धन्यवाद लेल शब्द नहि अछि!!

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विशेष संपादकीय: सन्दर्भ – राजकमल स्मृति उत्सव, सहरसा

‘भारतीय साहित्य का निर्माता’ कहि बिहार विश्वविद्यालयक पूर्व मैथिली विभागाध्यक्ष महाविद्वान् डा. देवेन्द्र झा अपन संस्मरण मे स्व. राजकमल चौधरी केँ बहनोई मानिकय केलानि अछि, एक महान् सत्यवादी – विद्रोही – सृजनशीलताक धारा सँ ओत-प्रोत युग मे विरले कोनो एक एहेन जन्म लैत अछि – एहने अनेको विशेषताक संग परसू यानि १९ जुन सहरसा मे सेहो एक सँ बढिकय एक विद्वान् लोकनि स्व. राजकमल चौधरीक ४८म पुण्यतिथि मनौलनि।

आयोजक ‘साहित्य सरोकार’ केर एहि डेगक कतेक प्रशंसा भेल से कि कहू! स्वयं एकटा अतिथिक रूप मे एहि कार्यक्रम मे सहभागिता लेल गेल रही, ओतय मौजूद अगाध विद्वान् लोकनिक विचार व स्व. राजकमल साहित्यक ज्योति पर राखल उद्गार मानू जे मंत्रमुग्धे टा नहि केलक, वरन् एकटा नव उर्जा एहि तरहें भरि देलक जे जीवन मे एहि महान आत्माक देल साहित्यिक सुझाव अनुरूप सामाजिक क्रान्ति लेल काज करब सेहो संकल्प लेलहुँ। अगबे स्मृति कोन काजक जँ हम नव पीढी कोनो महान वेत्ताक जीवन सँ अपन जीवन केँ प्रेरित कर्मानुसरण नहि कय पाबी। निश्चित रूप सँ स्मृति यैह वास्ते हेबाक चाही जे सहरसाक कार्यक्रम सिद्ध केलक।

जतय विदुषी डा. रेणु सिंह केर ओज सँ भरल विचार सुनलहुँ, ओतहि डा. शंभु शरण सिंह केर विचार वर्तमान समाजक परिप्रेक्ष्य मे राजकमल चौधरीक प्रासंगिकता पर पूर्ण विश्लेषणात्मक विचार मनमोहक लागल। तहिना डा. केपी यादव, डा. डीएन साह, श्रीमती मेनका मल्लिक, श्रीमती करुणा झा, श्री रामचैतन्य धीरज, श्री अरुणाभ सौरभ सहित आदरणीय प्रदीप बिहारी समान महान् स्रष्टाक विचार सब पूर्णरूपेण मन-मस्तिष्क केँ आन्दोलित करयवला छल।

1666एहि कार्यक्रमक एकटा विशेषता ई भेल जे ओहि रिसोर्ट सँ सटले एक दोसर मैदान मे राजनैतिक दल (भाजपा) केर प्रदेश अध्यक्ष मंगल पाण्डे आ केन्द्रीय नेता राम कृपाल यादव केर रैली छल। साहित्यिक कार्यक्रमक आवाज कतेक दूर धरि आ केकर-केकर कान तक पहुँचल ई नहि बुझि सकलहुँ, मुदा राजनैतिक कार्यक्रमक आवाज सैकड़ों भोमहा लाउडस्पीकर लागल रहबाक कारणे कनेक बाधा पहुँचाबैत सेहो बुझायल। लेकिन रामो-राम-धर्मो-धर्म सँ सत्य केँ स्वीकार करबा मे कोनो हर्ज नहि जे साहित्यिक कार्यक्रमक गंभीरता राजनीतिक कार्यक्रम पर किछु एहि तरहें चढल छल जे बेर-बेर सैकड़ों लोकक हुजुम ओहि सभा सँ एहि सभा मे आबय आ साहित्यिक कार्यक्रमक मान व मर्यादा देखि दूरहि सँ कान पाथिकय कनीकाल सुनय आ फेर अपन नेता जेकर करबल सँ ओतय तक गाड़ी-घोड़ा चढिकय लोक सब आयल छल तिनकर जिन्दाबाद करबाक मजबूरिये ओहेन विकराल गर्मी मे पुन: राजनीतिक मंच दिशि चलि जाय।

बीच मे राजनीतिक नेता लोकनि सेहो अयलाह आ साहित्यिक कार्यक्रम केँ दुनू हाथ जोड़ि गोर लगैत अपन विश्राम कक्ष दिशि चलि जाइत छलाह। साहित्यिक कार्यक्रमक नजदीके विश्राम हेतु रिसोर्ट मे एकटा मुख्य सभागार मे हुनका लोकनिक व्यवस्था छलन्हि। अत: नेतागणक अबाइ होइते बन्दुकधारी बडीगार्ड्स आ जिन्दाबाद करय लेल भाड़ाक भीड़क संग जिज्ञासूजन नेताक दर्शन आ फोटो खिचेबाक लोभे ओहि साहित्यिक कार्यक्रमक नजदीक सँ चलि जाइत छलाह। एतेक भीड़ केर आबर-जाइत होइत निश्चिते थोड़े-मोरे गंभीरता भंग होइत छलैक, तथापि करीब ४ घंटा धरि सेमिनार अपन गति सँ चलैत रहल, ई हमरा लेल खास अनुभूतिक छल।

एकटा बात तय छैक जे भीड़ जुटेबाक लेल नौटंकी करहे पड़त। फूसिये जिन्दाबाद आ मुर्दाबाद सब करहे टा पड़त। आब स्पष्ट भेल अछि जे साहित्यिक आ राजनीतिक कार्यक्रम मे भीड़क अन्तर कियैक आ कोना होइत छैक। कोना राजनीतिक मंच सँ अगबे ‘वन्दे – मातरम्’ केर नारा लगैत छैक, जखन कि गणित मात्र वोट जुटेबाक आ ताहि लेल कोनो घटिया सँ घटिया आ नीक सँ नीक कर्म करबाक लेल नेता पाछू नहि पड़ैत अछि। देशक द्वंद्व केर ई विलक्षण दर्शन सेहो आयोजक साहित्य सरोकार केर कार्यक्रम स्थलक चुनाव सँ भेल। एहि पर आरो बहुत किछु लिखबाक अछि, लेकिन हाल लेल एतबी कहब जे एतेक बेहतरीन कार्यक्रम आयोजन करबाक लेल आयोजक लोकनि केँ धन्यवाद करबाक लेल शब्द नहि अछि।