मैथिलीक महान् पुरोधा स्रष्टा ‘मधुकांत मधुकर’ साहित्य अकादमी सम्मान सँ वंचित

विजय झा, कहरा, सहरसा। मैथिली जिन्दाबाद! जुन ३१, २०१५.
 
madhukar baba1हजारों मैथिली गीत आ कतेको रास पोथीक रचनाकार ९२ बसंत पार कय चुकल चैनपुर निवासी पं. मधुकांत झा मधुकर आइयो अपन साधना मे लीन रहैत छथि। क्षेत्रक लोक सब विद्यापति जेकाँ मधुकर बाबा केर रचित भजन श्रद्धापूर्वक गबैत अछि। लोक सब केँ बहुत दु:ख छैक जे मैथिली अकादमी आ साहित्य अकादमी द्वारा एहि क्षेत्र सँ सही हकदार रचनाकार केँ एखन धरि उचित सम्मान नहि देल गेल अछि। ओना ई सफलतापूर्वक अपन शैक्षणिक दायित्वक निर्वाह केलनि। लेकिन शुरुए सँ महादेवक भजन लिखनाय प्रारंभ केने छलाह।
 
वरीय पुत्र प्रा. डा. कुमर कांत झा केर मुताबिक सर्वप्रथम १९५५ मे ई स्वयंरचित समाज सौगात पुस्तक केर प्रकाशित करौलनि। ७० केर दशक मे नवीन नचारी, ७७ मे अभिनव नवीन नचारी भजन संग्रह, ८९ मे मधुकर माधुरी भजन संग्रह, २००२ मे नीलकंठ मधुकर पदावली प्रकाशित भेलनि। एकरा संगहि नारद भक्ति सूत्रक मैथिली मे अनुवाद केलनि।
 
ओना तऽ बाबा बहुते देवी-देवतापर मैथिली भाषा मे भजन लिखलनि, लेकिन देवाधिदेव महादेव सँ संबंधित दस हजार सँ अधिक भजन लिखने छथि। एकर अलावे कतेको रास पुस्तक हालो साल मे प्रकाशनाधीन छन्हि। कोना मनायब ना शिव के कोना मनायब ना, सखि हे रूसल छथि बमभोला हुनका कोना मनायब ना…, बाबा खबड़ि लियौ हमरी, सहित सैकड़ों भावपूर्ण भजन हिनका द्वारा रचित अछि जे आइयो बाबाधामक बाट मे कमरथुआ व शिव भक्त सब झूमि-झूमिकय गबैत आ नचैत छथि।
 
मैथिली साहित्य केर कतेको नामी गायक आ गायिका हिनकर रचित भजन केँ अपन सुर सँ सजौलनि अछि। १९८२ मे हाईकोर्ट केर जज भगवती प्रसाद झा, कामेश्वर सिंह दरभंगा संस्कृत विश्वविद्यालयक स्नातकोत्तर साहित्य विभागाध्यक्ष डा. पं. उदय कांत झा, सम्मानित प्राध्यापक अर्जुन झा, बैद्यनाथ मिश्र, पं. छेदी खां, पूर्व एमएलसी सह भागलपुर विश्वविद्यालयक माहेश्वरी सिंह महेश, मिथिला शोध संस्थानक तत्कालीन निदेशक आचार्य शोभाकांत जयदेव झा, एलएमएनयू दरभंगाक स्नातकोत्तर संस्कृत विभागाध्यक्ष डा. त्रिलोकनाथ झा सहित कतेको रास विद्वान् लोकनि हिनक रचना मधुकर माधुरीक संग अन्य-अन्य रचनाक भरपूर प्रशंसा केलनि अछि। मैथिलीक कतेको फिल्मकार लोकनि सेहो मिथिला मे मधुकर नामक फिल्म बनेबाक इच्छा प्रकट केलनि अछि, एहि दिशा मे प्रगति जोर पर अछि।
 
संपादकीय जोड़:
बाबाधामक बाट मे मधुकर बाबा लगभग दसो हजार कमरियाक हुजुम संग जखन चलैत छथि तऽ लोक सब हिनकर दर्शन व स्पर्श लेल बेहाल रहैत अछि। बाबाक दुलार जेकरा भेटैत अछि ओ अपना केँ नेहाल बुझय लगैत अछि। बाबाक एकटा विशिष्ट आदति जे वृद्ध अवस्था मे सेहो कनी-कनी दूर कमरिया सब संग पैदल चलैत बाबा बैद्यनाथक गान-बखान करैत छथि जाहि सँ थाकल-ठेहियायल बम-बंधु लोकनिकेँ नव उर्जाक प्राप्ति होइत अछि। एहि क्रम मे हमहुँ पड़ल छी, ई हम अपन विशेष सौभाग्य मानैत छी।