भदवा के पावर – पारम्परिक प्रथाक माहात्म्य

कथा

– पंडित दयानन्द झा

भदबा महरानिक पावर – प्रवीण जिक विमोचन रूकि गेल
गौरी कतेको बेर महादेव केँ एकटा घर बन्हबाक लेल कहलखिन्ह, लेकिन महादेव एहिपर ध्यान नहि देथिन्ह। जखन गणेश जी कने नम्हर भेला ते माइक बात रखबा लेल एक दिन बाँस काठक ओरियान कए घर बान्हए लगलाह। महादेव कतहु सँ गाम पर अएलाह ते पुछलखिन्हजे आहां सभ ई की करै छी? गौरी कहलथिन्ह जे आहां भरि जनम घर नहि बन्हलौं। धिया-पुता के ई नीक नहि लगलैक। अपन टाटफूसक घर बनबै छै, बनबए दीअउ। महादेव कहलथिन्ह बनएबेक रहै ते नीक दिनमे बनबितय। एखन भदवा छैक। भदवा मे बनाएल टाटक घर कोना रहतै? आगि लागि जेतै।
गौरी कहलथिन्ह जे आहां ते बड़ पैघ छी। जाउ भदवा लग हुनका कहबनि जे धिया-पुता लौल केलकै। बड़ कष्ट मे छै घर रहय देथिन्ह। महादेव कहलथिन्ह जे जखनहि भदवा बुझतीह जे ई सब घर बन्हलक अछि दौड़ती आ घर जरा देतीह। पार्वतीक बहुत कहला पर जे आहां जाउ। हुनका बुझा के कहबनि। ओ आहांक बात जरूर मानतीह, महादेव भदवा महरानी लग बिदा होइत गौरीके कहलखिन्ह जे हम जाइ छी। हुनका कहबनि। जदी सुनितहिं ओ घर जरबय लै दौड़ती ते हम जोर-जोर सँ डमरू बजाबय लागब। जदी डमरूक आबाज आहां सभ सुनियै ते हाँहि-हाँहि घर जरा देबैक। नहि ते हमर भरि संंसार मे हँसौढ़ होएत जे महादेवहुक घर भदबा डाहि देलखिन्ह। गौरी कहलथिन्ह जे ठीक छै लेकिन एहन नौबत नहि आओत। भदबा आहांक बात मानबहि टा करतीह। आहां जाउ।
महादेव भदबा लग अएलाह। सभ बात कहलखिन्ह। धिया-पुता बन्है छै। नहि बुझलकै। अहींक दिनमे बान्हब शुरू कै देलक। अबोध जानि माफ कै दीअउ। गौरिक से यैह आग्रह छन्हि।
भदवा कहलथिन्ह जे हम ते अहीं सभहक आदेशक पालन करै छी। हमरा दिनमे जे घर बन्हैत अछि ताहि घरके जरा दैत छियैक। आहांक जदी आदेश अछि जे गणेश जीक घर रहनु ते रहतन्हि। हमरा कुनो ने हर्ज। लेकिन जहिना हम आहांके बात मानि लेलहुँ तहिना अहूं हमर एक बात मानि ली। हम सुनै छी जे आहां बड्ड नीक तांडव नृत्य करै छी। कहियो देखलौं नहि। से आइ जखन हमरा द्वारि पर आएल छी कृपा करैत हमरा ई तांडव नाच देखा दीअ’।
महादेव भदवाक बात मानैत तांडव नृत्य शुरू केलनि। तांडव नृत्य मे डमरू पर होइत छैक। महादेव डमरू बजबैत नाच करय लगलाह। भदवा विभोर भए देखए लगलीह। ईम्हर पार्वती गणेश सभहक कान मे डमरूक जोर जोर सँ बजबाक आबाज आएल। बुझि गेलखिन जे भदबा दौड़लीह अछि। गणेश कार्तिक सभ मिल हांहि – हांहि घरके जरा देलखिन्ह।
नाच बंद कए महादेव अएलाह ते देखलनि जे घर नाहक मे जरल अछि। कहलखिन्ह जे भदबा ते बात मानि लेलनि। आहां सभ कियेक जरेलौं? तहन डमरुक बात खूजल। सभ कहलखिन्ह जे यैह लिखल रहैक। से प्रवीण जीक भदबा मे नियारल विमोचन नहियें भेलनि।
(लेखक दहेज मुक्त मिथिला समूह केर वरिष्ठ सदस्य छथि तथा स्मारिका २०२१ केर विमोचन जे १६ अक्टूबर २०२१ भदवा मे नियारल गेल छल तेकर तिथि बढि जेबाक प्रकरण पर मिथिला परम्परा मे भदवाक महत्व सम्बन्धी एक लोककथा लिखलनि अछि।)