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“खरमाससँ जुड़ल रोचक कथा”

— भावेश चौधरी।                               

‘खरमास” दू शब्द ‘खर ‘आ ‘मास’ सा बनल अई।खर माने ‘गदहा’ आ मास माने ‘महीना’। तै खरमास के ‘गदहमास’ सेहो कहल जाई छै। एकर नामकरण के एकटा प्रसिद्ध कहानी अय।सूर्य देव अपन सातों घोड़ा के रथ पर सवार पूरा ब्रह्मांड के परिक्रमा शुरू केला।बिना कोनो पल के विश्राम केने।सूर्य ता भगवान भेला,लेकिन घोड़ा ठहरल जानवर। अनवरत रुप सा चलैत चलैत थाइक गेला,भूख प्यास सा बेहाल।घोड़ा के थाकल देखि प्रभाकर द्रवित भा गेला। आगू सरोवर लग दू टा गदहा के चरैत देख घोड़ा के खोलि गदहा के रथ में जोइत लेलाथ।। पुनः आगू प्रस्थान केलैथ। लेकिन गदहा कतऊ घोड़ा के परितर का सकई अई? रथ के गति धीमा भा गेलन। येन तेन प्रकारे परिक्रमा पूरा भेल। लेकिन अहिमे एक महीना के समय लाइग गेलन।याह एक महीना के खरमास कहल गेल।। ई क्रम हर सौर वर्ष में होई छै । तै हर साल एक महीना खरमास के निहित।
ज्योतिषशास्त्र के अनुसार,सूर्य देव के धनु राशि में प्रवेश करय के समय सा ला के मकर राशि में प्रवेश करय के समय खरमास भेल।
खगोलशास्त्र अनुसार बारहों राशि के भ्रमण के दौरान जेखन सूर्यदेव बृहस्पति देव के राशि धनु आ मीन में प्रवेश करैत छथि, ओ खरमास कहल गेल।
समस्त्र शास्त्र,ज्ञान आ विज्ञान के निचोड़ ई जे खरमास माने साल के ओ एक महीना जेखन सूर्य के गति धीमा होई छैन।
केवल अपन मिथिले टा में नई अपितु पूरा देश में (किछु दक्षिण प्रांत अपवाद ) खरमास में कोनो शुभ मंगल कार्य नै होई छै। मुंडन, उपनयन,विवाह,दुरागमन,गृह प्रवेश,नया व्यापार आदि वर्जित अई।नया घर, वाहन, आभूषण आदि के क्रय विक्रय सेहो निषेध।लेकिन अहि समय काल में श्राद्ध कर्म, अन्नपराशन, सामान्य पूजा पाठ,दान आदि अत्यंत लाभदायक।गरीब और जरूरतमंद के यथाशक्ति दान करै सा देवता पितर प्रसन्न होई छथि। कतो कतो खेनाई में मूंग दाल, तील, जौ सेहो वर्जित।
खरमास काल में कोनो मांगलिक काज नई करेबाक पाछू वैज्ञानिक आधार सेहो।तमाम ग्रह में केवल सूर्य आ वृहस्पति एहन छइथ जिनकर केंद्र द्रव्य रूप में होई छैन ,बाकी सब के ठोस। दुनु ग्रह हाइड्रोजन आ हीलियम सा बनल। दुनू ग्रह के एक संगे जमाव के कारण पृथ्वी पर सौर चुम्बकीय किरण बहुत बेसी मात्रा में पहुंचा लगैत अई। अहि सा मानसिक तनाव,अवसाद आ बीमारी के बढ़ोत्तरी होई छै। ताहि द्वारे अहि समय के खरमास संज्ञा आ सिंहस्थ दोष देल गेल।
हमर व्यक्तीगत राय जे अपन सबहक पुरातन लोग के गणना,तकनीक आ ज्ञान एखन के बैज्ञानिक लोकनि सा बेसी उन्नत। हुंकर बनाओल सब मान्यता के पाछु किछु ठोस आधार रहैत छेलन।आब आधुनिक विज्ञान सेहो सहमत भा रहल अय।खरमास एकर बढ़िया उदाहरण।कतेक के सही कारण पता चलल आ कतेको एखनों अबूझ पहेली।
जय मिथिला, जय मैथिली।।

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