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“शक्तिस्वरूपा वैदेही”

— कृति नारायण झा।               

जनक नन्दिनी जानकी, आत्मत्याग आ शुद्धताक प्रतीक मानल जाइत छैथि। ओ मात्र गुणवान पत्नी नहिं अपितु साहसी आओर बहादुर महिला केर प्रतीक मानल जाइत छैथि। एकटा निर्भीक स्त्री बनि रावण के अपराजेय प्रतिरोध करय बाली भारतीय संस्कृति केर स्वाभिमान जानकी नारी मनोवृत्ति केर परिचायक आ नारी शक्ति केर प्रतीक छैथि। असाधारण व्यक्तित्व केर जगत जननी जानकी महाशक्ति छैथि जे विपरीत परिस्थिति में सतीत्व केर रक्षा करवाक लेल अदम्य साहस रखैत छलीह मुदा सर्वगुण सम्पन्न होयवाक उपरान्तो ओ साधारण नारी जकाँ जीवन व्यतीत कय सामान्य स्त्री के लेल एकटा आदर्श छैथि। हमरा लोकनि जखन जखन आदर्श स्त्री के नाम केर चर्चा करैत छी तऽ सदैव जानकी के आत्म बलिदान आ त्याग केर प्रतीक हमर सभक आँखिक सामने परिकल्पित होमय लगैत अछि । एकटा गुणवती मधुर स्वभाववाली जानकी निडर आ बहादुर स्त्री सेहो छलीह जे रावण के विरोध कयलनि। ओ एकटा स्वतंत्र चेतना बाली नारी के रूप में विख्यात छैथि जे अपन जीवन में बनवास जयवाक लेल, लक्षमण रेखा लांघि कऽ रावण के भिक्षा देवाक साहस, हनुमान केर संग लंका सँ वापसी सँ इंकार करवाक लेल आ असगर माँ के रूप में बनदेवी बनि अपन दुनू पुत्र लव आ कुश केर लालन पालन संगहि अन्त में धरती के अन्दर समाहित होयवाक साहसिक निर्णय लऽकऽ सशक्त नारी केर परिचय देलन्हि जे पूर्णरूपसँ नारीवाद केर प्रतीक मानल जाइत अछि। धरती पुत्री जानकी सभ विद्या में निपुण छलीह। जानकी आदि छैथि अन्त नहिं। जानकी मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम केर अर्धांगिनी केर संग संग भगवान श्रीराम केर अनुगामिनी सेहो बनलीह मुदा ओ सदैव भगवान राम केर शक्ति रहलीह। वास्तव में जगत जननी जानकी आ प्रभु श्रीराम अभिन्न तत्व छैथि। दुनू एकहि ब्रम्ह ज्योति के रूप में अभिव्यक्त छैथि। ब्रम्ह सँ शक्ति कखनो अलग नहिं भऽ सकैछ। मिथिलाक सौभाग्य जे जगत जननी जानकी मिथिलाबासी के संग जन्मजात अटूट सम्बन्ध छैन्ह आ हुनक आशीर्वाद समस्त मिथिला वासी के सदैव प्राप्त होइत रहैछ। एकटा मान्यता केर अनुसार मिथिलानगरी में कहियो अनाज केर अकाल नहिं भऽ सकैछ कारण जानकी सासुर जयवाक काल अपन खोंइछ में सँ अनाज हाथ में लऽ कऽ लक्ष्मी स्वरुपा वनि मिथिलाक पावन धरती पर छीटि देने छलीह आ स्वयं महालक्ष्मी केर कृपा समस्त मिथिला में सदैव पङैत रहैत अछि। जगत जननी जनक नन्दिनी जानकी केर आशीर्वाद समस्त मिथिला वासी पर सदैव बरसैत रहैत अछि जाहि सँ समस्त मिथिला पल्लवित एवं पुष्पित होइत रहैत अछि। जय मिथिलाक पवित्र भूमि आ जय भूमिजा जगत जननी जानकी।

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