दहेज : समाज पर कलंक

945

आभा झा।                               
आइ भारतीय समाज में सब सँ पैघ सामाजिक कलंक अछि – दहेज प्रथा। भारत में आइ सँ नहिं बहुत पुरान समय सँ एहि रीति-रिवाजक प्रचलन होइत आबि रहल अछि। दहेज प्रथा अपन समाज में बड्ड पैघ अभिशाप बनि चुकल अछि। जाहि दुवारे बहुत रास लड़की के जान चलि जाइत अछि।अपन देश में या मिथिला में लड़की के लक्ष्मी के रूप मानल जाइत अछि। मुदा ओहि लड़की सब के बिना कारण मौत भ जाइत अछि। कियैकि ओ अपन सासुर दहेज नहिं ल जाइत छैथ। अपन देश में हर 90 मिनट में एक लड़की के दहेज नहिं भेटै के कारण मृत्यु भ जाइत अछि। कतेक बेर त लड़की के सासुरक लोक हुनका मारि दैत छथिन आर कतेक बेर ओ हुनकर डर सँ अपने आप जान द दैत छैथ।
दहेज प्रथा के इतिहास बहुत पुरान अछि। मुदा पुरान समय के दहेज प्रथा आजुक दहेज प्रथा सँ बिल्कुल अलग छल ओहि समय सिर्फ एक उपहार होइत छल मुदा आजुक समय में दहेज लड़की वाला सँ मांगि क लेल जाइत अछि।
वैदिक काल- वैदिक काल में दहेज प्रथा के कोनो मान्यता नहिं छल। उत्तर वैदिक काल में वहतु के रूप में अहि प्रथा के प्रचलन भेल। ओहि समय में लड़की के घरवाला लड़का के विवाह के समय किछ चीज उपहार में दैत छलखिन मुदा ओहि के बारे में पहिने सँ बताओल नहिं जाइत छल आर ने हुनका सँ किछ चीज मांगल जाइत छल। ओहि समय लड़की के पिता अपन इच्छा सँ कोनो चीज उपहार में लड़का के दैत छलखिन। आजुक समय में सिर्फ लड़की के पिता के मर्जी नहिं चलैत अछि आइ के समय में दहेज मांगि क लेल जाइत अछि आर नहिं देला पर लड़की के शोषण सेहो होइत अछि।
मध्य काल- वैदिक काल के बाद मध्य काल में अहि दहेज के स्त्री धन के नाम सँ जानय लागल आर अहि समय में सेहो दहेज बिल्कुल वैदिक काल के जेकां होइत छल। अहि समय लड़की के पिता अपन हैसियत के अनुसार अपन घर सँ बेटी के उपहार में किछ चीज द कऽ विदा करैत छल अहि समय उपहार ताहि दुवारे देल जाइत छल ताकि खराब समय में हुनकर पति आर घरक लोक के ओ चीज काज आबि सकैन। लड़की के पिता के ऊपर कोनो तरहक दवाब नहिं छल। मुदा एकर खराब बात इ छल कि विदाई के समय एकटा रिवाज के जेकां शुरू क देल गेल ताकि जखन बेटी के विदा कयल जायत ओहि समय ई चीज देबाक जरूरी छल।
आधुनिक काल- आधुनिक काल के बात करि त आजुक समय में दहेज मांगि क लेल जाइत अछि। आइ के समय में धन-दौलत,रूपैया,गाड़ी या किछ दोसर सामान दवाब द क बेटी वाला सँ मांगल जाइत अछि आर अगर गरीब लड़की के घरवाला कोनो लड़का के अपन मजबूरी के कारण चीज नहिं द पबैत छैथ। पहिने लड़की के स्वयंवर होइत छल पुरूष स्वयंवर में अलग-अगल स्थान सँ अबैत छल आर अपन बहादुरी देखबैत छल। लड़की अपन इच्छा सँ अपन पसंद के लड़का के चुनैत छलीह। अपन मिथिला में सीताजी के विवाह सेहो अहिना भेल रहैन।
भारत में दहेज प्रथा शुरू करै के सब सँ पैघ कारण ब्रिटिश सरकार के जाइत अछि। ब्रिटिश राज के अबै के बाद सँ भारत में दहेज प्रथा शुरू भेल। ओतय सँ लड़की के शोषण के इतिहास शुरू भेल। जखन ब्रिटिश राज गेल ओहि समय तक भारत में दहेज प्रथा बहुत बेसी रूप ल चुकल छल।
दहेज प्रथा के खत्म करै में आजुक युवा पीढ़ी के मानसिक सोच में बदलाव भेनाइ जरूरी अछि। अगर ओ विवाह बिना दहेज के करता तखन अहि चीज के बढ़ावा बिल्कुल नहिं भेटत।
अगर कोनो लड़की के दहेज लेल जुर्म भ रहल अछि तखन लड़की के अपन आवाज उठेबाक चाही।
यदि अहाँ के आस-पास सेहो ऐहन घटना होइत अछि तखन अहाँ तुरंत पुलिस में या कोनो सामाजिक संस्थान सँ सम्पर्क करू।
दहेज प्रथा एक बहुत पैघ कुरीति अछि जे अपन समाज के ऊपर एक बहुत पैघ कलंक के रूप ल चुकल अछि आर हमरा सबके मिलि क हमेशा लेल ऐकरा बंद करय के संकल्प लेबाक चाही। आजुक पीढ़ी के आगु ऐबाक चाही।
आभा झा
गाजियाबाद