– आभा झा।
मिथिलांचलक लोक पर्व लबान जकरा नवान्न सेहो कहल जाइत छैक। अश्विन मासक अहि संक्रांति के अपन मिथिला में बहुत महत्व छै। ई पाबैन मिथिलाक कृषि परंपरा आ अन्नक महत्व केर सूचक अछि। एहि दिन आँगन-घर नीपल जाइत अछि। अरिपन पड़ैत अछि आ सूर्यक आराधना सेहो कयल जाइत अछि। एहि अवसर पर खास कऽ किसान अपन खेत में लागल धानक शीश काटि कऽ घर अनैत छथि आ ओहि के उखड़ि में कूटल जाइत अछि आ चूड़ा बनाओल जाइत अछि। फेर ओहि चूड़ा के अग्नि और विष्णु भगवान के चढ़ाओल जाइत अछि। किसान जखन अपन खेत सँ धान आनै लेल जाइत छैथ तखन अन्नपूर्णाक पूजा करैत छैथ। भगवान अन्नपूर्णा सँ इजाजत लेलाक बाद ओ धान काटै लेल खेत में अस्त्र चलबैत छैथ। मिथिलांचलक हर घर में गोबर सँ बनल ओहि चिपरी या गोईठा के जरायल जाइत अछि जे नाग पंचमी दिन आँगन पाथि कऽ पूजल जाइत अछि। एकरा जराबै के लेल दीपावली के दिन उक में जाहि संठी के उपयोग कैल जाइत अछि ओकरे चिपरी के संग प्रयोग कैल जाइत अछि। अग्नि देवता व विष्णु भगवान के नवान्न चढ़ाबै के बाद हर घर जतय लबान कैल जाइत अछि ओहि ठाम ब्राह्मण भोजन कराबै के परंपरा अछि। भोजन में नब वस्तु जेना चूड़ा,दही,गुड़ और मूड़ अनिवार्य रूप सँ खुवायल जाइत अछि। आजुक दिन सँ लोक नब अन्न ग्रहण करैत छथि। ई पाबैन के मिथिलांचल में लबान के नाम सँ जानल जाइत अछि। अहि दिन सँ किसान अपन खेत में लागल फसल धान काटि कऽ घर अननाइ शुरू करैत छथि। अहि सँ पूर्व ने नब अन्न ग्रहण करैत अछि और ने खेत में लागल फसल काटल जाइत अछि। मिथिलांचल में ई पाबैन आदि काल सँ मनाओल जाइत अछि। हालांकि देशक अन्य भाग में नवान्न के अलग-अलग नाम कहल गेल अछि।
नब चाउर आ साग खाई के अछि परंपरा-
दिन में हर घर में चूड़ा,दही,गुड़ लोक भोजन में करैत छैथ। ओतहि आई के दिन राति में नब चाउर,सजमइन आ सरिसों के साग सहित अन्य भोजन सेहो लोक करैत अछि। आजुक राति जे भोजन बनैत अछि ओहि में कोनो सामग्री एहेन नहीं जे नब नहीं होइत अछि। सजमइन आ सरिसों के साग स्वास्थ्यक लेल लाभकारी मानल गेल अछि। एकरा लोक लबान के राति भोजन में जरूर ग्रहण करैत अछि।
चूड़ा,दही,गुड़ आ मूड़क अछि प्रधानता-
आई खास कऽ अधिकांश ग्रामीण क्षेत्र में लोक नवान्नक अवसर पर चूड़ा,दही,गुड़ और मूड़ के भोजनक रूप में ग्रहण करैत अछि। ओहि चूड़ा के दूध आ गुड़ मिला लवनिया चिपड़ी सँ पका प्रसाद बनाओल जाइत अछि। ई भोजन सामग्री अगहन मासक नब भोज्य पदार्थ अछि जकरा लोक आइ सँ खेनाइ आरंभ करैत अछि। ग्रामीण क्षेत्र में एखनो लोक एहि परंपरा के बचा कऽ रखने अछि। मिथिलाक ई पाबैन श्रद्धा ओ गृहस्थ परंपरा केर सूचक अछि।
आभा झा
गाजियाबाद