बेबी झा।
# कहौतिया #
कहौतिया जेना देखले स बुझाईत अछि # कहै बला “आब ई बुझनाय जरुरी अछि की कहै बला? कोन प्रयोजन में कहै बला? एकर की उद्देश्य ? एकर की रुप? पहीले की छल? बीच में की रहल? आ वर्तमान में की अछि? क्रमशः की बदलाव आयल? एकर की कारण अछि? एकर सविस्तार जानकारी हम अप्पना जानरबे देबाक प्रयास कय रहल छी |
सब स पहीले त ” कहौतिया ” के विस्तृत अर्थ जननाय अत्यंत आवश्यक अछि |ई एकटा एहन विशेष संदेश छल जतय एकतरफ घरबैया के हर्ष होईत छल जे, बेटी के घर बसत ओतय एक तरफ विष्मय जे बेटी ,कलेजा के टूकडा नजरि स दूर भय जायत | बेटीक द्विरागमण में जे दिन ल कय अबैत छथि जकरा(दिन धरेनाय ) कहल जाईत अछि वेह “कहौतिया” कहबैत छल |अप्पन मिथिलांचल में कोनो व्यहार के बहुत विस्तृत आ सजल रुप रहैत अछि जाहि में # कहौतिया# एकटा एहन शब्द अछि जे सुनबा में त अत्यंत साधारण मुदा, ई बहुत गुहल अछि |एकर सब स पहुलका एहन स्वरूप छल जे एखनहु कतहुँ – कतहुँ बरकरारे अछि – बेटीक बिबाहक, एक वा तीन सालक बाद द्विरागमणक प्रचलन छल | जाहि द्विरागमणक समय सब स पहीने ” कहौतिया ” में नौवा अबैत छल जकरा संगे एकटा लाल पोटरी (जाहि में धनी, धान, दुईभ, हरैद, फूल, मधूर आ लाल फीता स बान्हल एकटा सिन्दूरक गद्दी) रहैत छल जे एलाक बाद घरबैया ओहि में स मात्र, सिन्दूरक गद्दी आ मधूर राखि आर चीज लौटा दैत छलथि | जकर ई संकेत छल जे, दिन मान्य नहि भेल | ओकर बाद पून: कनीयाक भैसुर दिन मनबै में, वेह पोटरी आ ऊपर स कनीयाक लेल साडी, लहठी संगहि माछ, दहिक भार ल कय अबैत छलाह | जिनका अबैत देरी बेटी – मायक कन्ना – रोहट शुरू भय जाईत छल जे समाज में जकटा चर्चाक विषय बनि जाईत छल जे, हे फल्ला के ” कहौतिया ” आयल छै | कहौतिया ( भैसुर) के नीक भोजनक संग विदाई काल पांच टूक कपडा आ जनौ – सुपारीक संग विदाई होईत छल | ओकरा बाद नीक दिन पर हकार दय कनीया के कहौतियाक संग आयल साडी, लहठी पहीरा तेल, सिन्दूर होईत छल संगही गीतगाईन के सेहो आ समदाऊन गीतक संग कन्ना -खिज्जी | समाजक लोक सब “खैक” सेहो दैत छथि जेकी भोजनी सेहो कहल जाईत अछि | हमरा सबहक ओहिठाम बेटी पांच अंगना घूमि तेल – सिन्दूर करा खौईछ लैत छथि एहन प्रचलन अछि |
एकर बाद एहि में किछु एहन बदलाव आयल जे – नौवा के एनाई बंद भय गेल आ भैसुर – ससुर कहौतिया बनि आबय लगलाह |
आब त बिबाहक संगे द्विरागमण पांचवे दिने, सोलहे दिने से , चतुर्थीक भारक संग इहो विध चलि जाईत अछि बुझेबे ने करैत अछि जे *कहौतिया* की होईत अछि ?
एकर बदलावक कारण जे हम सब अपना – आप के बेशी एडभांन्स बुझय लगलहु | सब लग समयाभाव आ पारिवारिक बिखरल रुप , समांगक अभाव सेहो सब कारण अछि |
वर्तमान में एकर विलुप्तता देखना जाईत अछि बहुत लोक वा एखुनका पीढी ” कहौतिया “शब्द ओकर अर्थ स अपरिचित भेल जाईत छथि | जे हमरा सबहक संस्कृति परंपरा के लेल शुभ नहि अछि | हम्मर सबहक मिथिलांचरक सब विधि – व्यहारक पाछु बहुत गुढ रहस्य सब छुपल अछि जाहि में ई # कहौतिया # अछि ते हमरा सबके एकरा बचा कय रखनाय परम कर्तव्य आ संसकार अछि |🙏🙏
जय मिथिला जय जखनकी 🙏🙏