— विवेकी झा।
दहेज समाज मे फैलल ओ बीमारी अइछ जेकर बुराई त हर आदमी करैत अइछ पर एकर ईलाजक दबाय खाय नय चाहैत अइछ । अगर आहाँ लेलौ दहेज त आहाँक बुराई त हम क सकैत छी पर खुद लेलौ त कुर्ता झरैत निकैल जायत छी ।
विवाह के समय वधू के परिवारक तरफ़ सँ वरक परिबार के दय बाला सम्पत्ति दहेज अइछ ।भारत में दहेजक पुरान नाम जखन सुरुआत भेलैय त एकरा “वर-दक्षिणा ” के नाम सँ जानल गेल, तय एकरा समाजिक आ धार्मिक बिरोध सेहो नय भ सकलय । पर ई आधुनिक समय अतेक बिकराल रुप ल चुकल आइछ जे लोग एकर लालच में अशुर भ गेल ।
आधुनिक समय में ई प्रथा के रोकै के लेल कानून व्यवस्था त बहुत अइछ। भारत सरकार दहेज के एक बहुत पैघ सामाजिक बीमारी मानैत अइछ, लेकिन दहेज के समाप्त करै के लेल सब कानूनी प्रयास निष्प्रभावी भ रहल अइछ।
एकर बिस्तार के देख हमर मन में ई भाबना आबैत अइछ …..
कीया सीते अखनो घर घर अग्नि परीक्षा दैया ?
बैदेही सिसैक सिसैक के कीया अपन बात रखैया ?
कीया बापक कन्धा पर (डोली पर)गेल मैथिली ,
बापे के कन्धा पर (अर्थी पर)आबैया ?
कीया जानकी झुली हवा में , सबभक कर्ज चुकबैया ?
भारतक बेटी बिन गलति के दहेजक मैर कीया सहैया ?
मिथलानी अपन भाग्य के एना कीया कोसैया ?
ई सब देख के कीयाने बिधाता अपन लेख बदलैया ?
कखैन तक सहत ई सब हमर आहाँक बेटी ,
समाज आबो कीया नय सुधरैया ।
दहेज एक सामाजिक बुराई अइछ जेकर कारण समाज में महिला के प्रति अकल्पनीय यातनाएँ और अपराध उत्पन्न भ रहल अइछ । भारतीय वैवाहिक व्यवस्था अतेक प्रदूषित भ चुकल अइछ कि सरकारक सब निति ब्यबस्था धरल परल रैह जायत अइछ । सरकार नय केवल दहेज प्रथा के मिटाबै के लेल अपितु बालिकाओं की स्थिति के उत्थान के लेल कई कानून और योजनाओं द्वारा सुधार हेतु प्रयासरत अइछ ।
हालाँकि ई समस्या के सामाजिक प्रकृति आ झूठक मान सम्मान के कारण सब कानून हमार समाज में वांछित परिणाम दय में विफल अइछ ।
ई समस्या से छुटकारा पाबै के लेल हमरा आहाँ के सामाजिक और नैतिक चेतना के बढाबै परत , अपन बच्चा सब के शिक्षाक स्तर बढाबै परत ।हमर आहाँ के सिर्फ सोच नय बल्कि बेटी और वधु के एक रुप सँ देखै परत । तखन ई दहेजक आभिसाप सँ बचल जा सकैत अइछ आ ई प्रथा के खिलाफ जे कानून बनल अइछ ओ और प्रभावी ढंग से लागू करै में मददगार भ सकैत अइछ ।
दहेज प्रथा के खतरा सँ बचै आ और प्रभावी ढंग सँ निपटै के लेल युवा आशा एकमात्र साधन अइछ । ओकरा जागरूक भेनाय और हुनकर दृष्टिकोण के व्यापक रूप सँ बढाबै के लेल हुनका नैतिक शिक्षा देबाक चाहि । दहेज प्रथा नय केवल अवैध अइछ बल्कि अनैतिक सेहो अइछ । अहि कारन दहेज प्रथा की बुराइयों के प्रति समाज के अंतरात्मा के पूरा तरह सँ जगाबै के ज़रूरत अइछ । ताकि समाज में दहेज की मांग करै वाला की प्रतिष्ठा कम भ जायत ।
अगर हम नय बदलब त ई आय जे समाज में अतेक बिकराल रुप लेने आइछ त कैल हमर आहाँ के बेटी माँ बापक स्थिति के देख ई कहैत नय चुकती ……
गै माँ हम मनलियौ तोहर सब बात,
हमर बियाह ज छौ तोहर इच्छा,
त क दे तु हमर विवाह।
पर एक बात तु कनि हमरो मान,
अपन बेटी दै सँ बढ़ियाँ,
तु हुन्कर बेटे ल आन ।।