“मिथिलामे रोजगार”

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– मनीषा झा।                     

बेरोज़गारी सँ त्रस्त देश अछि,
ताहू मे मिथिला के हालात खराब,
सब बेर ठकि ठकि केर नेता,
हम आनब आब रोजगार !!

बैन विधायक बिसरी जाइत छथि,
मिथिला के कि अछि हाल,
काज -धंधा सब नष्ट भेल,
बिन-काज केना चलत परिवार !!

रोटीयो क आफत भ गेल अछि,
टाका क नैय कोनो जोगार।
पापी-पेट भरैय के खातिर,
छोड़ैय परैत अछि अपन घरबार!!

नहिं अछि रोजी-रोटी क साधन,
कमे बेस अछि कोनो रोजगार!!
आई मिथिला के एहेन अवस्था,
छथि के एकर जिम्मेदार !!

सरकार क वोटे का चाहि,
वोटे टा बुझैथ अपन अधिकार!
जनतो हुनकर पाछु -पाछु,
बिसरी जाइत छथि राज्यक हाल!!

जे किछु छल उद्योग राज्य में,
आ छल जे किछु व्यापार,
चीनी-मीलक बात करि या,
करि बात सिल्कक व्यापार,

खादियो जँ आई जिबैत रहिते,
या चलैत रहिते सीकी क काज,
मिथिला पेंटिंग विश्व में पसरल,
ओहि ल करितहु व्यापार !!

भरिसक आई सुखी हम रहितहुँ,
मिथिलो मे रहितै रोजगार !!
कतेको फैक्ट्री बँद परल अछि,
पुनःउत्थानक कतहु नैय बात!!

छथि सत्ता में कुर्सी पर जे बैसल,
मिथिला मे बैसबथु रोजगार!!
अखनहुं बड़ देर नैय भेल अछि,
सरकार करथु अहि पर विचार !!

मिथिला मांग रहल अछि अखनहुं
उद्योग -धंधा आ व्यापार,
कतहु आन ठाम नैय जायस
आब करब घरे रोजगार !!