सामाजिक संजाल में लिखनिहार एहेन बहुतो लेखक-विचारक होइत छथिन जिनकर लेख-विचार पर उपस्थिति नहि देखायब त अहाँक सम्बन्ध ओ अलग पूर्वाग्रह राखि लैत छथि, हुनका होइत छन्हि जे फलाँ हमर लेख-रचना सँ दूरी बनबैत छथि, इग्नोर करैत छथि, आदि-आदि।
किछु लोक सच मे एहि तरहक व्यवहार जानिकय सेहो करैत छथिन। कारण हुनकर व्यक्तिगत सोच आ विचार अहाँ सँ भिन्न होइत छन्हि। अहाँक कतिपय शैली सँ ओ असहमत रहैत छथि। हुनकर हिसाब सँ अहाँक छवि एक विवादास्पद लोक के रूप में भेल करैछ। तेँ अपन कोनो तरहक उपस्थिति जे बाद में कियो आर देख लेत से सोचि ओ दूरी बनबैत छथि। ई हुनकर स्वतंत्रता आ जीवनक नीति, सिद्धांत आ सोच होइत छन्हि। एहि सँ एक सच्चा लेखक-विचारक केँ कनिकबो विचलित नहि हेबाक चाही। लेकिन एहि तरहक व्यवहार सँ लोक काफी छोभित भ सम्बंध तक खराब कय लेल करैछ, अपन अहंता में आकंठ डूबि भाईचारा-सौहार्द्रता केँ नाश कय लेल करैत अछि।
दोसर तरफ किछु लोक अहाँक लेख-विचार चुपचाप पढ़ल करैत छथि, लेकिन उपस्थिति प्रत्यक्ष नहि दय अप्रत्यक्ष रूप सँ देल करैत छथि। अहाँक परिचिति सँ ओ बेस प्रभावित भ अपन विचार प्रक्रिया में अहाँ केँ शामिल कय लेल करैत छथि। समय पर ओ एहि बातक उदाहरण सेहो देल करैत छथि।
हमर एक सिद्धांत ई रहल जे मैथिली में लिखनिहार नव-नव लोक केँ बेसी पढ़ी। ओहेन लेखक-विचारक केँ प्रोत्साहित करी। एहि क्रम में शुरुआत में हुनका लगातार पढ़लहुँ, उपस्थिति प्रतिक्रिया दैत प्रोत्साहित कयलहुँ, बाद में नजरि बनेने रहलहुँ, शिथिल पड़ता त फेर उत्साहित करबनि। लेकिन नव नव लेखक-विचारक निरन्तर लिखथि एकर अभियान 100 लेखक 100 पोथी शीर्षक में 2014 सँ निरन्तरता में अछि। तेँ, हमरा सँ जे किछु लोक एहि लेल सम्बंध खराब कय लैत छी से कृपया एकर जिम्मेदारी स्वयं ली। सभक जीवन के किछु सिद्धांत होइछ, अभियान होइछ, तेकरा बुझी।
हमर स्वयं केर लेख-विचार प्रति कियो खास अपन प्रतिक्रिया लिखथि तखनहि हमर मानवर्धन होयत ताहि तरहक मृगमरीचिका सँ हम बहुत पहिने निकलि चुकल छी। कारण कथित बड़का लोक सब केँ बड़का विचार आ सिद्धांत, साहित्यक परिभाषा, विश्लेषण के पद्धति वला स्तर केँ हमरा सन लठमार विचार वला लेल पार पायब सम्भव नहि बुझायल। हम तेँ अपन चाइल-प्रकृति मुताबिक अपन सोच आ काज होय से सब लिखिकय अपन पाठक वर्ग बनेने छी।
हमर लेख-रचना पढनिहार सँ पुछब त ओ जरूर कहता जे हिनकर विचार लठमार जेकाँ होइत छन्हि, आ से सही मे बहुतो पौलिश्ड लोक लेल विवादित जेकाँ बुझाइत छन्हि आ ओ सब दूर रहल करैत छथि। गोटेक बेर कियो हमर विचार सँ भिन्न अपन विचार के परिधि सँ जजमेन्ट दैत छथि त हम हुनका सँ अर्गुमेन्ट (बहस, प्रतिप्रश्न, तर्क, आदि) सेहो करैत छी। फेर ओ आहत भ’ गेल करैत छथि। एहि तरहें दोबारा ओ कोनो तरहक उपस्थिति दय सँ सेहो बचैत छथि। भ’ सकैत छैक जे ओ सही होइथ, हम गलत होइ… या अन्यथा। लेकिन हमर पोस्ट सँ ओ दूर त भइये गेलाह। आब कहू जे एहि लेल हम बीतय लागी? या फेर हम अपन लेखन यात्रा आ जीवन यात्रा केँ आगू बढाबी? हमरा बुझने आगू बढनाय नीक। आगू बढैत जायब त अहाँ केँ स्वयं अपन गलती, कमी, कमजोरी आदिक बारे सेहो नीक सँ ज्ञान आ परिपक्वता अबैत जायत।
फेसबुक पर फॉलोवर्स के संख्या जाहि पाठक सँ बनैछ से टेस्टिमोनियल (प्रमाण) होइत छैक, एहि पर सब लेखक या विचारक बढैत चलू। प्रवीण के आशा-प्रत्याशा में सम्बंध नहि खराब करू।
हरिः हरः!!