नैतिक कथा
– प्रवीण नारायण चौधरी
पैघ लोक केर परिभाषा ओना तऽ बड सहज छैक जे पैघत्व केँ धारण करय से पैघ भेल, मुदा पैघ कहेनिहार अपन निज भान सँ जँ पैघ बनि जाय तऽ ओकर पैघत्व पर प्रश्न चिह्न लागि जाइत छैक इहो यथार्थ आ व्यवहारिक जगत् केर सत्य थिकैक। उच्च जाति वा कुल-मूल टा भेने कियो पैघ लोक नहि बनि जाइत अछि, लेकिन ई सच छैक जे संस्कार जँ उच्च कुल-मूलवला कियो अपन निजी जीवनचर्या आ लौकिक व्यवहार मे निर्वहन करैत अछि तऽ ओ जरुर पैघ कहाइत अछि। कतेको ठाम ई देखल गेलैक अछि जे पैघता केर अभिमान दोसरक लघुता केँ तिरस्कार कैल जाइछ, अपन बौद्धिक सामर्थ्यक आगाँ कोनो अल्पज्ञानी केँ दुत्कारल जाइत छैक आ एहि तरहें ढकोसलापूर्ण ढंग सँ पैघत्व केर देखाबा सेहो कैल जाइत छैक। मुदा पैघ बनबाक लेल वा कहेबाक लेल मात्र कीर्ति आ यश जे त्याग सँ निर्माण होइत छैक ई जरुरी छैक।
एक बेरक बात मोन पड़ैत अछि। एकटा गाम मे बड पैघ लोक कहेनिहार बुजुर्ग बाबा छलाह। बाबाक सब धियापुता बड पढल-लिखल आ होशियार हाकिम-हुकुम सब छलखिन। बाबा अपनो एकटा हाकिमे पोस्ट सँ रिटायर कएने छलाह। बाबा संग गाम मे जे परिवार रहैत छलखिन ओहो सब बड संस्कारी छलखिन। चारूकात बाबाक जय-जयकार अहु लेल होइन जे बाबा केकरो एकटा अवाच कथा तक नहि कहथिन आ जे कियो रोगी इलाज लेल भटकय तेकरा बाबा मुफ्त मे दबाइ सेहो उपलब्ध करबैत इलाज बता देथिन। बाबाक पैघता स्वत: प्रमाणित छल। ओ सदिखन सब लेल नीके करथिन। बाबाक एकटा पोता मे ई अभिमान आबि गेलैक जे हमर बाबा फल्लाँ बड प्रतिष्ठित आ नामी लोक छथि। चारूकात हुनकर डंका बजैत अछि। एवम् प्रकारे ओ पोता बाबा बले फौदारी करय सँ सेहो नहि पछुवाइथ, कतहु केकरो सँ भीड़ गेलहुँ, बाबाक नाम भजा लेलहुँ आ लोको सब बाबाक नाम सुनि गम खाकय किछु नहि बाजैत छल, चुप भऽ जाइत छल।
आब बाबाक नाम ओ पोता किछु बेसिये भजाबय लागल तऽ अति सर्वत्र ब्रज्येत वला हिसाब लागि गेलैक। आस-पड़ोसक गाम सँ जे युवती बाला सब कोनो धार्मिक कार्यक्रम आदि देखय लेल ओहि गाम अबैक तऽ बाबाक गुमानी पोता कने बेसिये पोज देखबैत छलैक। बहुत दिन धरि ओ बाला-युवती लोकनि ई लीला देखि वर्दाश्त करैत रहल। आब पोताक भेलैक जे ओकर रंगबाजी सफल भऽ गेलैक, से ओ फूटानीक डिग्री ९० सँ १२० पर मीटर चढा देलक। ओकर प्रकृति नित्य छुछुनरपंथक दिशा मे बढैत देखि अन्त मे एकटा बाला एक दिन अपन भाइ सँ ओकर शिकायत कए देलकैक जे देखू भैया, ओ फल्लाँ बाबाक जे एकटा स्टाइलिश पोता अछि से हमरा सबकेँ साँझक समय मन्दिर सँ घुमबाकाल खराब नजरि सँ देखैत अछि। ओकर भाइ ओही दिन संध्या अपने ओहि पोताकेँ वाच केलक आ शिकायत सही पेला पर ओहि पोता केँ दु-चारि झापड़ पहिने रसीद कए फेर गेल बाबाक दलान पर ओकर नंगटइ खेलाक उपराग देमय। ओतय बाबा ओकरा सँ ततेक रास प्रश्न पूछय लगलखिन जे ओहि व्यक्ति केँ ई बुझय सँ बाहर भऽ गेलैक जे जाहि बाबा केँ ओ एतेक पैघ मानैत छल से उनटे अपन पोता पर अति-विश्वास मे ओकरे सँ सवाल-जबाब कय रहल छलाह। ओ एक्के लाइन मे बाबा केँ जबाब देलकनि जे आइ ४ झापड़ मारिकय पोता केँ बाट पर एबाक लेल कहलौं, अपने जे एना विश्वास नहि कय रहल छी तऽ दोसर दिन उनटा बान्ह बान्हिकय पोता केँ हड्डी-गुड्डी एक कए देब। फेर अपने आयब तऽ ई दिन मोन पारि देब। बाबा भौंचक्क ओकर मुंहे तकैत रहि गेला आ फेर किछो नहि बाजि ओकरा उचक्का लोक बुझि ओतय सँ उठि गेला।
एम्हर ओ बालाक भाइ घुरतीकाल चौक पर आबि सौंसे गामक लोक केँ जखन ई बात कहलकैक तऽ लोक सब ओकरा बुझाबय लागल जे चलू, भेलैक, कहि देलियैन, बुझा देथिन, भऽ जेतैक। मुदा बाबा अपन पोता सँ कहलखिन जे बौआ अहाँ केँ कतहु चोट तँ नहि न लागल। पैघ लोक छला। हुनका ई पता छलन्हि जे हुनकर पोता सेहो पैघे लोक बनत। ओ पोताकेँ बुझबैत कहला जे एकटा उचक्का छौंड़ा आबि अहाँक बारे अन्ट-शन्ट शिकायत कय रहल छल, ओकरा सब सँ मुंह नहि लागब। पोता बाबाक अति-विश्वास मे देखि मनेमन अपन गलती केँ स्वीकार करबाक बदला आरो उन्टे दोसरेक ओछपना आ हल्लूक बात सब कहि बाबा लंग खरखांही लूटय लागल। मुदा माइरक डरे भूत भगय छय, ई कहबी अनुरूप ओ दोबारा ओहि व्यक्तिक बहिन दिशि नहि ताकि दोसर गामक बाला सब तरफ ध्यान देमय लागल। लुकुम खराब भेल लोक आ ताहि पर सँ पैघत्वक दाबी सेहो, फेर ओहि पोता केँ दोसरो गाम मे यैह दोसरक बहिन-बेटी पर खराब नजरि सँ देखबाक कारणे माइर खुआ देलकैक। एहि बेर मारनिहार बाबा लंग शिकायतो करऽ लेल नहि आयल। मुदा चौक-चौराहा आ गाम सब ठाम यैह चर्चा जे फल्लाँ बाबाक पोता केँ चिल्लों गामक लोक सब बड माइर मारलकैक। ओतय किछु लोक जे पैघ लोक नहि छल, से सब कहलकैक जे कि करबहक भाइ… पैघ लोकक पैघ बात! अपन बेटी-बहिन केँ एहेन पैघ लोक सब सँ बचाकय अपनहि राखह। ओ सब तऽ पैघे कहेता, हमरे-तोहर दिन घटल अछि, हमरे-तोरे बदनामी हैत। कियो विश्वासो नहि करतह।