भावेश चौधरी।
मिथिला में “प” शब्द के बड़ महत्व अई। पाग,पान, पोखैर। पाग मिथिला के सांस्कृतिक विरासत अई। मिथिलाक सभ्यता, संस्कृति और सम्मान स आदि अनादि काल स जुडल।पाग विशुद्ध रूप स मिथिला के पहनावा भेल।प्रसिद्ध अंग्रेजी शब्दकोष “मैक्मिलन” में पाग के ” A kind of headgear worn by people in the MITHILA belt of India” द्वारा परिभाषित केल गेल अई। जाहि प्रकारे अंग्रेजी संस्कृति में ताज (क्राउन) के भाव _प्रसुन्न समर्पित कायल गेल अई ,ताहिना मिथिला में पाग के लोरी अक्षत जेका समर्पण भेटल अई। ई कहनाई अतिशयोक्ति नै कि पाग मिथिला संस्कृति के सबसा बेसी जगमगायत मुकुट भेल।
मुडन,उपनयन आ विवाह आओर विभिन्न धार्मिक कार्य में एकरा प्रमुखता स अंगीकार कैल जायत अई।पाहुनक स्वागत और सम्मान में पाग पहिरेनाई गौरवशाली परंपरा के द्योतक अई।अलग अलग प्रयोजन में अलग अलग पाग के रंग प्रयोग होई छै। मुड़न और विवाह में लाल रंग,उपनयन में पियर रंग और अन्य धार्मिक व संस्कृतिक कार्यक्रम में उज्जर रंग के पाग। सुनल अई जे पहिने साठा (साइठ हाथ के) पाग पहिरल जैत रहई।ओकरा पहिरै के विशेष कला।आब त ढाचाकृत बनल पाग भेटई छै।ऊपर स सूती कपड़ा या सिल्क के आवरण। पाग के ऊपरी भाग (चनेवा) पर तिकोना कूट अलंकृत रहैत अई। ओई पर स चुनन ओकर शोभा के और सुशोभित करैत अई।पाग के संरचना में एक विशेष प्रकार के भिन्नता होयत अई_पाग के अगिला भाग में एकटा मोट पट्टी में एकर पहचान आ भिन्नता समाहित होयत अई।
परिधान के संगहि रोजगारोन्मुक व्यवसाय में सेहो पाग के बड़ महत्वपूर्ण योगदान।धागा ,कपड़ा,रंग, गत्ता आदि भिन्न भिन्न कुटिर उद्योग पाग निर्माण में सहायक के भूमिका निभबय छैथ।भारत सरकार द्वारा महान कवि विद्यापति के स्मृति में जारी केल गेल डाक टिकट पर पाग पहिरने विद्यापति ऐकर राष्ट्रीय स्तर पर गर्वपूर्ण पहचान प्रेषित क रहल छैथ।
संस्कृति व समाज में आधुनिकताक प्रसार,प्रगतिवादक विचार और यथार्थवादक विस्तार बढ़ल अई।अनेकानेक संगठन द्वारा समकालीन परिवेश के पुनः सोंगर लगा के ठाड करबाक प्रयास जारी अई।पाग संस्कृति के पुनरूत्थान और सर्वव्यापी बनबई लेल देश एवं विदेश में एकरा सर्वसुलभ व प्राप्य करेबाक कोशिश जारी छै।ओना त पाग पर कोनो तरहक चित्रकारी के मान्यता नई छै,लेकिन नवाचार में आधुनिक फैशन के रूप में विभिन्न पेंटिंग स रंगल पाग धीरे धीरे मौन स्वीकृति पाईब रहल अई।अपन शिल्प,शैली और आधुनिक फैशन स सजायल पाग के आर्थिक,सामाजिक और सांस्कृतिक विरासत में नव प्रवेश बहस के बढ़िया विषय भ सकैत अई।
जय मिथिला,जय मैथिली।।