महादेव अर्धनारीश्वर केर रूप एहि कारण लेलनि

स्वाध्याय आलेख

– प्रवीण नारायण चौधरी

महादेव अर्धनारीश्वर केर रूप एहि कारण लेलनि

भगवान शिव केर पूजा हजारों-हजार वर्ष सँ भऽ रहलनि अछि, धरि ई तथ्य बहुत कम लोक जनैत अछि जे शिव केर एक आरो रूप छन्हि ओ थिक ‘अर्धनारीश्वर’। असल मे शिव अपन मर्जी सँ ई रूप धारण कएने रहथि। ओ एहि रूप केर माध्यम सँ लोक केँ ई सन्देश दियए चाहलथि जे वास्तव मे स्त्री आ पुरुष समान होइछ। आउ जनैत छी एहि घटना के चक्र। आखिर कोन कारण सँ शिव केँ लियए पड़लन्हि ई रूप।

स्त्री-पुरुष केर समानताक पर्याय थिक अर्धनारीश्वर

भगवान शंकर केर अर्धनारीश्वर अवतार मे हम सब देखैत छी जे भगवान शंकर केर आधा शरीर स्त्री के तथा आधा शरीर पुरुष के छन्हि। ई अवतार महिला व पुरुष दुनूक समानता केर संदेश दैत अछि। समाज, परिवार तथा जीवन मे जतबे महत्व पुरुष केर अछि ओतबे स्त्री केर सेहो अछि। एक दोसरक बिना एकर जीवन अधूरा छैक, ई दुनू एक दोसर केँ पूरा करैत अछि।

कियैक लेलनि एहेन अवतार

शिवपुराण मुताबिक सृष्टि मे प्रजाक वृद्धि नहि भेलापर ब्रह्माजी केर मोन मे कतेको सवाल उठय लगलनि, तखन ओ मैथुनी सृष्टि उत्पन्न करबाक संकल्प कयलथि। लेकिन ताबत धरि शिव सँ नारी लोकनिक कुल उत्पन्न नहि भेल रहैक, तखन ब्रह्माजी अपन शक्तिक संग शिव केँ संतुष्ट करबाक लेल तपस्या कयलथि।
ब्रह्माजीक तपस्या सँ परमात्मा शिव संतुष्ट भऽ कय रूप धारण कय हुनका सोझाँ गेलाह तथा अपन शरीर मे स्थित देवी शक्तिक अंश केँ पृथक कय देलनि। ताहि के बाद ब्रह्माजी हुनक उपासना कयलनि। हुनकहि भक्ति सँ प्रसन्न भऽ कय शक्ति द्वारा अपन भृकुटि केर मध्य सँ अपनहि समान कांति वाली एक अन्य शक्ति केर सृष्टि कयल गेल जे दक्ष केर घर हुनक पुत्रीक रूप मे जन्म लेलथि।
अर्धनारीश्वर केर रूप धय भगवान ई संदेश देलनि अछि जे समाज तथा परिवार मे महिला लोकनि केँ सेहो पुरुषहि समान आदर व प्रतिष्ठा भेटय। हुनका संग कोनो प्रकार केर भेद-भाव नहि कयल जाय।
(लेख साभार जागरण मे प्रकाशित स्तम्भ सँ लेल गेल अछि तथा हमरा द्वारा मात्र अनुवादित अछि।)

हरिः हरः!!