भूकम्प: अभिमन्यु खाँ केर नव ‘मैथिली कविता’

विराटनगर मे आयोजित प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली कवि सम्मेलन मे सभा केँ संबोधित करैत शिक्षाविद् कवि अभिमन्यु खाँ
विराटनगर मे आयोजित प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली कवि सम्मेलन मे सभा केँ संबोधित करैत शिक्षाविद् कवि अभिमन्यु खाँ
विराटनगर मे आयोजित प्रथम अन्तर्राष्ट्रीय मैथिली कवि सम्मेलन मे सभा केँ संबोधित करैत शिक्षाविद् कवि अभिमन्यु खाँ

“ई रचना खासकय मैथिली जिन्दाबाद पर प्रथम प्रकाशनार्थ रचल गेल अछि। जीवन मे रचना मात्र सर्वोपरि धर्म मानैत आबि रहल छी। मातृभाषा मैथिलीक मिठास जखन दुनिया केँ नीक लागि सकैत छैक तऽ हम स्वयं एक शिक्षित आ अखण्ड बिहारक सर्वोच्च शिक्षा संस्था ‘नेतरहाट आवासीय विद्यालय’क प्रधानाचार्य रूप मे एकरा सँ कटल कोना रहि सकैत छी। अंग्रेजी, हिन्दी आदि विभिन्न भाषा मे रचना हमर शख रहल अछि। मुदा मैथिली हमर माय केर स्मृति दियाबयवाली मातृभाषा थीक। मैथिली जिन्दाबाद पर एकर प्रथम प्रकाशन भेलाक बादे आन ठाम कतहु एकरा प्रकाशन करायब।”

– अभिमन्यु खाँ, बनगाँव, सहरसा (हाल: दिल्लीक यात्रा पर)

भूकम्प

किछुए दिन पहिने
भेल छल ‘भूकंप’
पड़ैत रहल झटका पर झटका
प्राय: एक-डेढ मास धरि।

काठ-माण्डूक आ नेपालक –
कएकटा ने पुरान भवन
दुमंजिला, तिमंजिला
कैकटा ने पुरान मंदिर सब
ढहि-ढनमना गेल
कतेक रास ने लोक
लाश भऽ गेलाह
बहुतो स्त्री-पुरुष, बच्चा सब
दबल, कुचलल
अपनहिं घर मे सड़ैत रहि गेलाह।

नेपाल, मिथिला, पटना, राँची
कलकत्ता, दिल्ली
झटकाक खटका सँ सब क्यो
डरैत आ सहमैत रहलाह,
परंचई बात कियो नय बुझलथि
जे ई तऽ हल्लुक सन चेतावनी थिक
– ‘वार्निंङ्ग’
फेर, किछुए दिनुक बाद
शुरू भऽ गेल
पुछलथि हमरा सँ एक,
‘किशोर पौत्र’ –
“दादाजी! कोना होइत अछि भूकम्प
आ कियैक?”
हम कहलियैन – “हौ बाबु!
प्रश्न छौ कठिन!
अहि सब प्रश्नक उत्तर
दऽ सकैत छथि
मात्र धनलोभी नेता
अथवा
तथाकथित महावैज्ञानिके
हम की कहबौ? कोना कहबौ?
हम तऽ छी निट निरक्षर-चंठ
बाझि गेल अछि कंठ
तैं जाँच करबै गेलहुँ विशेषज्ञ लग
एक कहलनि
दहिना श्वांस नली बाधित अछि
दोसर कहलनि बायाँ
हमरौ भीतर मचा देने छथि
दुविधा-खटका
मस्तिष्के मे डालि देलनि
भूकम्पक झटका।
वेद-पुराण-श्रुति पर
शेषनाग सन फणधर
आ – हिमालय सन महिघर
किनको मुँह सँ कहियो नञ
सुनलौं जे
सतयुग, त्रेता, द्वापर मे
अथवा
महाभारत कथा-व्यथा मे
रामायणक लात-मुक्का मे
व्यासजीक अठारहो पुराण मे
कतहु,
कियो नञ, कहने छथि
भूकम्पक खिस्सा
पुरान हो कि टटका।
“कियैक? दादाजी?
की ओहि सब युग मे
भूकम्प नय होइत छलै?”
नञ जानै छी बौआ!
होइत रहितै तऽ व्यासजी अवश्य
चर्चा करितथि।
“तऽ अहीटा युग मे कियैक?”
कियैक तऽ ई थिक ‘कलयुग’
कलंक युग
अहि युग मे सब छथि
धनलोभी
माइक दूधे टा सँ संतोष
नय छनि किनकौ,
तैँ चीर दैत छथिन माइक
छाती
खाइत छथि हुनकर
कोढ-करेज
पीबैत छथि हुनके
खून –
पाथर, हीरा-मोती, तेल
हाय रे बकलेल!
धरती सबटा चुपचाप सहै छथि
असह्य दर्द सँ
जखन करैत छथि किलोल
तखनै होइ अछि
भूकम्पक डंमा-डोल,
हम सब छी भारत-माताक सपूत
नित्ये प्रात: कहैत छियनि
‘विष्णुप्रिया नमस्तुभ्यम्
पादस्पर्श क्षमस्व मे’
आ नित्ये चीरैत छियनि
आ खाइत छी
हुनके कोढ-करेज
“हाय रे कपजरुआ बुधिया
गहुँम भऽ गेल मड़ुआ
मड़ुआ भऽ गेल गहुँम”
की कहियौ बौआ?
कतेक कहियौ
आ कोना कहियौ?
एक वैज्ञानिक छलाहे अष्टावक्र
आठ ठाम टेढ छलनि काया
परंच, छलाहें आत्मज्ञानी
तैँ, दूरे रहैत छलनि माया,
आ हम सब चाहै छी
सर्वाङ्ग सुन्नर काया
आ भीतर सर्वाङ्ग टेढ
केने छथि माया
‘भ्रामयन्सर्वभूतानि
यंत्रारूढानि मायया’

कविक परिचय:

तात्कालिक भागलपुर जिलाक बनगाँव मे १९३७ ई. मे जन्म,

उदाकिशनगंज, मधेपुरा सँ प्राथमिक शिक्षा

अंग्रेजी अनर्स टीएनजे कालेज, भागलपुर सँ १९५७ ई. मे

एमए अंग्रेजी साहित्य सँ १९६१ ई. मे राँची विश्वविद्यालय सँ

एहि वर्ष राँची कालेज मे लेक्चरर केर पद पर नियुक्ति। १९६७ मे श्री खाँ द्वारा साहसिक डेग उठबैत राँची कालेज सँ इस्तीफा दैत विश्व-प्रसिद्ध नेतरहाट विद्यालय मे अध्यापन शुरु केलनि, जतय सँ १९९४ ई. मे अवकाशप्राप्त केलनि। किछु समय करीब एक वर्ष लेल विकास विद्यालय तथा योगदा कालेज राँची मे सेहो अध्यापन केलनि।

१९४९ ई. केर आसपास विद्यालक छात्र अभिमन्यु केर पहिल कविता कोलकाता सँ प्रकाशित विश्वमित्र मे छपल। तहिना किछु कविता १९५३-५४ मे प्रकाशित भेल छल तेकर अंग्रेजी अनुवाद काशी नगरी प्रचारिनी सभा द्वारा सेहो प्रकाशन कैल गेल। अगस्त १९५९ आ ६० ई. केर प्रारंभहि मे राम अवध द्विवेदी (बनारस हिन्दू युनिवर्सिटी केर हिन्दी विभागाध्यक्ष) केर संपादन मे अंग्रेजी कविताक हिन्दी अनुवाद सब द हिन्दी रिव्यु मे प्रकाशित भेल। १९६०-६१ ई. तथा उपरान्त व्यक्तिगत किछु घटना-परिघटना सँ आहत भेलाक कारणे प्रकाशनार्थ कविता पठायब बन्द कए देलनि। हालहि हिनक कतेको आलेखादि राष्ट्रीय समाचार पत्र-पत्रिका द्वारा प्रकाशित कैल गेल आ संगहि अल इन्डिया रेडियो पर सेहो ओकर प्रसारण भेल। मानव जीवन व अनुभूतिक विसारद वर्णन हिनक हिन्दी, अंग्रेजी, मैथिली एवं संस्कृत कृति मे भेटैत अछि। सनातन सिद्धान्त तथा मूल्य पर विम्बित सन्दर्भ ऊपर हिनक रचना केन्द्रित रहैत अछि। हिनक प्रथम पुस्तक “MINES OF GOLD” मे “स्वर्णबेला” काफी प्रशंसित भेल। हिनक भक्तिगीत हिन्दी एवं मैथिली मे सेहो भावोद्गीत नाम सँ प्रकाशित भेल। “The Poet’s Eye” पद्यप्रेमी लेल अछि जाहि मे कुल ६१ टा कविताक संग्रह अछि। 

– अमित आनन्द