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२ जनवरी सँ शुरू होयत दोसर चरणक यात्राः मिथिला राज्य निर्माण सेना

२४ दिसम्बर २०२१ । मैथिली जिन्दाबाद!!

“जनगणना मे मैथिली – संविधान मे मिथिला” मूल नाराक संग जनचेतना मे मातृभाषा मैथिली आ मौलिक पहिचान मैथिल केँ संविधान सँ सम्मान दिएबाक लेल मिथिला राज्य निर्माणार्थ ‘मिथिला पुनर्जागरण यात्रा’ दोसर चरण मे ५ दिन लेल सहरसा, मधेपुरा, सुपौल आ प्रस्तावित जिला झंझारपुर मे आयोजित कयल जायत। ई जनतब यात्रा संचालक मिथिला राज्य निर्माण सेनाक महासचिव राजेश झा देलनि अछि।

विदित हो जे प्रथम चरण मे दरभंगा, मधुबनी, समस्तीपुर आ बेगूसराय मे मिथिला पुनर्जागरण यात्रा कयल गेल छल। २०२१ मे प्रस्तावित भारतीय जनगणना जे कोरोना महामारीक कारण लम्बित अछि ताहि मे मिथिलावासी समस्त लोक अपन मातृभाषा मैथिली लिखबथि आर अपन पहिचान प्रति साकांक्ष होइथ, एहि यात्राक यैह उद्देश्य अछि। श्री झा कहलनि जे भारतक आजादीक ७ दशक बितलाक बादो मिथिला क्षेत्र केँ बिहार आ मगधिया शासन मे गाँथिकय गुलाम उपनिवेश समान व्यवहार कयल गेल अछि। एहि ठामक मुख्य समस्या बाढ़ आ सुखाड़ सँ विपन्नता लेल कोनो स्थायी समाधान नहि निकालब बिहार राज्य केर फेल्योर सिद्ध करैत अछि। ब्रिटिशकालीन मिथिला मे जेहो किछु औद्योगिक संयंत्र सब एतय छल सेहो सब धीरे-धीरे ध्वस्त भऽ गेल। मिथिलावासीक नीयति मे रोजी-रोटी लेल दर-दर भटकब टा लिखा गेल अछि। आब त पलायनक एहेन हिसाब अछि जे लोकक धियापुताक विवाहो पर आफद भेल अछि। भाषा, संस्कृति आ सभ्यता पर दूरगामी प्रभाव पड़ि गेल अछि। एना लगैछ जेना जानि-बुझिकय किछु शक्ति द्वारा विश्वक एहि प्राचीनतम सभ्यता-संस्कृति केँ सदा-सदा लेल मृत्युदान करबाक षड्यन्त्र हावी अछि।

मिथिला पुनर्जागरण यात्रा सँ राजनीतिक अभीष्ट त सिद्ध करबाक योजना नहि? एहि सवाल के सहज उत्तर दैत मिरानिसे महासचिव झा कहलनि जे बिना राजनीतिक लड़ाई कएने मिथिला लेल कोनो टा सपना पूरा नहि होयत। १९०७ ई. सँ मिथिला राज्य निर्माण लेल आवाज उठैत रहल। ११३ वर्ष बीति गेल लेकिन मिथिला राज्यक सपना पूर्णता नहि प्राप्त कयलक। ई केवल एहि लेल भारतीय लोकतांत्रिक गणतंत्र मे राजनीतिक निर्णय मात्र सँ कोनो नव राज्य के स्थापना कयल जा सकल अछि। शुरू मे भले भाषा पर आधारित किछु राज्य बनल, ताहि समय मे सेहो मैथिलीभाषी क्षेत्र केँ हिन्दीभाषी क्षेत्रक मान्यता दैत कुटिलता सँ मिथिला राज्य नहि बनय देल गेल छल। आब ई निर्णीत स्वर मे कहि सकैत छी जे बिना राजनीति आ चुनावी संग्राम मे अपन हैसियत सिद्ध कएने हमरा सभक मांग पूरा नहि कयल जायत, तेँ निश्चित रूप सँ राजनीतिक अभीष्ट सहित ई जनचेतना मूलक यात्रा सम्पूर्ण मिथिला मे कयल जा रहल अछि।

मिथिला राज्य निर्माण सेनाक स्थापना कहिया आ आइ धरिक उपलब्धि की? एकर उत्तर दैत महासचिव झा बतेलनि जे एकर स्थापना देशक राजधानी मे २०१३ मे भेल आ शुरुआती २ वर्ष धरि ई दिल्लिये मे केन्द्रित रहल, पुनः २०१६ मे राष्ट्रीय अधिवेशन दरभंगा मे कय मिथिलाक मूल जमीन पर एकरा उतारल गेल। परञ्च सीमित संसाधन आ सांगठनिक सामर्थ्यक कारण केवल २-३ जिला धरि मात्र गतिविधि सीमित करैत पंचायत स्तरक चुनाव सँ अपन उम्मीदवार केँ सफलता दियबैत मिथिला राज्य आन्दोलन केँ माटि पकड़ेबाक रणनीति संग २०२१ मे सम्पन्न त्रिस्तरीय पंचायत राज चुनाव मे उपलब्धिमूलक सफलता हासिल कयल जा सकल अछि। एहि ५ वर्ष के अनुभवक आधार पर ई कहि सकैत छी जे ‘मिथिलावाद’ आधारित राजनीति मे बहुत ताकत अछि, बस जमीन पर मौजूद लोक केँ कहियो कियो बुझेबे नहि कयलक जे मिथिला राज्य केर कि लाभ छैक। जेना-जेना लोक एहि सँ परिचित भऽ रहल अछि तेना-तेना बहरिया राजनीतिक शक्तिक दलाल आ ठगी करबाक प्रवृत्तिक पोल सेहो खुजि रहल अछि।

आगामी समय मे मिथिला राज्य निर्माण सेनाक राजनीतिक लड़ाई लड़बाक सेहो कोनो लक्ष्य अछि की? राजेश झा कहलनि जे निश्चित २०२४ के लोकसभा आ २०२५ के विधानसभा मे मिथिला राज्य निर्माण सेना चुनावी मैदान मे अपन सबल उपस्थितिक हिसाब सँ उतरत। एहि लेल वैकल्पिक राजनीतिक शक्ति आ व्यक्ति सभक समुचित सङ्गोर बनेबाक काज सेहो उपरोक्त यात्रा सँ कयल जा रहल अछि। एहेन कतेको सामर्थ्यवान् नेतृत्व क्षमताक व्यक्ति सब केँ विभिन्न राजनीतिक दल आ शक्ति द्वारा वर्षों-वर्ष सँ कार्यकर्ता बनाकय ठकैती कयल गेल अछि, एहेन क्षमतावान नेतृत्वकारी शक्ति सब केँ मिथिला राज्य निर्माण सेना उचित सपना आ सबल सहयोग करैत चुनावी लड़ाई लड़त। जखन ई शक्ति सब विधानसभा आ लोकसभा धरि पहुँचत तखनहि मगधिया बिहारी सत्ता संचालक आ दिल्लीक गद्दी सम्हारनिहार सब सँ अपन उचित हक लय सकैत अछि।

मैथिली जिन्दाबाद सँ बातचीत मे दोसर चरणक यात्राक सम्बन्ध मे यात्रा संयोजक जीवानन्द झा कहलनि जे उग्रतारा माता सँ आशीर्वाद लैत दैविक शक्ति संग मिथिलावाद केँ स्थापित करबाक लेल मिथिला पुनर्जागरण यात्रा आरम्भ होयत। ‘ले जान कि दे जान’ केर क्रान्तिकारी नारा संग जन-जन केँ सजग रहिकय अपन हक-अधिकार लेल जागरुक बनायल जेबाक बात सेहो ओ बतेलनि। बहुत ठकैती भेल मिथिलाक लोकक, एतुका नेता सब भेंड़ा बुद्धि जेकाँ मगधिया आ दिल्ली सत्ता संचालक सभक पिछलग्गू टा बनि सकल, ई स्पष्ट कयल जायत जनता सभक समक्ष। अपन राजनीतिक सामर्थ्य नहि बनेला पर पीढ़ी-दर-पीढ़ी एहिना पिछलग्गू बनबाक अवस्था बनत। तेँ आब ‘ले जान कि दे जान’ सँ नीचाँ आन कोनो नारा पर बात नहि बनत से स्पष्ट कयल जायत। दोसर चरणक यात्रा मे पहिल रातिक विश्राम कारू खिरहर स्थान धरिक यात्रा बनगांव, बरियारी, सहरसा मुख्यालय, विद्यापतिधाम, चैनपुर, पर्री सँ गुजरैत होयत। दोसर दिनक यात्रा एहिना बघवा दलान, मुराजपुर, एकाढ़, परसरमा, कर्णपुर होइत सिंघेश्वरनाथ केर प्रांगण धरि होयत। तेसर दिनक यात्रा मधेपुरा जिलाक विभिन्न स्थान, हरदी सुपौल, पिपरा विधानसभा क्षेत्र होइत बलुआ बाजार मे विश्राम करत। चारिम दिनक यात्रा गोसपुर, संस्कृत निर्मली, श्रीपुर, सिमराही, भपटियाही, फुलपरास आदि मे जनजागरण करैत अंधरा ठाढ़ी मे विश्राम करत। पांचम दिन झंझारपुर लोकसभा क्षेत्रक विभिन्न स्थान केर यात्रा करैत झंझारपुर मुख्यालय मे विशाल जनसभाक आयोजन करैत दोसर चरणक विश्राम देल जायत। ई वृहत् जानकारी यात्रा संयोजक जीवानन्द झा मैथिली जिन्दाबाद केँ देलनि।

हाल एहि समस्त क्षेत्र मे यात्रा रूट, नुक्कर सभा आ स्थानीय संयोजनक जिम्मेदारी देबाक लेल मिथिला राज्य निर्माण सेना द्वारा जनसम्पर्क अभियान, प्रेस संग वार्ता आ अन्य संयोजनक सघन अभियान चलायल जेबाक जनतब सेहो भेटल।

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