एक अवला नारी के सवालः मरल केँ आर कतेक मारब?

सामाजिक विमर्श

– वन्दना चौधरी

मरल के और कतेक मारब?

अहाँ सब पूरा पढिकय अपन जवाब जरूर देबै, एकटा पीड़ित महिला के सवाल सभक!

आय हम अहाँ सभक समक्ष जे बात राखि रहल छी ओ बहुत पैघ ज्वलंत मुद्दा बनिकय अभरल अछि अपन समाज में और एकर निराकरण कोना हेत अहि पर सबगोटे के मिलिकय विचार करबाक अछि।

किछु दिन पूर्व के बात अछि। हमर एक अति प्रिय संगी के भगवान ओकर दुनियां उजाड़ि देलखिन। तीनटा छोट-छोट धियापुता, आब ओकर जीवन पहाड़ बनल छैक। बच्चा सब एतेक अबोध जे ईहो नै बुझि पाबि रहल छै जे हमर मम्मी केँ कि भेलैक, अचानक सँ जे ओकर रूप एहेन कुरूप भ गेलैक। एक त बाप के हाथ नै रहलैक माथ पर और दोसर जे हाथ रहबाक चाही यानी ओकर मम्मी के हाथ ओहि हाथ में एकोटा चूड़ी नै देखिकय बच्चा सब और हदरैत छैक।

हमरा किछ दिन पूर्व अपन ओहि संगी के फोन आयल। हमरा बहुत हिम्मत कय केँ ओ फोन केने छल। जखन हम ओकर बात सब सुनलहुँ त सच कहैत छी जे हमरा एहि समाज सँ घृणा उत्पन्न भऽ गेल। एतय ढकोसला के सिवा और किछ नै छैक एना अनुभूति भेल।

ओ कहलक जे कि कहू वन्दना, हमरा जँ केकरो फोन आबि जायत त घर में सब सवाल करय लागत जे केकर फोन छल? की बात करैत रही? नै हम कतहु बाहर जा सकै छी, नै कियो हमरा सँ भेंट करय लेल आबि सकैत अछि। बच्चा सब पुछैत रहैइए जे मम्मी तूँ टिकली कियैक नै लगबैत छिहिन, एकोटा क चूड़ी कियैक नै पहिरैत छिहिन। पापा कखनहुँ तोरा एना देख लेथुन त बड्ड दुःख हेतनि। ओ सब हमर ई रूप देखिकय जखन हेहरू जेकाँ भऽ गेल त एकटा क’ कारी बिंदी लगबय लगलहुँ, और दूटा क बाला पहिर लेलहुँ। ताहि पर घरक लोक सब कहय लगलैथ जे हम सब कतौ मुँह देखबै जोगर नै रहब अगर अहाँ एना करब। हम केकर बात मानू? समाज के बात मे पड़ू या अपन बाल बच्चा के मुँह देखु? जेकरा सब लेल हमर घरवला प्राण त्यागि देलनि ओ सब पर्यन्त एक बेर घुरिकय नहि अबैत छथि देखय लेल जे ई सब कोन हाल में छैक! हम कतेक दिन एना हाथ पर हाथ ध’ क’ बैसल रहू? किछ नै किछ त हमरा अपन बच्चा सब लेल करहे पड़त, लेकिन जखन घर सँ बाहर कदम राखय देत ई समाज तखन न?

पाठक सब सँ कहय चाहब जे हमर संगी हमरा कहलथि जे हम त नहि किछ लिख सकैत छी लेकिन अहाँ हमरा तरफ सऽ ई सवाल पूछ्बैन एहि समाज सँ जे कि हमरा और हमर बच्चा सब केँ अपन जिन्दगी जीबै के हक़ नै अछि? कि हमहुँ सब अहि समाज के बनाओल ढकोसलापूर्ण नियम तर में दबिकय मरि जाउ? कियो एक दिन या एक महीना हमर सभक मदद कय देथिन, तेकर बाद? तेकर बाद त हमरा अपने होश करय पड़त न? कि हम अपन बच्चा सभक खुशी लेल अगर एकटा छोट बिंदी या दुगो बाला पहिर लेलहुँ त कि हम व्यभिचारी भ गेलहुँ?

एहेन तरहक बहुत रास सवाल ओ हमरा सँ केलीह। ओ कहली कि अहाँ त एकटा एहेन समूह (दहेज मुक्त मिथिला) के संचालन करय छी जतय सब अपन बात राखि सकैत अछि, विशेष कय महिला। कि छन्हि किनको लग हमर बातक जवाब?

हमरा त तखन जे जवाब फुरायल से सब कहलियैन हुनका लेकिन हम आब अहाँ सबसँ ओकर प्रश्न के उत्तर मंगैत छी। कि ई सही छै जे ओकरा और ओकरा सन सन मरल के और मारल जा रहल छै अहि समाज के बनाओल नियम सभक तहत?

(सम्पादकीय नोट – उपरोक्त सवाल सब लेखिकाक एक बालसंगी जिनकर पतिक असामयिक निधन अपनहि परिवार आ सहोदर केर कोरोनाक चपेट मे आबि गेलाक बाद अस्पताल मे सेवा करैत स्वयं महामारीक चपेट मे आबिकय भऽ गेलनि, आर आइ हुनकर धर्मपत्नीक रूप मे हिनकर जे पीड़ा छन्हि ताहि पर आधारित अछि। आशा करैत छी जे समाजक एहि ज्वलन्त समस्या पर अपने सब उचित मार्गदर्शन समान प्रतिक्रिया जरूर कमेन्ट बौक्स मे राखब।)