अखिलेश कुमार मिश्रा।
कहाउत शब्द में दू शब्द अछि, एक कहा आ दोसर उत।
कहा मतलब संदेश आ उत एक उपसर्ग अछि जे पहिल शब्दक महत्व बढ़ा दैत छै। कहकs तातपर्य ई जे कहाउत के अर्थ भेल जे बहुत महत्वपूर्ण सन्देश आ ततपश्चात ई बहुत महत्वपूर्ण संदेशबाक लेल प्रयुक्त होबs लागल। मिथिलांचल क्षेत्र में पहिले कन्याक विवाह बड्ड कम उम्र में ही भs जाइत छल। तैं विवाह के संगहि कनियाँ नै आबैत छलीह सासुर। कनियाँ अप्पन सासुर बाद में आबैत छलीह जेखन ओ पैघ भs जाइत छलीह अर्थात जेखन सासुर बसs योग्य।
कनियाँ सासुर कहिया ऐतिह तक्कर निर्णय तs पहिले शुभमुहूर्त के लेल दिन तक़ाs कs होइत अछि। ओहि मुहूर्त बाला दिन के सूचना संदेश के रूप में वर ओतय सँ हुनकर हज्जाम के द्वारा भेजल जाइत अछि। पहिले त सम्वाद के माध्यम लोके-बेद छल। आधुनिक जकाँ सभक हाथ में मोबाइल तs नै छल। चूँकि कन्याक पिता अथवा हुनकर अभिभावक हज्जाम द्वारा आनल सम्वाद अथवा तिथि कें मानय सँ मना कs दै छतिन्ह। अहि मना करक पाँछा ई तर्क रहैत अछि जे बेटी हम्मर हमरा पर बोझ नै छैथि आ छोट मोट व्यक्ति सँ आनल बात कें हम महत्व नै देब।
कन्यापक्षक द्वारा हज्जामक सम्वादक अस्वीकार केलाक बाद वर पक्ष सँ श्रेष्ठ जाहि में खास कs कनियाँक भैंसुर, ममिया ससुर, पितिया ससुर आदि में सँ कियो फेर ओहि मुहूर्त बाला दिन लs कs कन्याक अभिभावक लग जाइ छैथि ऐह व्यक्ति कहाउत कहबै छैथि।कहाउत के चयन ओना होइत जे ओ कन्यापक्षक कें अप्पन बात सँ सहमत कs सकैथि आ कुटम्ब केहेन छैथि से नीक सँ आँकलन क सकैथि। हज्जाम द्वारा सम्वाद में मात्र चूड़ी सिंदूर सँग एक साड़ी भेजक प्रावधान रहैत अछि मुदा कहाउत के संगे एक पूरा भाड़ जाइत अछि जाहि माछ आ दहीक प्रधानता रहैत अछि। कहाउत के खातिरदारी के तँ पराकाष्ठा रहैत अछि। हुनकर दुनू समयक भोजन विलक्षण होइत अछि जेकरा सौजन्य सेहो कहल गेल अछि। पुनः हुनकर विदाई में जनेऊ सुपारी सँग पाँचों टूक कपड़ाक प्रावधान अछि। अस्तु प्रथम बेर ही मुहूर्त बाला दिन में द्विरागम करनाई कन्यापक्ष स्वीकार करैथ या नै ई हुनका पर निर्भर करैत अछि। अगर द्विरागमनक दिन कन्यापक्ष स्वीकार कs लै छैथि तs ओक्कर बाद मानि लेल जाइत अछि जे बेटी कें आब कनिये दिनक नैहर सुख बाँचल छैन्ह। तहन समदाउन गीत सँग टोल पड़ोस सँ बेटी (द्विरागम बाली) के लेल खैक सभ एनाई आरम्भ भs जाइत छैन्ह।
हमरा तs शायद कहाउत बनक स्वप्न पूरा नै हैत। ई आधुनिक मोबाइल आ बच्चा सभक विवाह में होबs देरीक चलते कहाउत के प्रथा तs बुझु बन्दे होइ के कगार पड़ अछि।