
इराक केर मोसूल मे आएसआइएस आतंकी द्वारा ओकर अधिनस्थ अपहृत आदि केँ सजा देबाक लेल विचित्र बदतर मौत देनाय आ ताहि पीड़ा-अत्याचार आ बर्बर तौर-तरीका केँ दोसर लंग प्रदर्शित करैत अपन आतंक पसारनाय…. ई कविता-गीत एहि दर्दनाक दृश्य पर मानवीय संवेदनाक आवाज उकेरलक अछि। बस प्रयास थिकैक!
– प्रवीण नारायण चौधरी
अजीब दुनिया ई देखू
मनुखे मनुक्खक यम छै!
मरला पर के देखय मृत्यु केँ
जिबिते भेटय यम छै!
कि देखबय लेल चाहय छै ओ
केकरो एना मारिकय?
कि ओ नहि मरतय कहियो
ओकरो मृत्यु त तय छै!!
बुझितो सबटा माया खेला
लोक लौकिकता दौड़ छै!
विरले हँसय छै मने-मने
जीवन ओ निर भय छै!!
हारले जे मानय छै सदिखन
जीतो ओकर तय छै!
जे जमीन बैसि रहे ई जीवन
वैह बनय अ जय छै!!