (एकीकृत मार्क्सवादी लेनिनवादी) द्वारा नामकरण लेल ‘जानकी प्रदेश’ केर प्रस्ताव राखल गेल छल। बाकी मधेशवादी राजनीतिक दल जनता समाजवादी पार्टी, लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी, नेकपा माओवादी केर बहुमतीय सदस्य ‘मधेश प्रदेश’ नामकरणक प्रस्ताव पर अडिग रहथि। संविधानक प्रावधान मुताबिक दुइ-तिहाई बहुमत सँ मात्र कोनो नाम पारित कयल जा सकैत छल, अतः दुइ-तिहाई बहुमत लेल मात्र ७ मत केर कमी केँ पूरा करबाक लेल नेपाली कांग्रेस किंवा नेकपा एमाले सँ ७ सदस्यक मत प्राप्ति लेल होड़ छल। एक बेर पहिनहुँ नामकरणक प्रस्ताव पारित करबाक प्रयास मे दलीय अडान के कारण प्रस्ताव पास नहि कयल जा सकल छल, मुदा आब सदस्य लोकनिक कार्यकालक अन्त आबि गेल समय मे सेहो जँ नामकरणक प्रस्ताव पारित नहि होइतय त आगाँ राजनीतिक दल आ नेतृत्वकर्ता लेल जनादेश प्राप्त करय मे घोर लज्जाक विषय होइतय, तेँ फ्लोर क्रौस (पार्टी लाइन केँ उल्लंघन) करैत आखिरकार प्रदेशक नाम आ राजधानीक नाम क्रमशः मधेश प्रदेश आ जनकपुर तय करैत पारित कयल देल गेल अछि। विगत ४ वर्ष सँ ऊपर केर घमर्थन आ राजधानीक नाम मे वीरगंज व अन्य केर प्रतिस्पर्धात्मक बार्गेनिंग तक केर सामना करैत प्रदेश सभा द्वारा प्रदेश २ केर नामकरण आ राजधानीक नामकरण तय कय देल गेल अछि।
एम्हर मिथिला प्रदेशक लेल सेहो राजनीतिक संघर्षक इतिहास भेटैत अछि, मिथिला राज्य संघर्ष समिति द्वारा संविधान सभा प्रथम केर समय सँ आन्दोलन कएने छल। परञ्च मधेश आन्दोलन आ मधेशक मांग केर सामने मिथिला आन्दोलनक आकार आ राजनीतिक प्रभाव बहुत छोट छल। मिथिला राज्य आन्दोलन मे शहादत देनिहार ५ शहीद केर मांग ताहि दिन पूर्ण भ’ गेल जहिया नेपाल जेहेन छोट क्षेत्रफलक देश मे प्रदेश २ बिल्कुल मिथिला सँ मिलैत-जुलैत घोषित भेल छल, हालांकि मिथिलाक्षेत्रक वास्तविक सीमा कोसी के धारा धरि पूर्व मे पड़ैत अछि से झापा-बंगालक सीमा धरि कोसीक पूर्वधारा छलय… मुदा पूर्वक तिलयुगा (कोसीक उपधारा) केँ १९५६-५९ मे कोसी समझौताक बाद कोसी बैरेज निर्माण भेलाक बादक कोसी धारा केँ पूर्व मानि घोषित प्रदेश-२ केर सीमांकन यथार्थतः मिथिलाक ओहि ५ शहीद केँ श्रद्धाञ्जलि भेल। एम्हर मधेश आन्दोलन जे नेपालक तराई-मधेश कहायवला समतल भूभागक कुल २२ जिलाक ‘समग्र मधेश एक प्रदेश’ केर मांग करैत कयल गेल, जाहि मे सैकड़ों मधेशी (सम्पूर्ण २२ जिला झापा सँ महेन्द्रनगर धरिक भारतीय सीमा सँ जुड़ल क्षेत्र) शहादत देने छलाह, हुनका लेल आखिरकार आठहु जिलाक मिथिलाक्षेत्र केर नाम ‘मधेश’ दैत श्रद्धाञ्जलि देबाक वास्ते नेपालक मिथिलाक नाम ‘मधेश प्रदेश’ बनबैत प्रदेश-२ के प्रदेश सभा सदस्य सब देलनि, एहि सँ अपन लाज बचेबाक आ राजनीतिक भविष्य मधेशहि केर नाम पर सुरक्षित रखबाक आत्मानुभूति मे देखा रहल छथि। भौगोलिक सीमांकन विशुद्ध मिथिला तथा एहि क्षेत्र मे रहनिहार सम्पूर्ण जनकप्रजा मैथिल थिकाह, लेकिन राजनीतिक स्थिति-परिस्थितिक कारण ओ लोकनि आब ‘मधेशी’ बनायल गेलाह से बेमन स्वीकार करबाक अवस्था अछि।
लेख केर अन्त मे एतबे कहब जे मिथिलाक अस्तित्व केँ तरह-तरह के भ्रान्ति, भ्रम आ भड़कदार कुतर्क मे कियो भाषिक पहिचान, कियो धार्मिक पहिचान आदि कहिकय नकारि देल करैत छथि; यैह काज भारतहु मे बिहार प्रान्तक गठन समय कयल गेल छल, से नामक अशुद्धि सँ संस्कार केना अशुद्ध भेल करैत छैक तेकरे परिचय ‘बिहारी’ कहाइत आइ मैथिल भोगिये रहल छथि भारत मे… आब मधेशी कहाइत भोगबाक नीयति हेतनि नेपालहु मे। अपने सँ अपन भाषा-भेष-भूषण केँ जेना बिहार लतखुर्दन कयलक, हिन्दी अपनेलक आ आइ सब सँ पिछड़ा राज्य, मजदूर आपूर्तिकर्ता राज्य केर रूप मे परिचिति बनौलक, किछु तहिना मधेशी (मैथिल) केर नहि होइन्ह हम एतबे कामना करैत छी। पूर्वहु मे मधेशी पहिचान एक हेपहा गारि रूप मे नेपालक लोकसंस्कार मे छल, जेकरा यथार्थतः मधेश आन्दोलन एकटा सम्मानित पहचान केर रूप मे स्थापित करबाक काज कयलक अछि, बस यैह वीरता आ आत्मसम्मान केर पहिचान ‘मधेशी’ सेहो बनय, हमर यैह शुभकामना। मैथिल पहिचान अपन मंथन लेल जानल जाइत अछि। सृजनकर्म एकर मूल श्रृंगार थिकैक। भाषा, लिपि, साहित्य, शब्दकोश, व्याकरण आ शुद्धतावादी पहिचान संग खोज, अनुसन्धान आ नित्य दर्शन पर केन्द्रित जीवन पद्धति – समरस समाज, सौहार्द्र व भाईचारा संग सभक उन्नति लेल एकजुटता एकर संस्कार थिकैक, ओ जनक-जानकीक असीम कृपा सँ कायम रहत से हमर आत्मविश्वास कहि रहल अछि। अस्तु! नाम से क्या लेना मेरा काम देखो यारो!! कम सँ कम एहि भाव केँ ‘मधेश प्रदेश’ जरूर जियत, निजताक सम्मान करब सिखत आ नव स्वर्णिम भविष्य बनायत। ॐ तत्सत्!
हरिः हरः!!