राजकमल स्मृति उत्सव मनायल गेल सहरसा मे: दिल्ली मे विमोचन भेल रचनावलीक

rajkamal smruti1राजकमल चौधरीक नाम हिन्दी तथा मैथिली साहित्य मे एकटा नवधाराक संस्थापक – निर्माताक रूप मे लेल जाइत अछि आ बहुत छोट आयू मे जाहि तरहक रचना सँ ओ साहित्यक सागर मे अपन योगदान देलनि तेकर अनमोल मिठास आइ जनमानस केँ आरो बेसी सान्दर्भिक आ प्रासंगिक लागय लागल छैक।

१९ जुन, २०१५ – राजकमल केर मृत्युक ४८ वर्ष पूरा भेला पर दिल्ली मे डा. देवशंकर नवीन केर संपादन मे ‘राजकमल की रचनावली – ८ खंडों में’ केर विमोचन समारोहक आयोजन भेल छल, हिन्दीक प्रख्यात स्रष्टा साहित्यकार नामवर सिंह केर हाथ सँ साहित्य अकादमी, दिल्लीक सभागार मे स्व. राजकमल केर कृति पर चर्चाक संग ई विमोचन संपन्न भेल छल। तहिना सहरसा सनक ‘क्रान्तिभूमि’ मे साहित्यिक गतिविधि २१म शताब्दीक उत्तरार्ध लगभग नगण्य बनि जेबाक चुनौतीपूर्ण वर्तमान समस्या सँ लड़बाक लेल जन्म भेल संस्था ‘साहित्य सरोकार’ द्वारा राजकमल चौधरीक पुण्य तिथि पर दिन भरिक स्मृति उत्सव मनायल गेल।

rajkamal rachanavali1सहरसाक भूमि सँ साहित्यिक क्रान्तिक कतेको रास गाथा अछि। महाप्रकाश तथा मायानन्दक संग अनेको महामानव एहि स्वर्णमयी धरती पर जन्म लय जिला सहित मातृसंस्कृति मिथिलाक संग समस्त देश व भारतवर्ष केँ अपन अनेको सुन्दर-यशस्वी कृति सँ नेहाल केलनि। कमलो मे राजकमल समान दिग्गज एहि भूमिक लाल भेला जे निर्धक्कता सँ किछु एहेन विषय पर लिखलनि जेकरा तात्कालिक समाज मे हेय दृष्टि सँ भले लोक निन्दा केलक, हुनकर लेखनी केँ असामाजिक तथा अनावश्यक प्रमाणित करबाक लेल अनेको व्यूह रचलक, लेकिन आइ राजकमल केर दृष्टिकोण प्रत्यक्ष समाजक पीड़ा बनिकय सोझाँ देखाय लागल परिस्थिति मे स्वाभाविके हुनकर साहित्यिक अवदानक वृहत चर्चा होमय लागल अछि।

सभाक चतुर उद्घोषक किसलय कृष्ण द्वारा एहने अनेको महत्त्वपूर्ण जानकारीक संग शुरु कैल गेल स्मृति उत्सव केर उद्घाटन मंचासीन विद्वान्-विचारक-स्रजक जाहिमे सभाध्यक्ष मैथिली साहित्यक पुरोधा – पूर्व प्राध्यापक डा. सुभाषचन्द्र यादवक संग आर. जे. कालिज केर प्राचार्या डा. रेणु सिंह, इग्नू केर क्षेत्रीय निदेशक डा. शंभु शरण सिंह, एमएलटी कालिज केर प्राचार्य डा. के. पी. यादव, विशिष्ट अतिथि एवं प्रमुख वक्ता मैथिली नाटक एवं साहित्य मे अनेको कृतिक योगदान देनिहार प्रदीप बिहारी तथा मैथिली भाषा एवं मिथिला संस्कृति केर प्रचारक-सचेतक प्रवीण नारायण चौधरी द्वारा संयुक्त रूप मे दीप प्रज्ज्वलन करैत स्व. राजकमल चौधरीक तैल्यचित्र पर माल्यार्पणक संग भेल।

उद्घाटन सत्र मे सभाकेँ संबोधन करैत प्राचार्या एवं अतूलनीय विदुषी डा. रेणु सिंह द्वारा स्व. राजकमल चौधरीक साहित्य-शैली पर विस्तार सँ प्रकाश देल गेल। ओ कहलनि जे ई हुनकर खास विशिष्टता छल जे समाज मे विद्यमान् अनेको कूरीति आ मिथ्याडंबर पर निर्भीकता सँ लिखलनि। सत्य केर करु भेनाय विदिते छैक, भले तात्कालीक समाज ताहि समयक व्यवस्था अनुरूप हुनकर विद्रोह केँ बुझय सँ असमर्थ रहल हो, लेकिन साहित्यकारक दृष्टि कतेक दूर तक देखैत छैक से हुनकर प्रत्येक कृति सँ आइयो ओहिना झलकैत अछि। नारी कुंठाक विषय हो वा हो सामाजिक कोनो नियम जे बाजय एक आ व्यवहार करय दोसर – हुनकर ध्यान स्वच्छ समाज निर्माणक दिशा मे लेखनी पर रहल आ लिखय समय ओ ई नहि सोचला जे एकर स्वीकार्यता केकरा लेल केहेन बनत। निरपेक्ष भाव सँ लिखैत गेल छथि से प्रतीत होइत अछि। अपन छोट जीवनकाल मे एतेक रास रचना – ई एकटा महामानव मात्र लेल संभव छैक।

प्राचार्य डा. के. पी. यादव राजकमल चौधरी केँ फूल बाबुक रूप मे बाल्यकाल सँ विद्यालयक मणिन्द्र एवं साहित्यक राजकमल – हर रूप मे भरपूर जीवन जियबाक अनुपम दृष्टान्त रखैत विद्यमान् मिथिला समाजक चरित्र-चित्रण सँ हुनक रचना आइयो जिवन्त होयबाक बात कहला। एकटा साहित्यकारक कल्पना समाजक हित मे कतेक सोचैत छैक तेकर पूर्ण साक्षात्कार राजकमलक एक-एक साहित्यिक कृति सँ स्पष्ट अछि, डा. यादव कहलनि।

डा. शंभु शरण सिंह एक प्रतिष्ठित वक्ता आ समीक्षक केर रूप मे राजकमलक जीवनकालक विभिन्न चरण पर प्रकाश दैत हुनकर रचनाशीलता आ मानवीय पक्षक विभिन्न पहलू पर सूक्ष्म दृष्टिक संग दूरदृश्यताक संग लेखनी करबाक शैली पर सेहो विश्लेषणात्मक संबोधन सभाक समक्ष रखलनि। हुनक प्रवासकाल मे पटना, भागलपुर आ कोलकाता सहित अन्य प्रदेश आ ताहि सब ठामक समाजक संग अपना केँ रिझबैत साहित्यक हरेक विधा मे निपुण योगदान देबाक बात सेहो कहैत डा. सिंह कहलनि जे आजुक समय मे राजकमल बेसी प्रासंगिक बुझाइत छथि। ओ दाबी करैत कहला जे २१म शताब्दी मे राजकमल अपन कृति सँ शिखर साहित्य पुरुष बनिकय सहरसा ओ मिथिलाक नाम रौशन करैत रहता।

प्रवीण नारायण चौधरी स्व. राजकमल चौधरीक स्मृति उत्सव मनेबाक एहि अदम्य साहसी कार्य करबाक लेल आयोजक लोकनि केँ धन्यवाद करैत मंचस्थ अनेको विद्वानक बातसँ अपना सहित वर्तमान युवा पीढी लेल राजकमल चौधरीक साहित्य ‘मार्गदर्शक’ रूप मे रहबाक बात कहलनि। डा. शंभु शरण सिंह एवं डा. रेणु सिंह केर वक्तब्य सँ धनधन्य भेल डा. शंभु शरण सिंह केर एकटा पूर्व कहल उक्ति जे ‘साहित्य सँ संस्कार, संस्कार सँ संस्कृति, संस्कृति सँ सभ्यता आ सभ्यता सँ भूगोल’ केर दृष्टान्त राखि सहरसाक भूमि क्रान्तिकारी होयबाक बात कहलनि। ओ ई दाबी केलनि जे मैथिली जेकाँ मिथिला सेहो संविधान मे स्थापित होयत जाहि मे स्व. चौधरी समान दिग्गज केर योगदान, पथ-प्रदर्शन आ सर्वाधिक अनुकरणीय बात ‘सत्यवादिता एवं सृजनशीलता’ सँ मिथिलाक यैह पूर्वी कोसी क्षेत्र सँ क्रान्ति होयत। आइ धरिक इतिहास मे जे योगदान एहि पूर्वी क्षेत्रक अछि ओ अविस्मरणीय अछि। साहित्य सरोकारक निर्माण आ स्व. राजकमल चौधरी समान महान पुरुष केर स्मृति सँ शुरु कैल यात्रा सेहो अपने-आप मे एकटा क्रान्ति अछि, कियैक तऽ ई ओ इतिहास निर्माण केलक जे कतेको बकथोथी करयवला संस्था वा समाज द्वारा नहि कैल गेल छल। युवा पीढी केँ एहि समस्त सृजनशील मार्ग सँ अपनाकेँ जोड़बाक आह्वान करैत स्व. राजकमल चौधरी द्वारा देखायल गेल बाट पर चलबाक संकल्प लेबाक घोषणा सेहो कएलनि। एक साल मे कोनो एकटा बाट पर चलबाक निर्णय सँ पुन: मिथिला निर्माण होयत जाहि लेल हमरा लोकनि कृतसंकल्पित छी, ओ कहलनि। साहित्यकारक दृष्टि पुन: नव पीढी केँ कोना मार्गनिर्देशन करत ताहि तरफ जाय ई अनुरोध केलनि।

सहरसा सँ सुप्रसिद्ध साहित्यकार आ विद्वान् रामचैतन्य धीरज द्वारा सेहो साहित्यक विधान, विधा आ विधि सब पर राजकमल चौधरीक परिपक्व देन केँ स्मरण करैत समाजिक दृष्टिकोण आ साहित्यिक दृष्टिकोण मे फरक रहितो औचित्य कायम रहबाक सत्य-दर्शन कराओल गेल छल। पूर्व वक्ता लोकनि सँ अपन विचार मिलैत रहबाक बात कहि राजकमलक दृष्टिक सत्यता आइ कतेक गहिंर अछि आ कोन तरहें स्मृति मे ओ आबि रहला अछि तेकर प्रत्यक्ष प्रमाण ई समारोह होएबाक बात धीरज सभाकेँ कहलैन।

प्रदीप बिहारी प्रमुख वक्ताक रूप मे राजकमल चौधरीक साहित्यिक दृष्टिकोण एकटा सभ्य समाज निर्माण लेल परिपूर्ण होयबाक बात कहलनि। हुनकर साहित्यक किछु विशेष शैली, जहिनाक तहिना रखैत, प्रदीप बिहारी कहलैन जे साहित्यकारक देखायल मार्ग सदिखन व्यक्ति निर्माण सँ समाज तथा राष्ट्र निर्माण लेल होइत छैक। एक अध्येताक रूप मे ओ जतेक कृति राजकमलक पढलनि ताहि सब मे एकटा ब्रह्मसत्यक निरूपण होयबाक दावा केलनि। आजुक समय मे सेहो ओकर प्रासंगिकता कतहु सँ कम नहि भेल अछि आ वास्तव मे साहित्य सृजनक राजमार्ग राजकमल द्वारा मैथिली सहित हिन्दी मे सेहो भेल अछि, प्रदीप बिहारी ई निर्णय ताल ठोकैत रखलैन।

सभाध्यक्ष डा. सुभाषचन्द्र यादव अपन प्रकाशित पोथी जे स्व. राजकमल केर साहित्य पर शोधपूर्ण आ संपूर्ण हेबाक चौतरफा यश प्राप्त केलक तेकर सन्दर्भक संग वर्तमान पीढी मे एहेन दिग्गज साहित्यशिल्पी सँ सीख लेबाक आग्रह केलनि।

वक्तब्यक क्रम मे राजविराज सँ आयल मैथिली संग मिथिला लेल पूर्ण सक्रिय अभियान कर्त्री नेत्री करुणा झा अपन ओजपूर्ण संबोधन मे सभास्थलक चारूकात लागल भाजपाक कमल छाप सहितक झंडा आ बैनरक संग बगले मे चलि रहल विशाल रैली तरफ इशारा करैत कहली जे ‘कमलक बीच राजकमल’ केर अनुभूति आह्लादित केने अछि। राजनीति जखन लरखराइत छैक तऽ साहित्ये ओकरा सम्हारैत छैक। लेकिन आजुक समय मे साहित्य केँ सम्हारबाक लेल राजनीति केर सेहो ओतबा आवश्यकता छैक। स्व. राजकमल चौधरी साहित्यिक योगदान देनिहार अनेकों कमल बीच ‘राजकमल’ छथि जेकरा पर ‘कमल’ सहित अन्य राजनीतिकर्ताक संरक्षणक आवश्यकता अछि। समाज मे सब एक-दोसरक संग लैत आगाँ बढय आ युवा पीढी, महिला, विद्यार्थी, अभियानी – सब एक-दोसर संग सहकार्य करैत अपन भाषा ओ संस्कृति केँ रक्षा करय।

विमल कान्त झा – प्रतिष्ठित समाजसेवी आ हालहि हम पार्टी सँ राजनीति केर पारी शुरु कएनिहार अपन व्यस्ततम् समय सँ किछु समय निकालि सभा मे एला आ राजकमल पर स्वरचित दुइ आखरक एकटा कवितागान सँ शुरु करैत महान साहित्यकार केँ श्रद्धाञ्जलि दैत स्मृति उत्सवक सफलताक शुभकामना देलनि। आबयवला समय मे युवा पीढी सहित समस्त समाज मे पसरल कूरीति विरुद्ध स्वयं संघर्ष करैत स्वच्छ समाज निर्माण मे आगाँ रहबाक संकल्पक संग ओ सभा सँ विदाई लैत व्यस्त जीवनक किछु आर दिशा मे प्रस्थान कएलनि।

स्व. राजकमल चौधरीक एक सहोदर (बेमात्रे) अनुज अपन संबोधन मे आयोजनक विषय मे हुनका कोनो तरहक खबैड़ नहि देबाक बात सँ खिन्नता होयबाक अभिव्यक्ति दैत भाइसाहेबक नाम पर स्मृति सँ बेसी ब्यापार तरफ कियो नहि बढैथ तेहेन चेतावनी देलनि। लेकिन सहरसा मे एहि तरहक आयोजन पर स्वयं भितरे-भीतर खूब प्रसन्न होयबाक बात सेहो कहलनि। दिल्ली मे डा. देवशंकर नवीनक संपादन मे भाइसाहेबक सब रचना एक संग राजकमल प्रकाशन समूह द्वारा प्रकाशित भेला सँ पाठक केँ सुविधा भेटत से भावना रखलनि। ओ एहि लेल असंतुष्ट देखेला जे सहरसा मुख्यालय सँ बेसी नीक ई आयोजन महिषी हुनक मूलग्राम मे रहैत आ ताहि लेल ओ सब कियो भरपूर सहयोग सेहो करितथि। जखन कि आयोजनक परिसीमन परिवार वा गाम सँ बहुत ऊपर जिला सहित राज्य आ राष्ट्र लेल एकटा समाद संचरणक छलैक से बुझेला पर ओ एहि महत्त्वकेँ आत्मसात सेहो केला।

उद्घाटन सत्र जतय किसलय कृष्णक संचालन मे संपन्न भेल छल तहिना सेमिनार सत्र यैह सहरसाक एक क्रान्तिपुत्र ‘अरुणाभ सौरभ’ द्वारा संचालित कएल गेल। अरुणाभ सौरभ सेहो अपन ओजपूर्ण संचालन सँ उपस्थित समस्त सभासदगण केँ काफी प्रभावित केला। सहरसा कालेज केर मैथिली विषयक प्राचार्य डा. डी. एन. साह  द्वारा स्वागत संबोधन मे सहभागी अतिथि सहित सभा मे उपस्थित समस्त सहभागी केँ एहि तरहक आयोजन मे अयबाक लेल हृदय सँ धन्यवाद देलनि। तहिना एहि सत्रक अन्त मे दीपनारायण ठाकुर द्वारा धन्यवाद ज्ञापन कैल गेल।

संध्याकाल दोसर सत्र पुन: किसलय कृष्णक संचालन मे कवि गोष्ठी सँ भेल। एहि मे करीब एक दर्जन कवि लोकनि सहभागिता देलनि। करुणा झा केर रेसिपी मे वर्तमान राजनैतिक-सामाजिक व्यवस्था पर कठोर टिप्पणी छल तऽ दोसर कविता द्वारा ओ भ्रुण हत्या आ महिला हिंसा समान गंभीर विषय पर सभाक ध्यानाकर्षण कएलीह। तहिना उदय चन्द्र झा, डी. एन. साह, विमलजी मिश्र, रश्मि रमण, मेनका मल्लिक, अरुणाभ सौरभ, प्रवीण नारायण चौधरी, रूपम झा आ किसलय कृष्ण आदि सेहो अपन-अपन रचना सँ उपस्थित जनमानस केँ आ राजकमल स्मृति उत्सव केँ स्वर्गमय बना देलनि। तदोपरान्त शुरु भेल छल सांस्कृतिक संध्या जेकर शुरुआत रोहित झा केर ‘जय जय भैरवि’ पर कत्थक नृत्य सँ भेल। पुन: मिथिलाक सुप्रसिद्ध गायक पवन नारायण केर प्रखर आवाज मे भैरवि वन्दना सँ प्रारंभ गीत संध्या मे सैकड़ों दर्शक कार्यक्रम स्थल – जिला परिषद् रिसार्ट मे आबिकय आनन्द लेलनि। कार्यक्रम स्थलक सजाबट आ ताहि मे मैथिलीक सुमधुर गीत-संगीत एहेन वातावरण बनौने छल मानू जेना साक्षात् स्वर्ग ओहि समय सहरसा मे उतैर आयल छल।

कार्यक्रमक अन्त मे संयोजक कन्हैयाजी अपन संबोधन मे एहि तरहक आयोजन पर सविस्तार धारणा रखलैन। ओ कहला जे सहरसाक भूमि सदैव साहित्यिक गतिविधि लेल उपजाउ रहल अछि मुदा हालक किछु वर्ष मे एहि तरफ सँ लोकक ध्यान भंग होइत देखि हुनका लोकनि पुन: गरिमाक वापसी आ संरक्षण लेल ‘साहित्य सरोकार’ केर स्थापना कएलनि अछि। साल मे एहि तरहक आयोजन सँ निरन्तर ई संस्था वर्तमान पीढी केँ जोड़िकय राखत, ई संकल्प केँ दोहरबैत सहभागी अतिथि, विद्वान्, नेतृत्वकर्ता आ दर्शक सबकेँ धन्यवाद केलनि। तहिना सह-संयोजक कुमार आशीष सेहो अपन संबोधन मे एहि परिकल्पना पर प्रकाश दैत भविष्य मे निरंतर समाजकेँ साहित्यिक संस्कार सँ सुन्दर बनेबाक संकल्प दोहरेलनि। आयोजनपक्षक सहयोगी एवं मैथिली-मिथिला लेल पूर्ण समर्पित कवि-पत्रकार आ बुद्धिजीवी सुभाषचंद्र झा सेहो आयोजनक सफलता लेल सबकेँ धन्यवाद करैत भविष्य मे बेर-बेर आ जतय तक सामर्थ्य काज करत ततय तक करैत रहबाक वचन देलनि। ओ गछलैन जे कोनो हाल मे जिवटता केँ मरय नहि देब।

सभाक शुरु मे समस्त मंचासीन वक्ता लोकनिकेँ स्मृति-प्रतीक केर रूप मे राजकमल केर तैल्य-चित्र हस्तान्तरित कैल गेल। एहि अवसर पर एकटा स्मारिकाक प्रकाशन सेहो कैल गेल, एहिमे कार्यक्रमक परिकल्पनाक संग राजकमल चौधरीक जीवनक अनेको पहलू पर आलेख आदिक प्रकाशन कैल गेल अछि। कार्यक्रमक अन्त मे संगीत संध्या मे सहभागी कलाकार पवन नारायण, कंचन पाण्डे आ खगड़िया सँ अयली अतिथि कलाकार किरण, कत्थक नर्तक रोहित, कवियित्री रूपम आदि केँ स्मृति-प्रतीक प्रदान करैत पवन नारायण, प्रवीण नारायण व सुमन समाज केर महादेवक नचारी सँ कार्यक्रम केर समापन कैल गेल। निश्चित रूप सँ एहि तरहक कार्यक्रम नव उर्जाक संचरण करैत अछि आ महान पुरुष लोकनिक कल्पना केँ वास्तविकता मे परिणति दैत अछि। एहेन आयोजन बेर-बेर हो यैह प्रतिक्रियाक संग सहरसा कांग्रेस अध्यक्ष विद्यानन्द मिश्र, पूर्व विधायक संजीब झा सहित अनेको गणमान्य श्रोता-दर्शक लोकनि अपन-अपन घर वापस गेलाह। संयोजक कन्हैयाजी व समस्त आयोजक प्रति साभार आगन्तुक अतिथि लोकनि सेहो अपन-अपन गन्तव्य लेल प्रस्थान केलनि। एहेन भव्य आयोजन बेर-बेर आयोजित हो यैह शुभकामना मैथिली जिन्दाबाद केर तरफ सँ अछि!!