श्रीकृष्णक जन्मदिन पर किछु विशेष चिन्तन

भगवान श्रीकृष्ण केर जन्मदिवस विशेष
 
श्रीकृष्णः शरणं मम!
श्रीकृष्ण गोविन्द हरे मुरारे हे नाथ नारायण वासुदेव!!
हरे कृष्ण हरे कृष्ण कृष्ण कृष्ण हरे हरे।
हरे राम हरे राम राम राम हरे हरे॥
 
कृष्ण एक – चरित्र अनेक! जन्म सँ मरण धरि श्रीकृष्ण सँ हम मानव लेल सन्देशे सन्देश भेटैत अछि। हुनका भगवानक अवतार कहल जाइत अछि। कारण ओ अपन कतेको रास चमत्कारिक कृतित्व सँ लोक केँ मुग्ध कय देलनि। हुनक चमत्कारिक प्रस्तुति केर चर्चा लेल छोट-मोट लेख नहि, बड पैघ महाकाव्य आ ग्रन्थादिक रचना कयल जा चुकल अछि। कृष्ण जीवन पर आधारित रासलीला सँ महाभारतक नायक अर्जुनक सारथि व पांडवक सलाहकार संग-संग यादव सम्राज्यक महानायक द्वारकाधीश आदि अनेकों रूप मे कथा-वृत्तान्त सभक चर्चा सरेआम आ नित्य भेल करैत अछि। आब केवल हिन्दुस्तान व नेपाल जेहेन हिन्दू देश मात्र मे नहि बल्कि युरोप, अमेरिका, आस्ट्रेलिया, एशियाक विभिन्न मुल्क सब मे सेहो कृष्णचरित्रक बखूबी वर्णन संग ‘इस्कौन’ द्वारा ‘कृष्णभाव’ जेहेन गम्भीर दर्शन सँ जन-जन केँ जोड़ल जा रहल अछि।
 
पूर्व मे एक बहुत बेहतरीन लेख पढ़ने रही, अनुवाद अपनहुँ सब लग रखने रही, श्रीकृष्णक दिनचर्या सँ हम मानव केँ कि सब शिक्षा लेबाक चाही ताहि बात अति मननीय लेख छल। एहि लेख मे भगवान् श्रीकृष्ण भोरे सुति-उठि केना-केना अपन दैनिकी जियैत रहथि ताहि मे अद्भुत आ अनुपम सन्देश छल। एक राजाक रूप मे हुनका द्वारा नित्य ब्राह्मण केँ गौ दान करबाक, प्रजाहित लेल राजकाज मे पूर्ण सजगताक संग मंत्री लोकनिक संग मंत्रणा आ कार्य निष्पादनक शैली, दीन-असहाय आ कमजोर प्रति हुनक विशेष सद्भाव सहित अपन समस्त सम्बन्धी आ रानी-महारानी-पटरानी आदिक प्रति समान स्नेहभाव आदिक महत्वपूर्ण विवेचनात्मक लेख सच मे आह्लादित आ प्रेरित कयलक हमरा। अपने सब मैथिली जिन्दाबाद पर आइयो पढि सकैत छी।
 
हमर पिता नित्य डायरी लिखैत छलाह। डायरी मे स्वाध्याय सँ प्राप्त अपन आध्यात्मिक समझ सेहो बेसीकाल व्यक्त कयल करथि। अपन सत्संगक महान नेता लोकनिक महावाक्य सब सेहो बेर-बेर प्रयोग करथि। एक ठाम लिखने छलाह – एहि संसार मे सब सँ पैघ मंत्र अछि “श्रीकृष्ण नाम सुमिरन”, ऊपर हम वैह लिखने छी। महामंत्र पर हमर शोध कहैत अछि जे आस्था आ श्रद्धा सँ अहाँ जाहि कोनो नाम केर जप, कीर्तन, भजन, मनन आदि जेना करू, वैह फलदायी भऽ सकैत अछि। भाव ई राखू जे ताहि सब मे केवल परमपिता परमेश्वर निहित छथि। हुनका राम बुझू, कृष्ण बुझू, जिसस बुझू, मोहम्मद बुझू – जेना चाही तेना बुझू। चूँकि ओ एहि अनन्त ब्रह्माण्डक रचयिता छथि, स्वयं केहेन स्वरूप आ कोन लोक मे केना हेता ताहि ठाम धरि हमर-अहाँक नजरि कम सँ कम एहि मानवीय रूप व दृष्टि सँ त बोधगम्य नहिये टा अछि… हँ हमर-अहाँक अन्तर्दृष्टि सँ ब्रह्म केर ब्रह्माण्डक भ्रमण कय सकैत छी, ब्रह्माजीक निर्धारित एक निश्चित स्वरूपक चिन्तन सेहो कय सकैत छी। तेँ, श्रीकृष्णक जीवनी आ हुनक गीतारूपी सन्देश पर आश्रित रहि शरणागत भक्त केर रूप मे जीवन जीबि सकैत छी। अस्तु!
 
आजुक दिवस ‘कृष्णाष्टमी’ हमरा सभक लेल शुभ हुए, लोककल्याण हो, तेँ हरेक वर्ष आजुक दिन केँ विशेष रूप सँ सेलिब्रेट करैत छी। ॐ तत्सत्! हरिर्हरिः!!
 
हरिः एव हरः!!