अन्तर्राष्ट्रीय योग दिवस आ मिथिला योगीश्वर लक्ष्मीनाथ गोसाईं

राहुल – जय हो बन्गाम, सहरसा। जुन २१, २०१५.

पहिल अन्तराष्ट्रीय योग दिवस केर अवसर पर मिथिलाक योगी श्री श्री 108 संत कवि लक्ष्मीनाथ गोसाईं जीक योगी होयबाक तथ्य राखि रहल छी। ई मैथिली अकादमी सं प्रकाशित डॉ. फुलेश्वर मिश्र जी रचित संत कवि लक्ष्मीनाथ गोसाईं किताब सँ उद्धृत अछि।

सुप्रसिद्ध कवि-उपन्यासकार बैद्यनाथ मिश्र “यात्री” अप्पन “चित्रा” काव्य संग्रहक “माँ मिथिले” शीर्षक कविता मे लक्ष्मीनाथक योगक चर्चा कय लक्ष्मीनाथ कें मिथिलाक गौरव मानलनि अछि –

laxminath gosaiलक्ष्मीनाथक योगध्यान मे
कवि चन्द्रक कविताक गान मे
नृप रामेश्वरक उच्च ज्ञान मे
आभा अमल अहाँक
विद्याबल वैभवक गौरव मे
अहं छी थोड़ कहाँक?

नेपाल महाराजक पत्र मे सेहो लक्ष्मीनाथक उपाधिमाला मे हुनका “अष्टांग योग युक्तेषु” कहल गेल छैन। लक्ष्मीनाथक प्रमुख शिष्य “रघुवर गोसाईं ” “योगिराज” केर रूप मे प्रतिष्ठित छलाह। जनसाधारण मे सेहो हुनक योग शक्ति मे सिद्ध होयबाक विश्वास छल। अत: ई बात सर्वमान्य अछि जे लक्ष्मीनाथ पहुँचल योगी छलाह। लक्ष्मीनाथ-रचित पोथी मे “योगरत्नावली” सेहो अछि। गुरूक ध्यान-विधिक सम्बन्ध मे अप्पन योगाभ्यास-प्रक्रियाक वर्णन ओ एहि तरहें कयने छैथि –

प्रात समय उठि सहस कमल पर, धरो ध्यान गुरु केरो॥
कर गहि वारि पखारि चारू तन, मानस पूजा सारो ॥
भद्र स्वस्ति सिंहासन सारंग, कच्छप मोर सुधारो ॥
सिद्धासन करि ह्रदय चिवुक धरि, भृकुटि नैन निहारो ॥
बद्ध कमल पर दृष्टि नासिका, रसना तालु लगाओ ॥
कर संपुट करि शक्ति ध्यान धरि, बहु विधि व्याधि नसाओ ॥
प्राणायाम विधान करो कछु, चन्द्र सूर्य हित लाओ ॥
नाड़ी सोधि त्रिकोण यन्त्र पर, शंकर सीस नबाओ ॥
द्वादश पूरक षोडश कुम्भक, दश रोचक मन लाओ ॥
ब्रह्म बीज लै भूति शुद्ध करि, पातक भूल नसाओ ॥
एक स्वात गहि तार शब्द करि, गगनहि पवन चढाओ ॥
“लक्ष्मीनाथ” निहारि परमपद, जीव मुक्त हो जाओ ॥

आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान आओर समाधिक ई निर्देश स्पष्ट रुपें पतंजलि निरुपित अष्टांग योग-सम्मत अछि। “अकारादि दोहावली” क निम्नलिखित पद एहि बातक पुष्टि करैत अछि –

अनहद अपने साथ है, अजपा ताके नाम।
अमल करो अपनाय के, अमर नाम धर ठाम ॥
आतम में आतम लखो, आठ पहरा लौ लाय ।
आनन्द रस तब चाखि के, आवागमन नशाय ॥
इन इन्द्री को बस करो, इच्छेन्द्रिय दुराय ।
इन तन के इतवार नहि, इहाँ वहाँ सुख पाय ॥
ईश इड़ा अरु पिंगला, सषुमन के परमेश ।
तेई सुषमन पंथ है, एकहि जीव महेश ॥

संपादकीय जोड़ –

गोसाईं बाबा केर विषय मे अनेको किंवदन्ति भिन्न-भिन्न जगह सुनबाक लेल भेटैत अछि। आइयो लोक हिनकर समाधि स्थल फैटकी कुटी पर आबिकय साधना करैत अछि। हिनका द्वारा निर्मित अनेको कुटी पर बाबा प्रति समर्पणक बेजोड़ समागम देखय मे अबैछ। बाबाक विषय मे कहल जाइछ जे ई रूप बदैल कय मक्केश्वर महादेव मक्का केर भीतर प्रवेश करय के प्रयास केलनि। जखन कमला-बलान मे बाढिक ऊफान रहैत छल तऽ बाबा खड़ाम पहिरने पानिक ऊपरे-ऊपर पैदल चलिकय नदी पार कय जाइत छलाह। बाबा आकाशमार्ग सँ गमन करय मे सेहो सक्षम छलाह। योगक एहेन चरम सिद्धि प्राप्त महापुरुष केँ आइयो लोक ओहिना पूजैत अछि जेना बाबा समाधिस्थ छथि आ कखनहु जागि सकैत छथि। बाबा लेल नित्य बिछाउना लगायल जाइछ। बाबा प्रति समर्पण संपूर्ण मिथिला मे व्याप्त अछि। जय बाबा जी!!