– लवली झा।
प्रथम गजानन लीखल पोथी
टुटल कतेको कलमक टोटी
तखन तोड़ी निज दंत गणेशा
पूरा केल ऋषि व्यास के मनशा
तेज केला प्रभु कलमक धार
रचल ग्रंथ महाभारत आधार।
आई कलम पर करू विचार
जौ नै रहीत कलम के धार
कोन रूप में रहइत संसार
मोने रहितै मोनक बात
जेना सानल बिन नुनक भात।
अपरम्पार अछी कलम के धार
अहि स सिंचित अछी संसार
एक दोसर के बात विचार
सब तक पहुचाबई कलम के धार
सब पर ऐकर पृथक अच्छी क्षमता
मुदा” कलम” भेद भाव नै करता।
पूर्वज देल कलम पर ध्यान
संग्रह केलनी वेद पुरान
श्री विद्यापति के कविता सार
कलमक धार स भेल साकार
इतिहास रचल इ नव पुरान
कलम बढओलनी अक्षर ज्ञान।
कवि के कविता ज्ञानक सागर
कलम केधार विज्ञान उजागर
रीति, न्याय, आ नीति स्वामी
लिखित रूप के सब कीयो मानी
राधा कृष्ण के प्रेमक सार
शिव आ ऋषि अगस्त केर शिक्षाचार
सत सत नमन कलम के धार।
जौ नै रहीतै कलम के धार
की? क सकितओ दहेज पर प्रहार
दहेज मुक्त मिथिलाक संकल्प
कलमक धार बनल तरु कल्प
जे नई देता वचन पर ध्यान
कलम धार के करता पान।
जे छथी एखनो कलम स दूर
ओ बस करता घूर बहुर
कलम धार अंतर मन सागर
खाली नै राखू मोनक गागर
उठाऊं कलम सा बहबू धार
कोशिश करू बारंबार
जौ नै रहित कलम धरा पर
कारिया आखर भैंस बराबर।