२९ अगस्त २०२१, मैथिली जिन्दाबाद!!
नेपालक राष्ट्रीय भाषा आयोग द्वारा प्रदेश एवं स्थानीय तह केर सरकार सँ सिफारिश करबाक तैयार
नेपाल मे कुल १२ भाषा केँ कामकाजी भाषाक दर्जा लेल सिफारिश होयत
नेपालक राष्ट्रीय दैनिक खबर पत्रिका मे २८ अगस्त २०२१ केँ प्रकाशित खबर मुताबिक कुल १२३ मातृभाषा मध्य १२ गोट भाषा केँ प्रदेशक हिसाब सँ कामकाजी भाषा बनेबाक सिफारिश राष्ट्रीय भाषा आयोग नेपाल द्वारा सिफारिश कयल जायत, अन्य मातृभाषाक संरक्षण तथा संवर्धन लेल समुचित उपाय अपनेबाक लेल सेहो संघ आ प्रदेश सरकार समक्ष अपन सुझाव भाषा आयोग देत।
कान्तिपुर मे प्रकाशित समाचार केर मैथिली रूपः
१२ भाषा केँ सरकारी कामकाजक भाषा तोकैत
भाद्र १२, २०७८ गणेश राई
काठमान्डू — भाषा आयोग द्वारा सातो प्रदेश मे सरकारी कामकाजक भाषा सिफारिश करबाक तैयारी कयल गेल अछि । राष्ट्रिय जनगणना २०६८ केर तथ्यांकक आधार पर कामकाजी भाषा तोकल जा रहल अछि । बजनिहारक संख्या अधिक रहल मैथिली, थारू आर मगर भाषा दुइ–दुइ प्रदेश मे लागू होयत देखल जा रहल अछि ।
तहिना तथ्यांक मे १८ गोटे मात्र देखा रहल खस भाषा कर्णाली प्रदेशक सरकारी कामकाजक भाषाक रूप मे प्रयोग करब विज्ञ लोकनि मतैक्य भेला अछि ।
सरकारी कामकाजक भाषा सुनिश्चित करय लेल प्रदेशक जनसंख्या, भाषा बजनिहारक संख्या, एक सँ बेसी पालिका मे बाजयवला भाषा, ऐतिहासिकता, पहिचान, लेखन प्रणाली विकास आर प्रयोग केँ प्रमुख आधार मानल गेल अछि ।
ताहि अनुसार एक लाख सँ बेसी वक्ता रहल भाषा प्रदेशगत रूप मे सिफारिश योग्य मानल गेल अछि । जाहि मे प्रदेश १ मे मैथिली, लिम्बू आर बान्तावा भाषा अछि । प्रदेश २ मे मैथिली आर भोजपुरी, बागमती प्रदेश मे तामाङ आर नेवारी अछि । तहिना, गण्डकी प्रदेश मे मगर आर गुरुङ भाषा, लुम्बिनी मे थारू (डगौरा) आर अवधी अछि । कर्णाली प्रदेश मे मगर आर खस–नेपाली भाषा तथा सुदूरपश्चिम मे डोट्याली व थारू (राना) भाषा अछि ।
सरकारी कामकाजक भाषा केँ व्यवस्थापिका, कार्यपालिका एवं न्यायपालिका मे विशेष भाषाक रूप मे प्रयोग कयल जायत । आयोगक अध्यक्ष डा. लवदेव अवस्थी संवैधानिक व्यवस्था अनुसार बहुसंख्यक जनता द्वारा बाजल जायवला एक वा एक सँ बेसी भाषा सरकारी कामकाजक भऽ सकबाक हिसाब सँ सिफारिश प्रक्रिया आगू बढायल जेबाक बात बतेलनि ।
‘संविधान प्रदत्त मैनडेटअनुसार प्रक्रिया आगू बढेलहुँ अछि, आयोगक कार्यावधि बेसी नहि अछि,’ ओ कहलनि, ‘पाँच वर्ष भीतर मुलुक मे बाजल जायवला भाषाक अध्ययन, अनुसन्धान, अभिलेखीकरण करैत सरकारी कामकाजक भाषा सुनिश्चित करब आ अन्य मातृभाषा संरक्षण, संवर्द्धन तथा प्रवर्द्धनक निमित्त सिफारिश कय लियए पड़त ।’
तथ्यांक अनुसार मुलुक मे कुल १२३ भाषा अछि । आयोग द्वारा विगत समय आरो ८ टा भाषा पहिचान कयल गेल अछि । ताहि मध्य एक लाख सँ बेसी बाजयवला १९ टा अछि । जाहि मे शेर्पा, राजवंशी, राई, बज्जिका, उर्दू, अछामी, बैतडेली भाषा सरकारी कामकाजक भाषा बनय नहि सकत कहल गेल अछि । तथ्यांक मे राई भाषा एक लाख ५९ हजार एक सय १४ उल्लेख अछि । लेकिन, ‘राई’ जातिमात्र रहल आ अलग राई भाषा नहि रहल भाषाशास्त्री लोकनि उल्लेख कएने छथि ।
प्रदेश १ मे १० टा भाषा एक लाख सँ बेसी बाजल जाइछ । एहि प्रदेशक आदिवासी राजवंशी जाति द्वारा बाजल जायवला राजवंशी भाषा एक लाख २१ हजार २ सय ९१ द्वारा बाजल जाइछ । ई भाषा विकास मे पाछू रहबाक कारण सरकारी कामकाज हेतु सिफारिश योग्य नहि मानल गेल अछि ।
एहि प्रदेश मे शेर्पा भाषा बजनिहारक संख्या एक लाख १४ हजार ८ सय ३० अछि लेकिन वक्ता बँटि जेबाक कारण सरकारी कामकाजक सिफारिश मे नहि पड़ल अछि । प्रदेश २ मे बज्जिका भाषा बहुसंख्यक ७ लाख ९३ हजार ४ सय १६ द्वारा बाजल जाइछ । अभिलेखीकरण आर विकास नहि हेबाक कारण सिफारिश मे नहि पड़ल अछि । तहिना उर्दू भाषा बजनिहारक कुल संख्या ६ लाख ९१ हजार ५ सय ४६ अछि । ईहो कामकाजक भाषा मे नहि पड़ि सकल अछि । बैतडेली, अछामी भाषाक वक्ता संख्या बँटिकय रहबाक कारण सरकारी कामकाजक भाषा मे सिफारिस नहि भेल अछि ।
आयोग द्वारा प्रदेशक भाषा अध्ययन, अनुसन्धान एवं विश्लेषणक लेल भाषाविद्सहितक प्रदेशगत प्रतिवेदन समिति सेहो बनायल गेल अछि । ‘समुदायक बाहुल्य मात्र नहि देखि ओकरा सभक स्वीकृति मे सरकारी कामकाजक भाषा सिफारिश कयल गेल अछि,’ प्रदेश २ केर समिति संयोजक प्रा. डा. योगेन्द्र प्रसाद यादव कहला, ‘समायानुकूल विकास होइत रहल भाषा केँ पुनः बादो मे सरकारी कामकाजक भाषाक रूप मे जोड़ल जा सकैत अछि ।’
संविधानक धारा २८७ अनुसार गठन भेल भाषा आयोगक पदावधि ६ वर्षक अछि ।
आयोग भाषा सभक तथ्यांक विश्लेषण आ स्थलगत अध्ययन करबाक बात कहलक अछि । लोपोन्मुख, सीमान्तकृत, अति सीमान्तकृत भाषा केँ विशेष प्राथमिकता मे रखबाक लेल आयोग द्वारा स्थानीय सरकारक ध्यानाकर्षण करायल गेल अछि । संकट मे रहल २९ भाषाक सर्वेक्षण, नमुना विकास, लोकवार्ता संकलन कार्य भेल अछि । भाषाशास्त्री प्रा. माधवप्रसाद पोखरेल विगत केर जनगणनाक तथ्यांक भाषाक सन्दर्भ मिथ्यांक साबित हेबाक बात बतेलनि ।
‘जनगणना मे एक गोटे मात्र वक्ता रहल दुरा भाषाक वक्ता २ हजार सँ बेसी आर दुइ गोटे मात्र वक्ता रहल कुसुन्डा केर वक्ता २८ गोटे देखल गेल,’ ओ कहलनि, ‘दोसर जनगणना भेलो पर तेहने आँकड़ा दोहरा सकैत अछि । तेँ प्रत्येक स्थानीय तह संग समन्वय कय केँ प्रत्येक वार्डक मातृभाषी सभक तथ्यांक लियए पड़त ।’
आयोगक उपसचिव डा. लोकबहादुर लोप्चन प्रत्येक प्रदेश मे विज्ञ आर स्थानीय बीच भेल विचार-विमर्श सँ सिफारिश प्रतिवेदन बनायल जेबाक बात कहलनि । ‘आयोग द्वारा जिल्लागत रूप मे क्लस्टर बनाकय विचार-विमर्श कयल गेल तथा एहि मे स्थानीय तह केर सेहो सहभागिता रहल,’ ओ कहलनि ।
अन्य देशक अभ्यास
४ सय ४७ भाषा बाजल जायवला भारतक संविधान मे नेपाली सहित २२ टा भाषा सूचीकृत अछि । हिन्दी आर अंग्रेजी भाषा संघीय सरकारक कामकाजी व प्रदेशगत रूप मे सूचीकृत केँ सरकारी कामकाजक भाषाक रूप मे प्रयोग कयल गेल अछि । सिक्किम केर मात्र उदाहरण लेला सँ ओतय गुरुङ, लिम्बू, बान्तवा, लाप्चा सहितक भाषा विद्यालय तह सँ स्नातक तह धरि पढेबाक व्यवस्था अछि ।
चीन मे बेसीतर बाजल जायवला मन्दारिन सरकारी कामकाजक भाषा छी । अंग्रेजी ६७ मुलुक मे सरकारी कामकाज मे अछि । फ्रेन्च २७, अरबिक २६, स्पेनिस २१, पोर्चुगिज १०, जर्मन ६ देश मे सरकारी कामकाजक मान्यता पेने अछि ।
प्रकाशित : भाद्र १२, २०७८ ०९:२९