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सौजन : अपनत्व आ प्रेम बढाबै के प्रयास”

बेबी झा।                               
# सौजन#
# सौजन # शब्द में दू टा शब्द छिपल अछि | सौ अर्थात परम आत्मीय आ जन मतलब व्यक्ति जाहि में सौजन – भोजन जूटि पूर्ण अर्थ स्पष्ट करैत अछि जे, परम आत्मीय व्यक्तिक संग भोजन | जे अत्यंत शोभनीय देखना जाईत अछि | ई त एकर पहील आ मुख्य रुप अछि मुदा, संगहि कनी – कनी हम एकर दोसर आ तेसर रुप के सेहो दर्शैबै के प्रयास कयलहु |जायसी के एकटा दोहा –
बरूनी बान बस ओपहं बंधे रन – बन ढांक |
सौजहि बन सब रौवां पंखहि सब तन पांख ||
एकटा सौजनीया – असौजनीया अप्पन सबहक गाम में सेहो होईत छल जे, नीच कूल – मूल आ उच्च कूल – मूलक भोजन स संबंधित छल | मुदा, आब समाज में ई सब ढकोसला नहि भेटैत अछि जे बहुत जरूरी छल |ई बेसी अशुभ काज में देखल जाईत छल |
आब चलै छी सन्दर्भित विषय – वस्तु पर ” सौजनक “आवश्यक तथ्य –
* मिथिला में एकर महत्व आ रूप
* कोन अवसर आ प्रयोजन
* लाभ वा हानि
* विलुप्तता के कारण इत्यादि
अप्पन मिथिला में शुरू स ” अतिथिक ” मान – मर्यादा, खान – पान आ ओहियो में जमाय के त , भगवान विष्णुक संज्ञा देल गेल अछि |जकर घर में भूखक पहडा रहैत छल ऐतहु डिब्बा में जमायक लेल “चन्दनचूड ” धरैत छल |
बेटीक बिबाहक चतुर्थी राति जे जमाय चारि दिन स अनून खाईत छल हुनका लेल जे विशेष भोजन बनैत छल वेह भेल ” सौजन “|
सौजनक लेल कोनो भनसिया नहि बल्कि परिवार के संभ्रांत महिला जे पाक कला में निपुण होथि हुनकर चयन होईत छल | ओ महिला पवित्रता पूर्वक सनातनी भोजन – भात – दालि, भाटाअदौरी, डालना, रामरुचि, बड़, बड़ी, साग , भूजिया, तरुआ में तीलकोर अवश्य, पापड़, माछ, दही, मधूर इत्यादि ब्यंजन तैयार कय सौजनक ओरियान करैत छली | कसल थारी भातक संग कटोरी में बिबिध ब्यजनक सचार लगा गदगर आसन पर बीच में मुख्य कर्ता त जमाय रहैत छलाह मुदा अगल – बगल सगुनक भार आनय बला बडक परिजन, भाई, भतिजा, भागिन आ कन्याक पक्षक बहनोई, भाई आदि रहैत छलाह आ भोजनक शुरुआत ऊचती – मीनती गीत स होईत छल | अंत में हास्य – विनोदक लेल सार बहनोई में भोजनक फेंका – फेंकी सेहो होईत छल | एहि स एकटा लाभ ई छल जे शाकाहारी खेनीहार के सेहो उत्तम भोजन उपलब्ध भय जाईत छल किएक त एतेक, ब्यंजन रहैत छल | पारिवारिक सामजस्यता के बढाबा भेटैत छल | घरक मेहीनी बुझैत छल | किछु भोजन बर्बाद होईत छल जे एकटा बात नीक नहि लगैत छल |तथापि आनंदक पराकाष्ठा छल |
अपना ” मिथिलांचल ” में मात्र जमाय नहि बल्कि बडक जेठ भाई, बहनोई, आ बडक बाप ( समधी) के पहील आवागमन पर एहने सचारक संग ” सौजनक ” व्यवस्था होईत छल |
मुदा, आब ई विलुप्तता के कगार पर आबि ठार्ह अछि, कारण आब लोक मांस, माछ छोडि आर ब्यंजन के छुबो नहि करैत छथि जाहि कारण बनाबय बला के मनोबल घटल जाईत अछि |एकरा फेर स विलुप्तता के कगार स केन्द्र में अनबाक प्रयास करी |
जय मिथिला जय जानकी 🙏🙏

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